ब्लागर साथियों आज का दिन कुछ खास है जैसे मायके में माँ एवम ससुराल में सास है .बूझो तो जाने ..धन्यवाद .........
जिन्दगी के मेले में
कहीं आगे बढ़ी
कहीं पिछड़ गई
रंजो -गम तो बहुत हुआ
जब कारवां से बिछड़ गई ......
कुछ छीन गया
कुछ छुट गया
जब-जब जैसा रुख मिला
जीवन को वैसे मोड़ दिया
कभी मिला नहीं
कभी छोड़ दिया
ऐ जिन्दगी सच बतलाऊं ?
तुझसे कोई गिला नहीं .......
जब -जब मौका मिलता है
इतराती इठलाती हूँ
दुनिया चाहे कुछ भी समझे
हंसती और हँसाती हूँ ......
यादों की इक दुनिया में
जब भी घुमने जाती हूँ
बिछड़ गये जो संगी -साथी
उनसे भी बतियाती हूँ ......
सारो .वंदना .पूनम .आशा
पूटु.प्रियशिला.के संग अक्सर
सुलझाया करते थे मिलकर
अनसुलझी पहेलियाँ
जीवन के इस मेले में
खो गईं बालपन की सारी सहेलियाँ
हुडदंग मचा बिना वजह
किया करते थे हम दंगल
कैसे भूल सकती मै तुमको
हरिपुर (झारखण्ड ) के जंगल ?
बनकर कोयल जहाँ मै ....
कुहू -कुहू कह गाती थी
नैनों में गहरे राज छुपाये
कोयल को उकसाती थी
तभी सुनाई पडती थी सबको
कोयल की मीठी बोली
भूल जाऊं कैसे मै ?
सखियों संग खेली होली ?
जीवन के दोराहे पर ....मै ....
हो गई अकेली ....
दुखी न होऊं मै ...ऐसा ...मन ..मेरा ...
मुझसे कहता है ....
वही तेज चला करते हैं जो ....
अकेल ही चला करते हैं ...
खुश हूँ मै अपनी धुन में
मगन अकेली चलती हूँ
गम नहीं उसके लिए
जो मुझको है मिला नहीं
ऐ जिन्दगी सच बतलाऊं ?
तुझसे कोई गिला नहीं ......
पाकुडिया (झारखण्ड ) के पहाड़ी पर
पिकनिक जब हम मनाते थे
कच्ची-जली पूड़ियों को भी
स्वाद ले -ले खाते थे ....
शीला.सुशीला .मुन्नी सारो औ
राज दी सभी को
नदिया के पार कराती थी
ख़ुशी मिले सभी साथी को
इसलिए नैया मै बन जाती थी........
जीवन की इस नदिया में
भंवर में डगमगा रही मेरी नैया
संकेत ,ईशा हैं पतवार मेरे
संजय हैं मेरे खेवैया
साहिल बनकर मै ही अब भी
नैया को पार लगाती हूँ
रोना हो तो जीभर रोती
खुश हो फिर मैं गाती हूँ ......
छीन गया जो जीवन में
चाहे से भी मिला नहीं
पीछे मुडकर नहीं देखती
दिल भी मेरा जला नहीं
ऐ जिन्दगी ..सच बतलाऊं ?
तुझसे कोई गिला नहीं ......
कहीं आघात तो कहीं प्रतिघात
कहीं मान तो कहीं अपमान
कहीं आस तो कहीं निराश
कहीं मिलन तो कहीं विरह
कहीं उल्लास तो कहीं गम है
नाम इसीका जीवन है
जो भी मिलता है मुझको
साथ लिए बढती जाउंगी
वादा है ..............तुझसे ......ऐ जिन्दगी ........
हर पल साथ निभाउंगी
संघर्षमयी जीवन की बातें हैं
बालपन की लीला ये नहीं
ऐ जिन्दगी सच बतलाऊं ?
तुझसे कोई गिला नहीं ......
चलिए मैं ही बता देती हूँ ...आज १ मार्च को मेरा जन्मदिन है.
जिन्दगी के मेले में
कहीं आगे बढ़ी
कहीं पिछड़ गई
रंजो -गम तो बहुत हुआ
जब कारवां से बिछड़ गई ......
कुछ छीन गया
कुछ छुट गया
जब-जब जैसा रुख मिला
जीवन को वैसे मोड़ दिया
कभी मिला नहीं
कभी छोड़ दिया
ऐ जिन्दगी सच बतलाऊं ?
तुझसे कोई गिला नहीं .......
जब -जब मौका मिलता है
इतराती इठलाती हूँ
दुनिया चाहे कुछ भी समझे
हंसती और हँसाती हूँ ......
यादों की इक दुनिया में
जब भी घुमने जाती हूँ
बिछड़ गये जो संगी -साथी
उनसे भी बतियाती हूँ ......
सारो .वंदना .पूनम .आशा
पूटु.प्रियशिला.के संग अक्सर
सुलझाया करते थे मिलकर
अनसुलझी पहेलियाँ
जीवन के इस मेले में
खो गईं बालपन की सारी सहेलियाँ
हुडदंग मचा बिना वजह
किया करते थे हम दंगल
कैसे भूल सकती मै तुमको
हरिपुर (झारखण्ड ) के जंगल ?
बनकर कोयल जहाँ मै ....
कुहू -कुहू कह गाती थी
नैनों में गहरे राज छुपाये
कोयल को उकसाती थी
तभी सुनाई पडती थी सबको
कोयल की मीठी बोली
भूल जाऊं कैसे मै ?
सखियों संग खेली होली ?
जीवन के दोराहे पर ....मै ....
हो गई अकेली ....
दुखी न होऊं मै ...ऐसा ...मन ..मेरा ...
मुझसे कहता है ....
वही तेज चला करते हैं जो ....
अकेल ही चला करते हैं ...
खुश हूँ मै अपनी धुन में
मगन अकेली चलती हूँ
गम नहीं उसके लिए
जो मुझको है मिला नहीं
ऐ जिन्दगी सच बतलाऊं ?
तुझसे कोई गिला नहीं ......
पाकुडिया (झारखण्ड ) के पहाड़ी पर
पिकनिक जब हम मनाते थे
कच्ची-जली पूड़ियों को भी
स्वाद ले -ले खाते थे ....
शीला.सुशीला .मुन्नी सारो औ
राज दी सभी को
नदिया के पार कराती थी
ख़ुशी मिले सभी साथी को
इसलिए नैया मै बन जाती थी........
जीवन की इस नदिया में
भंवर में डगमगा रही मेरी नैया
संकेत ,ईशा हैं पतवार मेरे
संजय हैं मेरे खेवैया
साहिल बनकर मै ही अब भी
नैया को पार लगाती हूँ
रोना हो तो जीभर रोती
खुश हो फिर मैं गाती हूँ ......
छीन गया जो जीवन में
चाहे से भी मिला नहीं
पीछे मुडकर नहीं देखती
दिल भी मेरा जला नहीं
ऐ जिन्दगी ..सच बतलाऊं ?
तुझसे कोई गिला नहीं ......
कहीं आघात तो कहीं प्रतिघात
कहीं मान तो कहीं अपमान
कहीं आस तो कहीं निराश
कहीं मिलन तो कहीं विरह
कहीं उल्लास तो कहीं गम है
नाम इसीका जीवन है
जो भी मिलता है मुझको
साथ लिए बढती जाउंगी
वादा है ..............तुझसे ......ऐ जिन्दगी ........
हर पल साथ निभाउंगी
संघर्षमयी जीवन की बातें हैं
बालपन की लीला ये नहीं
ऐ जिन्दगी सच बतलाऊं ?
तुझसे कोई गिला नहीं ......
चलिए मैं ही बता देती हूँ ...आज १ मार्च को मेरा जन्मदिन है.