Saturday 7 May 2011

कोई मंजिल दूर नहीं

कोई मंजिल दूर नहीं
दिल में ठान लिया है गर तो
कोई मंजिल दूर नही है
है अडा हुआ इंसान अगर तो
कोई मुश्किल बडी नही
मिल जाये राह मे निशा कहीं तो
घबराने की बात नही
समझो गम जानेवाला है
खुशी अभी आनेवाली है
घनी अँधेरी रैन के बाद ही
स्वर्णिम सबेरा होता है
जैसे पथरीले चट्टानों के नीचे
मीठे पानी का सोता होता है
कर्म करे इंसान अगर तो
कभी नही वो खोता है
मीठे फल के बीज बोने पर
मीठा ही फल होता है

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