सागर की लहरों के साथ
थामें एक दूजे का हाथ
चलो साथी चलें उस ओर ...जहाँ ....
उन्मुक्त आकाश हो
दिन हो या रात हो
बुझे नहीं कभी मिलन से
ऐसी अतृप्त प्यास हो .....
रिश्तों में मर्यादा हो
कम हो न ज्यादा हो
आधा तुम्हारा ,आधा मेरा
पूरा हमारा हो ....
छोटी सी है जिन्दगी
लम्बे -लम्बे रास्ते
हर गम को गले लगाएं
एक दूजे के वास्ते ......
थामें एक दूजे का हाथ
चलो साथी चलें उस ओर ...जहाँ ....
उन्मुक्त आकाश हो
दिन हो या रात हो
बुझे नहीं कभी मिलन से
ऐसी अतृप्त प्यास हो .....
रिश्तों में मर्यादा हो
कम हो न ज्यादा हो
आधा तुम्हारा ,आधा मेरा
पूरा हमारा हो ....
छोटी सी है जिन्दगी
लम्बे -लम्बे रास्ते
हर गम को गले लगाएं
एक दूजे के वास्ते ......