Sunday 11 March 2012

पुनः


भूल कर सारे गिले शिकवे
तेरी गलती मेरी गलती
वादा का नया रस्म निभाना है
पुराने संबंधों को खत्म करें
अब संबंध नया बनाना है।
एक मोड पर क्यों खडे रहें
हरेक मोड से गुजर कर जाना है
किसी मोड पर मिले कभी थे
किसी मोड पर बिछड जाना हे
चेहरे पर दर्द को पढा नही
पढनेवाला अंधा था
सुनानेवाले का सुना नही
सुननेवाला बहरा था
अपनी-अपनी सबको पडी है
भौतिकता का ये गोरखधंधा है
संकीर्ण सीमाओं की मानसिकता से
हरेक प्राणी बँधा है
कितना भी शिकवा करं
ये दर्द न होगा कम
अनचाहे संबंधों को ढोने से
अच्छा है कि पुनः
अजनबी बन जायें हम।

21 comments:

  1. ये दर्द न होगा कम
    अनचाहे संबंधों को ढोने से
    अच्छा है कि पुनः
    अजनबी बन जायें हम।
    बहुत बढ़िया प्रस्तुति,भावपूर्ण सुंदर रचना,...

    RESENT POST...काव्यान्जलि ...: बसंती रंग छा गया,...

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  2. आगे बढ़ाने के लिए काफी कुछ पिछला छोडना पड़ता है .... अच्छी प्रस्तुति

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  3. बहुत ही बढ़िया


    सादर

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  4. क्या बात है!! चलो इक बार फिर से अजनबी बन जाएँ हम दोनों!!

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  5. ताल्लुक बोझ बन जाये तो उनको तोडना अच्छा........
    बहुत बढ़िया रचना निशा जी..

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  6. बहुत ही सुन्दर कविता निशा जी |

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  7. निशा जी
    नमस्कार !
    अनचाहे संबंधों को ढोने से
    अच्छा है कि पुनः
    अजनबी बन जायें हम।
    ...........बहुत खूब
    जरूरी कार्यो के ब्लॉगजगत से दूर था
    आप तक बहुत दिनों के बाद आ सका हूँ

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  8. अनचाहे संबंधों को ढोने से
    अच्छा है कि पुनः
    अजनबी बन जायें हम।
    karein koshish dooriyaan mitaane kaa

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  9. वाह ... बेहतरीन ...
    वो अफसाना जिसे अंजाम पे लाना न हो मुमकिन ... उसे इक खूब्सूत्रत मोड दे के छोड़ना अच्छा ...

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  10. रचना जीवन की अभिव्यक्ति है।

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  11. बहुत सुन्दर भावोक्ति!

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  12. सुन्दर प्रस्तुति !

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  13. आये हैं सो जायेंगे राजा रंक फ़कीर, एक सिंहासन चढि चलै एक बन्धे जंजीर ... बन्धन टूटना ही बेहतर है!

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  14. बहुत ही उम्दा रचना !

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  15. अनचाहे संबंधों को ढोने से
    अच्छा है कि पुनः
    अजनबी बन जायें हम।...बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति !

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  16. अन -चाहे संबंधों को ढ़ोना जीवन से असम्पृक्त ही होना है .पानी में मीन प्यासी रे ....

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  17. वाकई .......
    शुभकामनायें आपको !

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  18. बहुत खूब लिखा है इस रचना के लिए आभार

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  19. दो इंसान फिर से अजनबी बन कर नए संबंधों को शुरू करते आए हैं. सुंदर रचना.

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  20. सुन्दर भावमय प्रस्तुति.
    पुराने एक गाने की याद दिलाती हुई.

    'चलो... एक बार फिर से अजनबी बन जाएँ हम दोनों...'

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