गाँधारी-अगर तुमने अपने बच्चों के
लालन-पालन में पति का
हाथ बँटाया होता तो
अपने सौ पुत्रों के साथ
कौरव वंश को यूँ न
गँवाया होता ।
माना कि तुम महारानी थी
कुंती की जेठानी थी
पर नारी होने के नाते
नारी के मन के दर्द को
समझा होता
तो अपने सौ पुत्रों के साथ
कौरव वंश को यूँ न गँवाया होता।
धृतराष्ट्र तो अँधे थे
पुत्र-मोह में बँधे थे
पति की आखें बनकर
पत्नि धर्म निभाया होता
तो अपने सौ पुत्रों के साथ
कौरव वंश को यूँ न गँवाया होता।
कर पाती खुद को बदले की भावना से मुक्त
शकुनि को टेढी चाल चलने से रोका होता
तो अपने सौ पुत्रों के साथ अपने भाई
और कौरव वंश को यूँ न गँवाया होता।
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