Tuesday, 31 December 2013

नए वर्ष की नई ख़ुशी में तहेदिल से बधाई है---

बीत चला २०१३ ..... अब ----
१४  आने वाला है 
दुःख -दर्द की  बातें  भूल 
दिल अब गाने वाला है 
नयी उम्मीद , नया  सपना  
नयनों  में सजने  वाला है ---

पेट भरा पर  होंठ अतृप्त  है 
हाथों में जिसके प्याला है 
कौन सुने किस- किसकी बातें ?
हर शख्स सुनाने वाला है----


छोडो उन बातों को जिनसे 
दिल  उचटने  वाला है 
जिसे पता है भूख की कीमत 
देता वही निवाला है ---


पुराने को विदा करें 
नव-स्वागत की घड़ी आई है 
मंजिल खुद उसे ढूँढ  लेती 
जिसने भूले-भटके को राह दिखाई है ---



यही संदेशा लिए  निशा (२०१३ की-)
दर पे सबके  आई है 
नए वर्ष  की नई ख़ुशी में 
 तहेदिल से बधाई है---
                       
      आप को नए वर्ष की बहुत-बहुत शुभकामनायें ----  नया वर्ष आप के लिए नए सपने , नए अपने और नयी उम्मीदें लेकर आये। पुराने को हँसकर विदा करें और नए का दिल से स्वागत करें …  इससे जीवन का सफ़र सुहावना होगा ---- धन्यवाद। 





Saturday, 23 November 2013

एक दिन इत्तेफाक से

एक दिन इत्तेफाक से
मेरे साथ एक अजीब सी बात हो गई 
कहीं जा रही थी कि ---अचानक----
 मेरी----जिंदगी से मुलाक़ात हो गई 

मेरी नज़रों में खुद के लिए बेगानापन देख 
वो --तिलमिलाई 
संयम को परे हटाकर 
जोर से चिल्लाई --

अजीब अहमक इंसान हो तुम निशा 
उसके दिल में मेरे लिए था 
केवल और केवल गुस्सा 
तुम्हारी विचित्र हरकतें कभी-कभी बन जाती है मेरे लिए 
एक पहेली ----

क्यों बेगानापन दिखला रही हो जबकि 
हम  हैं एक-दूसरे की  सहेली 

सहेली और तुम ?
मैं भी  कहाँ अपने पर नियंत्रण रख पाई औ --
मान-मनौवल को परे हटाकर 
धीरे से गुर्राई 

सहेली होने के नाते तुम 
कब ?कहाँ?और कैसे ?
मेरे दुःख को बाँटती हो ?
बहुत हीं कमजोर इंसान हो तुम --जो--
विधाता के इशारे पे नाचती हो 

दोस्त कहकर दुश्मनों सा व्यवहार करती हो 
सँभलने का मौक़ा दिए बिना 
पीछे से वार करती हो ?

जब से होश सम्भाला 
रूप देखा तुम्हारा बड़ा अनोखा 
एक  पल विश्वास दिला 
दूसरे हीं पल तुम दे देती हो धोखा 

तुम्हारॆ इस व्यवहार से 
आ गई मैं तंग 
टूटे विश्वास के साथ  बोलो 
कैसे चलूँ मैं संग ?

खैर ! चलने का नाम हीं है जिंदगी 
पर भूले से भी ना सोचना 
करुँगी तेरी बंदगी 

तुम अगर मजबूर हो तो 
मैं  भी मगरूर हूँ     
  तुझे   औरों पे होगा पर मुझे--
 खुद पे गुरुर है ---

तेरा काम तुम करो 
मेरा मैं  करुँगी 
जब भी मौका आएगा मैं तुमसे क्या ?
खुद से भी लडूंगी---


Monday, 21 October 2013

कर लो थोड़ा इन्तजार…….


रूप दमके 
प्यार छलके 
जीवन महके……. सजनी तेरा……. 

मत हो उदास 

आऊंगा तेरे पास 
ले निशा का अनुपम श्रृंगार
बदली में  घिर गया अभी मैं  
कर लो थोड़ा इन्तजार…….  


 सुहाग पर्व के इस अवसर आपको  बहुत-बहुत शुभकामनाएं 




Thursday, 10 October 2013

पत्ते झड़ते शाखों से

सुख-दुःख की आँख-मिचौनी 
और उनका ये दीवानापन 
साथ लिए अपने आता है 
अल्हड सा मस्तानापन,…… 

पथ पर जब थक जागे 
लिए अपना नश्वर यह धन
 पथिक तभी समझ पाओगे 
साँसों का ये महँगापन,…… 

पत्ते झड़ते शाखों से 
फूलों बिन सूना उपवन 
कब-कौन -कहाँ चल देता है 
कैसा ये बेगानापन,…


Wednesday, 11 September 2013

तुम्हीं दर्द हो दवा तुम्हीं हो

जीवन पथ पे चला अकेला 
छोड़ दुनिया का झूठा मेला 
सहम गए क्यों ?

वास्तविकताओं से सामना हुआ ज्योंहि 

आगे खड़ी है मंज़िल तेरी 
हिम्मत कर लो ओ बटोही,…

चहूँ ओर उदासी थी 
कलियाँ-कलियाँ प्यासी थी 
प्रकृति भी स्व-दुःख से कातर होकर 
बीज तम के बो रही थी …

तम से निखरी निशा उन्हें 
ओस की बूँदों से भिगो रही थी----

देखो ! दिनकर ने  आकर 
हौले से उन्हें सहलाया 
पलक झपकते उड़ गया दुःख 
कोई उन्हें देख न पाया 
जीवन के ये क्षणिक दुःख 
उड़ जायेंगे यूँ हीं ----

आगे खड़ी  है मंज़िल तेरी 
हिम्मत कर लो ओ बटोही …,… 

दुःख की बदली में तुम 
इंद्रधनुष बन चमको
स्याह रातों में तुम 
जुगनू से सबक ले लो 

बन चटख धूप तुम्हें 
आस-पास बिखरना होगा 

बरखा की बूँदें बन 
दूत नव-जीवन का बनना होगा 

तुम्हीं दर्द हो दवा तुम्हीं हो 
तुम्हीं समस्या, समाधान तुम्हीं हो 

राह की बाधाओं का सामना 
करना होगा तुम्हें खुद हीं 

आगे खड़ी है मंज़िल तेरी 
हिम्मत कर लो ओ बटोही ……. 



Wednesday, 28 August 2013

कृष्ण


बाँसुरी की मधुर तान हैं कृष्ण 
कदंब के पेड़ की शीतल छांह हैं कृष्ण 

मानवता की शान हैं कृष्ण 
पवित्र प्रेम की आन हैं कृष्ण 

मित्रता की पहचान हैं कृष्ण 
असीम आनंद की खान हैं कृष्ण,…… 

                जन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामनाएँ। 

Monday, 19 August 2013

लहरों ने

लहरों   ने मिलाया 

लहरों ने जुदा किया 
न तेरी कोई खता थी 
न मैंने कुछ किया। 



Wednesday, 12 June 2013

रूत मिलन की

सागर की लहरों पर किरणें 
लेती है अंगडाई 
लिए साथ में मस्त समां 
बरखा की बूँदें आई ....

प्यासी धरा की प्यास बुझी 
हर कली खिलखिलाई ...
बागों में भौरे झूम रहे हैं ...
रूत  मिलन की है आई 

Tuesday, 28 May 2013

पर ...आखिर में

कहते हैं कि सुबह का भूला शाम को 
घर लौट ही आता है .....
                                                                       
लौट के जब घर आना  ही है 
तो फिर ? वो ....घर से बाहर 
जाता ही क्यों है ?

बार -बार ये सवाल मेरे....
 दिमाग से टकराता है .....




शायद उसकी आँखों में  मगरमच्छी नमी होगी  या…. फिर .....
उसके घर में जगह की कमी होगी ....इसीलिए 
 दिनभर समय बिताकर ...शाम को लौट आता है 
घरवालों की जली -कटी सुनकर रात में ....
चुपचाप सो जाता है ...

जब-तक उसकी  जान में जान होती है 
ये क्रम अनवरत चलता  रहता है 
जिस दिन से उसकी जान बेजान होती है 

वो भूलना बंद कर देता है .....

उसकी हार या फिर खुद की  जीत पर 
घर का हर कोना गुनगुनाये 
दाल नहीं गली बराबर 
लौट के बुद्धू घर को आये ......

कैसी जीत या कैसी ये हार है ?
मेरी समझ में  ये हमेशा 
घाटे का व्यापार है .....

बाहर जाने के लिए 
दिमाग से सौ तरकीब भिड़ाते हैं ..

पर ...आखिर में .. बुद्धू ही कहलाते हैं .....






Wednesday, 15 May 2013

एक दूसरे की परछाईं

ज्यों हीं शाखों   पर बंद कलियों ने 
अपनी आँखें खोली ...... 
शहद भरे मीठे शब्दों में 
कोयल कुहू -कुहू बोली ......

झूम उठी है  निशा सुहानी 
आया नया सबेरा 
चलो सखी अब आम्र कुञ्ज में 
डाले अपना डेरा .....

दो पथिक मिले 
एक राह चले 
दो सपनों ने ली थी अंगडाई ...
आज उन्हीं को साथ लिए                         

ये शाम मस्तानी आई .......

शाखें सजती जैसे गुलमोहर की 
सुर्ख फूलों की लाली से 
सज़ा रहे उन पथिकों का जीवन भी 
 एक दूसरे  की परछाईं से ......

खुशियाँ बाँटों 
खुशियाँ पाओ 
उलझन को 
मिल-जुल  सुलझाओ ......

बीत गए कुछ समय पुराने 
आनेवाले भी बीत जायेंगे 
इन राहों पर चलते-चलते 
 मंज़िल पर  छा जायेंगे .....


Monday, 13 May 2013

मेरा आईना

मुझको मेरा आईना दिखाकर 
तुमने अच्छा काम किया 
भूल गई थी जिसको मैं                                              
उसको फिर पहचान लिया .....



Sunday, 28 April 2013

एक दूजे के वास्ते ......

सागर की लहरों के साथ 
थामें एक दूजे का हाथ 
चलो साथी चलें उस ओर ...जहाँ ....
उन्मुक्त आकाश हो 
दिन हो या रात हो 
बुझे नहीं कभी मिलन से 
ऐसी अतृप्त प्यास हो .....

रिश्तों में मर्यादा हो 
कम हो न ज्यादा हो 
आधा तुम्हारा ,आधा मेरा 
पूरा हमारा हो ....

छोटी सी है जिन्दगी 
लम्बे -लम्बे रास्ते 
हर गम को गले लगाएं 
एक दूजे के वास्ते ......

             
          
               



Saturday, 20 April 2013

जिन्दगी इक गीत है


ब्लागर साथियों आज मेरी मौसी की तेरहवीं है ....हालाँकि किसी कारणवश मैं नहीं जा सकी ..
मौसी के गाँव ..उनके लिए समर्पित है मेरी ये कविता .....मेरी मौसी कैंसर की मरीज थीं ...एक पैर कटा होने की वजह से वो व्हीलचेयर का उपयोग करती थीं ..मैंने उनके चेहरे पर कभी शिकन तक नहीं देखा था ..हमेशा हँसती रहती थीं ....जिन्दगी ..जिन्दादिली से जीने का हीं नाम है ..इसलिए उनकी मौत पर मैंने एक भी आँसू  नहीं बहने दिया .....मेरी माँ की अन्तिम बहन थीं जो 
माँ की कमी पूरी कर देतीं थीं ...खैर मौत तो चिरंतन सत्य है ..इसे कौन रोक सका है ..भगवान् उनकी आत्मा को शांति दे ..इसी कामना के साथ मै  अपनी मौसी की जीवटता को सलाम करती हूँ ....उनके जैसे जीवन जी सकूँ .....ऐसा हमेशा कोशिश करती हूँ ......




जिन्दगी इक गीत है 
ऐ मुसाफिर गाये जा 

जीत हो या हार हो  
 जश्न ...तू मनाये जा ....

कल थे जो आज नहीं हैं 
आज हैं जो कल न होंगे 
मत उलझ इस जाल में तू
परिवर्तन को अपनाए जा 

जिन्दगी इक गीत है 
ऐ मुसाफिर गाये जा ......

जीवन के सम्बन्ध सारे 
माना तुमको थे सारे प्यारे 
गम न कर उनके लिए तू 
आगे कदम बढाए जा ..

जिन्दगी इक गीत है 
ऐ  मुसाफिर गाये जा  

छाँहमयी पेड़ उखड गए तो ?
कोंपलें भी आएगी 
कुहूकेगी उस पर कोयल 
बुलबुल फिर से गाएगी ..

छाँह छीन गया है तेरा
 तू छाँह बन लहराए जा 

जिन्दगी इक गीत है 
ऐ मुसाफिर गाये जा ...

Monday, 15 April 2013

कहलाती वही नारी

आगे राह नहीं हो ..फिर भी 
राह बनानी आती हो                                        
मंज़िल पास नहीं हो,.. फिर भी 
मंज़िल तक वो जाती हो .....

दिल सहमा- सहमा रहता हो ...पर 
आँखें हँसती रहती है 
साहस और सच्चाई 
रगों में उसकी बहती है 

नारी के संसार में 
ऐसा हीं कुछ होता है 
सोच नहीं होती उसकी ..कि ...
है वो इक बेचारी 
हार नहीं माना जिसने 
कहलाती वही नारी ........

सोचिये क्या सभी औरतें ऐसी होती है ? जो होती है 
वही नारी कहलाती है ......जैसे सभी पुरुष मर्द नहीं होते ... 

        
         ब्लॉगर साथियों  आवश्यक कार्य की वजह से 
         कुछ दिन ब्लॉग जगत से दूर रहूँगी ....धन्यवाद ...
          

Thursday, 11 April 2013

हे प्रभू

              

विपरीत परिस्थितियों में भी 
कर्त्तव्य पथ पर अडिग रहूँ 
                        इतनी शक्ति मुझको दे देना .....


दिल बेचैन हो दिन, हो या रैन हो 
जो ठान लिया है उसे पूरा कर सकूँ 
                           इतना धैर्य मुझको दे देना ......

खुद पापों से बचूँ औरों को भी 
 पाप करने से बचा सकूँ 
                             इतनी गरिमा मुझको दे देना .......

वास्तविकता जब दिल को दुखाने लगे 
कठोर आलोचना में मन घबराने लगे तब भी 
उम्मीद का दामन नहीं छोडूँ 
                         इतनी प्रेरणा मुझको दे देना ......


जिस प्यार और कठोरता से मुझे जीवन पथ पर 
चलना सिखाया गया है ..उसी प्यार और कठोरता के साथ 
मैं भी किसी को जीवन पथ पर चलना सिखा सकूँ ..
                                   इतना विवेक मुझको दे देना ......

घनघोर अँधेरा हो ,तूफानों ने घेरा हो 
नहीं कोई किनारा हो "साथ तुम्हारा है "
                            इतना विश्वास  मुझको दे देना ....

Thursday, 4 April 2013

ज्यों

दो नैनों के जाल में
दिल हो गया बेकरार
दिल से  मिलकर दिल खिला
ज्यों नज़रें हुई चार .....

Sunday, 31 March 2013

बड़ा महत्त्व है


 

जीत में जोश का
निर्णय में होश का
प्यार में सन्देश का
बड़ा महत्त्व है ,,,

बाग़ में बहारों का
जीवन में यारों का
आसमान में सितारों का
बड़ा महत्त्व है .......


मिलन में इन्तजार का
बारिश में फुहार का
अपनेपन में मनुहार का
बड़ा महत्त्व है ......


घर में घरवाली का
 ससुराल में साली का
त्यौहार में दिवाली का
बड़ा महत्त्व है ......

.श्रृंगार में जेवर का
चुलबुले देवर का
चेहरे पे तेवर का
बड़ा महत्त्व है .....


खेत में खलिहान का
समय में विहान का
होंठों पे मुस्कान का
बड़ा महत्त्व है .....


नदी में पानी का
मज़ाक में मनमानी का
ननिहाल में नानी का
बड़ा महत्त्व है ......


दीपक में ज्योति का
सागर में मोती का
जीवन में उन्नति का
बड़ा महत्त्व है ....


सौदे में करार का
दोस्ती में दरार का
रिश्तों में व्यवहार का
बड़ा महत्त्व है .....


अमराई में कोयल का
शादी में शहनाई का
प्रकृति में हरियाली का
बड़ा महत्त्व है ....

Wednesday, 20 March 2013

तो ..अच्छा होता




परिवर्तित अपना व्यवहार न करते                              
सपनों के साहूकार  न बनते 
संबंधों का सौदा कर 
दिल नहीं दुखाते अपनों का तो ....अच्छा होता ......
                                                                                                                                              
अतीत की कडवाहट को 
भविष्य के लिए  संजोकर 
वर्तमान से खिलवाड़ न करते तो ....अच्छा होता .....

दोष औरों का बताकर 
झूठ को सच का ज़ामा पहनाकर 
खुद को लाचार नहीं बताते तो ...अच्छा होता .....

चंद  दौलत की खातिर 
दोस्ती में दरार न लाते 
विश्वासघाती नहीं कहलाते तो ....अच्छा होता 

सुख में गाते 
दुःख में भी गाते 
इंसान को परख पाते तो…अच्छा होता ......

बीती बातें 
भूल गई थी 
यादें वापस नहीं आतीं तो... अच्छा होता .......

Thursday, 14 March 2013

सोचो जरा


मनु के वंशज आओ 
जख्म जो तुमने दिए हैं ..
उसको तुम्हें बतलाऊँ ....

तुम यायावर और असहाय थे 
जंगली जानवरों जैसे तुम्हारा  जीवन और ..
उसके जैसे व्यवहार थे .....

मैंने दिया तुम्हें रहने को ...
प्यारा सा गेह 
जीने के लिए प्राणवायु 
पहनने के लिए वस्त्र 
खाने के लिए कंद -मूल 
ये था तुम्हारे प्रति मेरा स्नेह ....

पर बदले में तुमने हर लिए 
मेरे हिस्से के सुख-चैन 
कैसे काटूँ दिन को और कैसे काटूँ रैन ?


अपनी शाखाओं ,पत्तियों .फूलों और फलों से 
विहीन होकर कैसे मै जी पाऊँगा 
जो जरुरी है तेरे लिए उसे तुम  तक ..
कैसे  पहुँचाऊगा ?

उतना ही लो मुझसे 
जो जीने के लिए जरुरी है 
अति संग्रह करने की आदत 
कैसी तेरी मजबूरी है ?

लोलुपता से प्रेरित तेरे कई चेहरे हैं 
कैसे बताऊं शाख दर शाख 
जखम मेरे गहरे हैं 

पंचतत्व है तेरे जीवन का आधार 
जो आदिकाल से था तेरे पूर्वजों से पूजित 
अपने नादाँ कृत्यों से तूने उसे कर दिया प्रदूषित 
सोचो जरा ......मै  कैसे ?
तुम्हें भोजन,आश्रय  और प्राणवायु दे पाऊंगा 
जो मुझे तुम दे रहे हो ..
वही तो लौटाऊँगा ...

मै तो खाक होकर भी कुछ न कुछ दे जाऊँगा ...

चेतो मानव अब भी चेतो 
खुद में चेतनता का भाव भरो 
क्रूर नहीं बनाओ खुद को 
संवेदनाओं का श्रृंगार करो 
मेरे अस्तित्व को सुरक्षित कर 
अपने ऊपर उपकार करो 
अपने ऊपर उपकार करो ....




Wednesday, 20 February 2013

उनके हिस्से का दुःख

चंचल चिड़ियाँ बहुत उदास और दुखी थी .
अचानक वहाँ उसकी बिटिया आई,... मम्मी 
को दुखी देख पूछ बैठी .....मम्मी आप उदास 
और दुखी क्यों हैं ?
मम्मी ने बताया ....बेटा ....अभी-अभी-मै 
पूर्व दिशा से लौटी हूँ ...वहां मैंने एक बहेलिये 
को देखा ...बड़ी मुश्किल से उससे बचकर आई हूँ ..पर,,,
पर,.... क्या मम्मी ?
 मेरी दोस्त मेरे मना करने के बावजूद उधर 
चली गई है .....मुझे उसके लिए दुःख हो रहा है .
नहीं मम्मी,... आप दुखी मत होइये ......आपने 
अपना काम कर दिया है और  .अपने हिस्से का दुःख भी 
 महसूस कर लिया अब उन्हें उनके हिस्से का दुःख 
महसूस करने दीजिये ....चंचल चिड़िया बिटिया को
देखते हुए सोच रही थी,... मेरी बिटिया मुझसे ज्यादा  समझदार हो गई है ...
उसका दुःख ख़त्म  तो नहीं पर हल्का जरुर हो गया ....


         ब्लोगर .....साथियों ..प्रथम प्रयास है लघुकथा लेखन का ...
बताइयेगा कैसी लगी मेरी ये कहानी ....धन्यवाद .....

Thursday, 14 February 2013

यही तो प्यार है ......



मैंने पेड़ की जड़ से पूछा ..


.तुम ..किस से प्यार करती  हो ?
उसने कहा तने से ....
तने से पूछा ..तुम किस से प्यार करते हो......
उसने कहा शाखाओं से,.....
शाखाओं से पूछा कि तुम्हारा प्यार कौन है तो ,.....
उसने बताया कि उसका प्यार है ....पत्ते ,...
पत्ते से पूछा तो उसने बताया कि वो फूलों से प्यार करता है ....
मैंने फूलों से पूछा तो उसने कहा कि वो जड़,तना ,शाखाओं  पत्ते और काँटें सभी से प्यार करता है ,......तभी  तो  हरदम हँसता  रहता है ......फूलों की  हंसी 
का राज मेरी  समझ में आया .....
जीवन कैसे जीते हैं .....फूलों ने समझाया ......
आइए प्रेम दिवस के इस अवसर पर फूलों से सीख लें ....
खुद भी हँसे औरों को भी हँसाए,...... यही तो प्यार है ......

happy valentine day........

Friday, 8 February 2013

मन


    1.
स्वार्थी मन 
तोड़ देता सम्बन्ध 
जानबूझकर ........


      2.
व्याकुल मन 
निस्तब्ध निशा 
आत्मविस्मृति के क्षण ......


        3.
युगों की भटकन 
मन की उलझन 
रुह में समाई .......


         4.
जीवन संघर्ष 
बोझिल है मन 
भटके नयन ......


          5.
पुरानी पहचान 
दिल में उफान 
उदास है मन ......

          6.

दुविधाग्रस्त मन 
सच्चाई को 
देख न पाए ..........


       7.
अतीत के गलियारे में 
भटक रहा मन 
ये क्या हो गया ?

      

Wednesday, 23 January 2013

ना .....री ..

दर्द की सीमाओं के बाहर जा 
 हँसना चाहती है ......
अपने गम को सहगामी बना 
जख्मों  को सहलाती है  ...
 सहलाने के दर्दमय  क्रम में 
सांस लेना भूल जाती है ...
किस गम को हल्का समझे  ..
कभी समझ न पाती है  ...
खुद से लड़े  या दुनिया से 
करती रहती ये तैयारी 
हार नहीं माना जिसने ....
कहलाती वही  ना .....री .....