Thursday, 23 October 2014

सुन बाती का संकल्प

कहा बाती ने दीये से 
साथी! मत हो तुम उदास 
जब तक जान रहेगी मुझमें 
रहूँगी तेरे साथ........

सुन बाती का संकल्प 
तम मुस्कुराया 
पलक झपकते उजियारे ने 
अपना पर फैलाया,,,,,
                               दिवाली के दीये की भाँति आप भी हमेशा खुशियों 
का उजाला फैलायें ताकि तम - रुपी दुःख-दर्द आप से दूर रहे।  दीप -पर्व  के इस अवसर पर आपको बहुत -बहुत  शुभकामनाएँ। 

Monday, 13 October 2014

तब.… बता ओ

दौलत की खनक 
चेहरे की चमक 
शरीर का ताव 
दिल बेताब 
जब हो जाएगा 
निढ़ाल,,,,,,
 तब.……  बता ओ,,,,,,
स्वछन्द परिंदे 
कैसे,,,,, गीत ख़ुशी के गाओगे ?
अभिमान  के बुनियाद पे हो खड़े तुम 


चैन कहाँ से पाओगे ? 
अपने आसपास की झूठी महफिल को 
कैसे तुम सजाओगे ?
छिनोगे तो छिन  जायेगा 
छोटी सी इक गलती तुझको 
उम्र भर तड़पाएगी .... 
सत्य को अपनाओगे तो 
खुद को तुम पाओगे 
चैन तुम्हें चहुँ ओर मिलेगा 
जहाँ-जहाँ तुम जाओगे 
झूठा अहम् और मिथ्याभिमान 
के कवच को तोड़ तुम भागो 
समय के रहते समय को पकड़ो 
ओ नादान  परिंदो जागो ,,,,