मैंने देखा है
हँसतों को रोते हुए
मैंने देखा है
जिन्दों को मरते हुए
बहुत दुखदाई है
पल-पल का मरना
पर इस बात से भला क्या डरना!
अकेले आये हैं
अकेले है जाना
साथ तो किसी का है
केवल बहाना
नदी अकेली चलती है
पता नही गंतव्य कहाँ है ?
पथ में काँटे लाख बिछे हो
ओ राही तुम गम मत करना
पडे वक्त अगर कभी तो ?
हिम्मत से समझौता करना
मैंने देखा है
तारों को टूटते हुये
मैंने देखा है
तरुवर को सूखते हुये
चाहे कितने तारे टूटे
व्योम नही घबराता
खडा तना वह
मही के ऊपर
मन ही मन मुस्काता
पतझड के जाते ही
जब आयंगे मौसम
बहार के
नव पल्लव प्रसून खिलेंगे
हरियाली भी होगी
कृत संकल्प हो
बढो बटोही
तेरी ही जय होगी।
हँसतों को रोते हुए
मैंने देखा है
जिन्दों को मरते हुए
बहुत दुखदाई है
पल-पल का मरना
पर इस बात से भला क्या डरना!
अकेले आये हैं
अकेले है जाना
साथ तो किसी का है
केवल बहाना
नदी अकेली चलती है
पता नही गंतव्य कहाँ है ?
पथ में काँटे लाख बिछे हो
ओ राही तुम गम मत करना
पडे वक्त अगर कभी तो ?
हिम्मत से समझौता करना
मैंने देखा है
तारों को टूटते हुये
मैंने देखा है
तरुवर को सूखते हुये
चाहे कितने तारे टूटे
व्योम नही घबराता
खडा तना वह
मही के ऊपर
मन ही मन मुस्काता
पतझड के जाते ही
जब आयंगे मौसम
बहार के
नव पल्लव प्रसून खिलेंगे
हरियाली भी होगी
कृत संकल्प हो
बढो बटोही
तेरी ही जय होगी।
thanks mathur sahab.
ReplyDeleteवाह ...बहुत ही अच्छी रचना ।
ReplyDeletethnks sda ji.
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