सोचा था मैंने-------
सच्चाई को शब्दों की
जरुरत नहीं होती-----
पता नही था----
चुप रहनेवालों को
दुनिया चोर समझती है।
गम इस बात का नहीं------
बिना किसी गुनाह के
उसने इलज़ाम लगाया मुझपे-----
गम इस बात का है
मेंने झूठ को सच के साये में
पलने दिया।
वो नहीं समझ पायेंगे कभी-------
मेंने ऐसा क्यों किया ?
सदियों चल सकती थी सायेमें उसके----
फिर भी कुछ लम्हों को क्यों जिया ?????????