माँ-मैं खग थी
तुम थीं मेरी दोनों डैने
तुम जैसी माँ पाकर
जीत लिया जग मैने
बिना मिले तुम चलीं गईं
मजबूरियों पर रोती हूँ
सपनों में आकर मिल लेती हो
जब भी मैं दुःखी होती हूँ
साथ तुम्हारा छूटा जबसे
द;खों के झोकों में
झूल गई
तेरे बिन माँ मैं अपने
घर का रास्ता भूल गई।
"MAA"
ReplyDeletejitna bhi likha jaye kam hai ............
aapki is pyari ..........sunder ahsasso se bhari rachna ko koti koti badhai
माँ की स्मृति में सुन्दर भावप्रवण रचना
ReplyDeleteआह!
ReplyDeleteमाँ के बिन दुःख के अहसास को
अभिव्यक्त करके आपने दिल में
मार्मिक कचौट का अनुभव कराया है.
भावपूर्ण हृदयस्पर्शी प्रस्तुति के लिए आभार.
मेरे ब्लॉग पर आपके आने का मैं बहुत बहुत आभारी हूँ.
ReplyDeleteनिशा जी 'माँ' कविता बहुत मार्मिक है , विशेषत: ये पंक्तियाँ-बिना मिले तुम चलीं गईं
ReplyDeleteमजबूरियों पर रोती हूँ
सपनों में आकर मिल लेती हो
जब भी मैं दुःखी होती हूँ -बहुत बधाई !!
man ko chhooti rachna .maa se badhkar vastav me koi nahi..shayad bhagvan bhi nahi .aabhar
ReplyDeleteआप सभी को बहुत बहुत धन्यवाद
ReplyDeleteमां तो अंधेरे में भी रास्ता दिखा दे ...
ReplyDeleteमाँ से बढ़कर शुभचिंतक कोई और नहीं।
ReplyDeleteतेरे बिन माँ मैं अपने
ReplyDeleteघर का रास्ता भूल गई।
बहुत ही सुंदर रचना ..... माँ से बढ़कर क्या है...?
माँ शब्द अपने आप में एक सम्पूर्ण शब्द है जिसके आगे कुछ नहीं। बहुत मर्मस्पर्शी प्रस्तुति...
ReplyDeleteइस कष्ट को हर कोई नहीं समझ सकता ....लगता है सब कुछ लेकर केवल माँ को दे दे ....
ReplyDeleteशुभकामनायें !
♥
ReplyDeleteआदरणीया निशा जी
सादर अभिवादन !
साथ तुम्हारा छूटा जबसे
दुःखों के झोंकों में
झूल गई
तेरे बिन मां मैं अपने
घर का रास्ता भूल गई …
बहुत भावपूर्ण रचना है … मां किसी से नहीं बिछड़े …
मां तो है मां !
मां जैसा दुनिया में कोई कहां !
हार्दिक शुभकामनाएं !
- राजेन्द्र स्वर्णकार
thanks to all.
ReplyDelete"तेरे बिन माँ मैं अपने
ReplyDeleteघर का रास्ता भूल गई"
बहुत खूब
very nice words on mother!!! Keep writing , simple yet impactful!!
ReplyDeleteबहुत सुंदर
ReplyDeleteए अंधेरे देख ले मुंह तेरा काला हो गया,
मां ने आंखे खोल दी, घर में उजाला हो गया।
thanks to all
ReplyDeleteआपके लेखन ने इसे जानदार और शानदार बना दिया है....
ReplyDeletethanks sanjay ji.
ReplyDeletethanks sanjay ji.
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