जिन राहों को छोड़ दिया है
उन राहों पे जाना क्यों ?
सूखा बादल ,प्यासी धरती
सूरज को मनाना क्यों ?
जिन आँखों से अश्क न निकले
उन आँखों को रुलाना क्यों ?
समझ से भरे नासमझों को
बेवजह समझाना क्यों ?
दौलत से जो स्नेह को तौले
उन्हें स्नेह के बोल सिखाना क्यों ?
चाँद -तारों से भरी निशा को
सन्नाटे से मिलवाना क्यों ?
सभी समय की बर्बादी है।
उन राहों पे जाना क्यों ?
सूखा बादल ,प्यासी धरती
सूरज को मनाना क्यों ?
जिन आँखों से अश्क न निकले
उन आँखों को रुलाना क्यों ?
समझ से भरे नासमझों को
बेवजह समझाना क्यों ?
दौलत से जो स्नेह को तौले
उन्हें स्नेह के बोल सिखाना क्यों ?
चाँद -तारों से भरी निशा को
सन्नाटे से मिलवाना क्यों ?
सभी समय की बर्बादी है।