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लगाया होता लगाम
तो तुमसे कभी न बिछुड़ते मर्यादा पुरुषोत्तम राम
जो है अपने पास गर
उसी में किया होता संतोष
तो जीवन के कठिन डगर पर कभी न होता अफ़सोस
अगर किया होता लक्ष्मण रेखा का सम्मान
तो दुष्ट रावण कभी न कर पाता
तुम्हारा अपमान
न हीं दुनियाँ के विषैले-व्यंग झेलने होते
तुमसे तुम्हारा घर,पति औ-
लव-कुश से उसके पिता न जुदा होते।
मेरी बहुत पुरानी रचना। शायद आपको पसंद आये।
लगाया होता लगाम
तो तुमसे कभी न बिछुड़ते मर्यादा पुरुषोत्तम राम
तो तुमसे कभी न बिछुड़ते मर्यादा पुरुषोत्तम राम
जो है अपने पास गर
उसी में किया होता संतोष
तो जीवन के कठिन डगर पर कभी न होता अफ़सोस
अगर किया होता लक्ष्मण रेखा का सम्मान
तो दुष्ट रावण कभी न कर पाता
तुम्हारा अपमान
अगर किया होता लक्ष्मण रेखा का सम्मान
तो दुष्ट रावण कभी न कर पाता
तुम्हारा अपमान
न हीं दुनियाँ के विषैले-व्यंग झेलने होते
तुमसे तुम्हारा घर,पति औ-
लव-कुश से उसके पिता न जुदा होते।
मेरी बहुत पुरानी रचना। शायद आपको पसंद आये।