Wednesday 20 February 2013

उनके हिस्से का दुःख

चंचल चिड़ियाँ बहुत उदास और दुखी थी .
अचानक वहाँ उसकी बिटिया आई,... मम्मी 
को दुखी देख पूछ बैठी .....मम्मी आप उदास 
और दुखी क्यों हैं ?
मम्मी ने बताया ....बेटा ....अभी-अभी-मै 
पूर्व दिशा से लौटी हूँ ...वहां मैंने एक बहेलिये 
को देखा ...बड़ी मुश्किल से उससे बचकर आई हूँ ..पर,,,
पर,.... क्या मम्मी ?
 मेरी दोस्त मेरे मना करने के बावजूद उधर 
चली गई है .....मुझे उसके लिए दुःख हो रहा है .
नहीं मम्मी,... आप दुखी मत होइये ......आपने 
अपना काम कर दिया है और  .अपने हिस्से का दुःख भी 
 महसूस कर लिया अब उन्हें उनके हिस्से का दुःख 
महसूस करने दीजिये ....चंचल चिड़िया बिटिया को
देखते हुए सोच रही थी,... मेरी बिटिया मुझसे ज्यादा  समझदार हो गई है ...
उसका दुःख ख़त्म  तो नहीं पर हल्का जरुर हो गया ....


         ब्लोगर .....साथियों ..प्रथम प्रयास है लघुकथा लेखन का ...
बताइयेगा कैसी लगी मेरी ये कहानी ....धन्यवाद .....

29 comments:

  1. बहुत खूब आपको बहुत बहुत बधाई पहली लघु कहानी लिखने पर

    मेरी नई रचना

    खुशबू

    प्रेमविरह

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  2. सबको अपने हिस्से का दुख भोगना ही पड़ता है,,,,
    बहुत उम्दा सराहनीय प्रयास ,,,बधाई निशा जी


    Recent Post दिन हौले-हौले ढलता है,

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  3. आपकी उत्कृष्ट प्रस्तुति शुक्रवारीय चर्चा मंच पर ।।

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  5. Jara se shabd Jivan ki mushkil ko kam kar dete he

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  6. उत्कृष्ट प्रस्तुति.

    रोता नहीं हैं कोई भी किसी और के लिए.
    सब अपनी अपनी किस्मत को ले ले के खूब रोते हैं

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  7. पहली ही लघुकथा प्रेरक है।बधाई

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  8. सुंदर प्रवाहमयी कहानी.....

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  9. बहुत अच्छी कथा....
    लिखते रहिये...हम पढ़ते रहेंगे.

    आभार
    अनु

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  10. अपने सन्देश में कामयाब है लघु -कथा .निष्कर्ष भी ,आपने ही निकाल दिया है जो पाठक के हिस्से का काम था .

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  11. अपने सन्देश में कामयाब है लघु -कथा .निष्कर्ष भी ,आपने ही निकाल दिया है जो पाठक के हिस्से का काम था .

    उनके हिस्से का दुःख
    Dr.NISHA MAHARANA
    My Expression -

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  12. बहुत प्रेरक! बुद्धिमत्ता दुःख को समाप्त तो नहीं कभी कभी कम जरूर कर देती है.

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  13. बहुत ही जीवंत एवं प्रेरक लघु कथा ! बहुत सुन्दर !

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  14. हमारे यहाँ एक कहावत है माँ और बेटी गौरी के मंदिर गए दोनों ने सुहाग की रक्षा हेतु वर माँगा [ अपने अपने हिस्से का ]

    प्रेरक लघु कथा

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  15. अच्छी कहानी ... सच है की सबके अपने अपने हिस्से का दुःख है ओर उसे झेलना ही होता है ... इसलिए जो होता है होने दो ...

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  16. शुक्रिया इस बढ़िया प्रस्तुति का आपकी टिपण्णी का .

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  17. सुन्दर कहानी

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  18. शुक्रिया आपकी ताज़ा टिपण्णी के लिए इस बेहतरीन रचना के लिए .

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  19. Short and sweet ....and helpful too...!

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  20. अपने-अपने हिस्से का दुख ही जीना सिखाता है।
    अच्छी रचना।

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  21. रोचक एवं सार्थक कथानक | आभार


    यहाँ भी पधारें और लेखन पसंद आने पर अनुसरण करने की कृपा करें |
    Tamasha-E-Zindagi
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  22. बहुत प्रभावशाली कथा. अपने अपने हिस्से का दुःख... बहुत सुन्दर. शुभकामनाएँ.

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