Sunday 15 May 2011

लालसा


सीता अगर अपनी लालसा पर
लगाम लगाया होता
स्वर्ण-मृग की सुन्दरता पर मोहित
होकर उसे पाने का जिद नही किया होता
तो अपने पति का साथ
यूँ न खोया होता
जो है अपने पास गर
उसी में संतोष किया होता
तो रावण की कुदृष्टि का
शिकार न बन पातीं
अगर किया होता लक्छणरेखा का सम्मन
तो दुष्ट रावण कभी न कर पाता
इतना अपमान
न हीं दुनियाँ के विषैले-व्यंग
झेलने होते
तुमसे तुम्हारा घर,पति औ-
लव-कुश से उसके पिता न जूदा होते।

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