Monday, 5 September 2011

गुरु


गुरु केन्द्र है ग्यान का
करे व्यक्तित्व निर्माण
गुरु की महिमा का न कोई
कर सकता बखान
गुरु है तो राष्ट्र है
गुरु बिना सब सुन
गुरु बिना न मुक्ति मिले
इन्हें सोच-समझकर चुन।

3 comments:

  1. जब सीखने की परम चाहत होती है और समर्पण की भावना ,तो ही गुरू प्रकट होते हैं. क्यूंकि परमात्मा ही हृदय की आवाज को सुनकर गुरू रूप में प्रकट होते हैं.

    अखण्ड मंडलाकारं व्याप्तं येन चराचरम
    तत् पदम दर्शितं येन तस्मै श्री गुरवे नम:

    आपने मेरे ब्लॉग पर दर्शन देकर मुझे कृतार्थ कर दिया है निशा जी.
    बहुत बहुत आभार.

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  2. आप दोनों को बहुत-बहुत धन्यवाद।

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