Sunday, 31 March 2013
Wednesday, 20 March 2013
तो ..अच्छा होता
सपनों के साहूकार न बनते
संबंधों का सौदा कर
दिल नहीं दुखाते अपनों का तो ....अच्छा होता ......
अतीत की कडवाहट को
भविष्य के लिए संजोकर
वर्तमान से खिलवाड़ न करते तो ....अच्छा होता .....
दोष औरों का बताकर
झूठ को सच का ज़ामा पहनाकर
खुद को लाचार नहीं बताते तो ...अच्छा होता .....
चंद दौलत की खातिर
दोस्ती में दरार न लाते
विश्वासघाती नहीं कहलाते तो ....अच्छा होता
सुख में गाते
दुःख में भी गाते
इंसान को परख पाते तो…अच्छा होता ......
बीती बातें
भूल गई थी
यादें वापस नहीं आतीं तो... अच्छा होता .......
Thursday, 14 March 2013
सोचो जरा
मनु के वंशज आओ
जख्म जो तुमने दिए हैं ..
उसको तुम्हें बतलाऊँ ....
तुम यायावर और असहाय थे
जंगली जानवरों जैसे तुम्हारा जीवन और ..
उसके जैसे व्यवहार थे .....
मैंने दिया तुम्हें रहने को ...
प्यारा सा गेह
जीने के लिए प्राणवायु
पहनने के लिए वस्त्र
खाने के लिए कंद -मूल
ये था तुम्हारे प्रति मेरा स्नेह ....
पर बदले में तुमने हर लिए
मेरे हिस्से के सुख-चैन
कैसे काटूँ दिन को और कैसे काटूँ रैन ?
अपनी शाखाओं ,पत्तियों .फूलों और फलों से
विहीन होकर कैसे मै जी पाऊँगा
जो जरुरी है तेरे लिए उसे तुम तक ..
कैसे पहुँचाऊगा ?
उतना ही लो मुझसे
जो जीने के लिए जरुरी है
अति संग्रह करने की आदत
कैसी तेरी मजबूरी है ?
लोलुपता से प्रेरित तेरे कई चेहरे हैं
कैसे बताऊं शाख दर शाख
जखम मेरे गहरे हैं
पंचतत्व है तेरे जीवन का आधार
जो आदिकाल से था तेरे पूर्वजों से पूजित
अपने नादाँ कृत्यों से तूने उसे कर दिया प्रदूषित
सोचो जरा ......मै कैसे ?
तुम्हें भोजन,आश्रय और प्राणवायु दे पाऊंगा
जो मुझे तुम दे रहे हो ..
वही तो लौटाऊँगा ...
मै तो खाक होकर भी कुछ न कुछ दे जाऊँगा ...
चेतो मानव अब भी चेतो
खुद में चेतनता का भाव भरो
क्रूर नहीं बनाओ खुद को
संवेदनाओं का श्रृंगार करो
मेरे अस्तित्व को सुरक्षित कर
अपने ऊपर उपकार करो
अपने ऊपर उपकार करो ....
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