Friday, 16 September 2011

लोग


सही बातों का गलत मतलब लगा लेते हैं लोग
गिरगिट की तरह रंग बदल लेते हैं लोग
अपने हिस्से की खुशी लेकर भी संतुष्ट नहीं
दूसरों के हिस्से की खुशी झपट लेते हैं लोग
संबंध नही निभाना हो गर तो ?
संबंधों पे प्रश्नचिन्ह लगा देते है लोग
खुद को आका साबित करने के लिये
बेगुनाहों और मासुमों का कत्ल करवा देते हैं लोग ।

15 comments:

  1. वाह अच्छे तेवर है बनाये रखिये और कविता साहित्य को ऊचाईयां दीजिये शुभकामनाये

    ReplyDelete
  2. सच कहा है ... अपने आप को सच्चा साबित करने के लिए कुछ भी कर जाते अहिं आज लोग ... लाजवाब रचना ...

    ReplyDelete
  3. संबंधों पे प्रश्नचिन्ह लगा देते है लोग???
    sahi disha men sonch rahi hai aaap sraja jari rahe badhai

    ReplyDelete
  4. बेहद गहरे अर्थों को समेटती खूबसूरत और संवेदनशील रचना...

    ReplyDelete
  5. खुद को आका साबित करने के लिये
    बेगुनाहों और मासुमों का कत्ल करवा देते हैं लोग ।
    ........सही लिखा है आपने

    ReplyDelete
  6. आप सभी को धन्यवाद।

    ReplyDelete
  7. बहुत सुंदर ...प्रभावित करती पंक्तियाँ

    ReplyDelete
  8. प्रभावशाली एवं सत्य को परिभाषित करती पंक्तियाँ . आभार

    ReplyDelete
  9. बहुत खूबसूरत ||

    ReplyDelete
  10. बहुत ही खुबसूरत लिखा है आपने|
    ...आपको बहुत -बहुत बधाई .....

    ReplyDelete
  11. सभी लोग एक से तो नहीं होते,निशा जी.

    आपकी प्रस्तुति यथार्थ की कड़वाहट को उजागर
    करती है.

    ReplyDelete
  12. लोग ऐसे होते हैं, समाज ऐसा होता है…

    ReplyDelete
  13. very true and nice expression....

    ReplyDelete