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राह बनानी आती हो
मंज़िल पास नहीं हो,.. फिर भी
मंज़िल तक वो जाती हो .....
दिल सहमा- सहमा रहता हो ...पर
आँखें हँसती रहती है
साहस और सच्चाई
रगों में उसकी बहती है
नारी के संसार में
ऐसा हीं कुछ होता है
सोच नहीं होती उसकी ..कि ...
है वो इक बेचारी
हार नहीं माना जिसने
कहलाती वही नारी ........
सोचिये क्या सभी औरतें ऐसी होती है ? जो होती है
वही नारी कहलाती है ......जैसे सभी पुरुष मर्द नहीं होते ...
ब्लॉगर साथियों आवश्यक कार्य की वजह से
कुछ दिन ब्लॉग जगत से दूर रहूँगी ....धन्यवाद ...
आदरणीय डॉ. निशा महाराणा जी
ReplyDeleteसोच नहीं होती उसकी ..कि ...
है वो इक बेचारी
हार नहीं माना जिसने
कहलाती वही नारी .......
..... सुंदर सहज कविता के लिए आभार !!
दिल सहमा- सहमा रहता हो ...पर
ReplyDeleteआँखें हँसती रहती है
साहस और सच्चाई
रगों में उसकी बहती है
behatareen ***नारी के संसार में
ऐसा हीं कुछ होता है
सोच नहीं होती उसकी ..कि ...
है वो इक बेचारी
हार नहीं माना जिसने
कहलाती वही नारी ........
सुन्दर भाव.....
ReplyDeleteजो सशक्त है वही नारी है....
जल्द लौट आइये....
सस्नेह
अनु
बहुत सुंदर-सशक्त भाव ...।
ReplyDeleteबिलकुल सही ... सुंदर रचना ।
ReplyDeleteबहुत उम्दा,सशक्त प्रस्तुति,आभार
ReplyDeleteRecent Post : अमन के लिए.
विचारणीय....
ReplyDeleteवो इक बेचारी
ReplyDeleteहार नहीं माना जिसने
कहलाती वही नारी --सुन्दर सार्थक प्रस्तुति
बहुत खूब ... पर पुरुषों में पुरुष के अपेक्षा नारियों में नारियाँ ज्यादा होती हैं ...
ReplyDeleteलाजवाब प्रस्तुति ...
बहुत उम्दा,सशक्त प्रस्तुति,आभार
ReplyDeleteवाह बहुत सुंदर रचना
ReplyDeleteबधाई
बहुत ही बेहतरीन सुन्दर प्रस्तुति,आभार.
ReplyDelete"महिलाओं के स्वास्थ्य सम्बन्धी सम्पूर्ण जानकारी
"
कहलाती वाही नारी श्रेष्ठ संकल्पों की रचना है अति सुन्दर .मुबारकबाद !और शुक्रिया आपकी निरंतर टिप्पणियों का .
ReplyDeleteबहुत ही सुन्दर प्रस्तुति
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