Saturday 6 August 2011

हम दोस्त बनें


दोस्ती का रिश्ता बहुत ही
प्यारा और बडा होता है
स्नेह और विश्वास की नींव पर
खडा होता है।

दिल से दिल का जुडना
मन से मन का मिलना
एक अनोखा किस्सा होता है
दोस्त जिन्दगी का एक
अविभाजित हिस्सा होता है।

न हँसी न मजाक से
न ही कीमती उपहार से
दोस्ती में निखार आता है
सिर्फ औ सिर्फ
आपस की तकरार से


कुछ दिनों का अनबन,अबोला
हमें हमारी दोस्ती की कीमत बतलाता है
एक दुसरे का हमारे जीवन में
होने का मतलब समझाता है
तभी हमारा मन दोस्ती की
धुन पर गुनगुनाता है
दोस्त वो हे जो एक दुसरे से
मिले बिना अधुरा होता है
मिले एक दूसरे से तभी जागी
अँखियों का सपना पूरा होता है
ऐ दोस्त---- मेरी अभिलाषा है
हम दोस्त बनें जैसे
कृष्ण औ सुदामा
बिना कहे हम समझ जायें
एक-दूसरे का सफरनामा।

2 comments:

  1. बहुत खूबसूरत अंदाज़ में पेश की गई है पोस्ट......मित्रता की शुभकामनायें।

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  2. बहुत बहुत धन्यवाद संजय जी।

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