डोलिया में उठाये के कहार
ले चल किसी विधि मुझे उस पार
जहाँ निराशा की ओट में
आशा का सबेरा हो
तम संग मचलता उजालों का घेरा हो
जहाँ मतलबी नहीं अपनों का बसेरा हो
साझा हो हर गम न तेरा न मेरा हो
जहाँ बचपन की मस्ती लेती हो अंगराई
उत्साह-उमंगों संग बहे पुरवाई
जहाँ अपने ही दम पे जुगनी झिलमिलाती
छोटी छोटी बातों पे निशा खिलखिलाती
मुँह -मांगी दूँगी तुमको उतराई
तहेदिल से दूंगी तुम्हे जीत की बधाई
खुशियों से दमकेगा प्यारा वो संसार
ले चल किसी विधि मुझे उस पार----
ब्लॉगर साथियों एक बार फिर --नयी शुरुआत
आप के ब्लॉग पर भी आती हूँ ---आप भी समय निकल कर आएं --
मेरे सपनों की अगली कड़ी के रूप निकले मेरे दिल के --- उदगार इस रूप में।
ले चल किसी विधि मुझे उस पार
जहाँ निराशा की ओट में
आशा का सबेरा हो
तम संग मचलता उजालों का घेरा हो
जहाँ मतलबी नहीं अपनों का बसेरा हो
साझा हो हर गम न तेरा न मेरा हो
जहाँ बचपन की मस्ती लेती हो अंगराई
उत्साह-उमंगों संग बहे पुरवाई
जहाँ अपने ही दम पे जुगनी झिलमिलाती
छोटी छोटी बातों पे निशा खिलखिलाती
मुँह -मांगी दूँगी तुमको उतराई
तहेदिल से दूंगी तुम्हे जीत की बधाई
खुशियों से दमकेगा प्यारा वो संसार
ले चल किसी विधि मुझे उस पार----
ब्लॉगर साथियों एक बार फिर --नयी शुरुआत
आप के ब्लॉग पर भी आती हूँ ---आप भी समय निकल कर आएं --
मेरे सपनों की अगली कड़ी के रूप निकले मेरे दिल के --- उदगार इस रूप में।