नश्वर जीवन के इस क्रम में
प्रफुल्ल रहा करते हो ......
गठरी दौलत की नहीं है ...तभी ......
जहाँ -तहां विचरते हो !
नहीं चाह है किसी ख्याति की
नहीं फिकर है किसी आन की
चाहे कोई धता दे ......
ऐसे कैसे जी लेते हो ?
ओ बंजारे मुझे बता दे ...
नभ की असीमता को
नयनों में भरकर
हिंसक जीवों को बनाकर सहचर
निर्भय तुम सोते हो
मुझे बता दो ओ बंजारे
खुद का गम कैसे पीते हो ?
आज यहाँ ..
कल पता नहीं ...
कहाँ होगा ठिकाना ?
तेरी खुशियाँ ..
तेरे ग़मों को
किसने है पहचाना ?
नित नई जमीं बनाकर
आगे को बढ़ जाते हो
मुझे बता दो ओ बंजारे
कैसे उन्हें भूल पाते हो ?
हरपल नए ख़्वाबों में खोऊ
खवाब टूटे तो कभी न रोऊँ
वो मूलमंत्र बतला दो
जैसे भूल जाते हो सबकुछ
मुझको भी सिखला दो ....
जीवन तेरा जीवन है
बेख़ौफ़ घुमा करते हो
राह की बाधाओं से
दो -चार किया करते हो ....
जहाँ -जहाँ शाम मिले राहों में
डाल देते हो वहीँ डेरा
किसके तुम मनमीत हो ?
कौन मनमीत है तेरा ?
चलकर जिसके संग तुम
जश्न जीत की मनाते हो
ख़ुशी के पल हों या ..
दुःख के पल हों ...
झूम-झूम के गाते हो ..
कैसे गाना गाते हो ?
वो संगीत मुझे सिखा दो
ओ बंजारे अपने दिल के ..
सारे राज बता दो .......बताओगे ??????????????????
है हिम्मत ?