Friday, 16 March 2012

कहा था उसने

ब्लोगर साथियों १५ दिसम्बर २०११ को मेरी दोस्त विनती गुप्ता का देहांत हो गया था केंसर की वजह से .वो बैंक  कर्मचारी थी और सबसे बड़ी बात ये थी कि अगर वो मंदसौर में रहती थी तो हर रविवार हमारी कोशिश रहती थी एक दुसरे से मिलने की.कभी नही मिल पाते थे तो फोन से ही बातें कर लेते थे हम .हमें एक दुसरे से मिलकर बड़ाअच्छा लगता था पर हमारा मिलन शायद भगवान को मंजूर नही था . अत: हमें चिरविदाई की पीड़ा दे दी .आज लगभग चार महीने हो गये मैंने भी खुद को कुछ संभाल लिया है .उसकी जुदाई को मैंने शब्दों के माध्यम से उकेरने की कोशिश की है पता नही कहाँ तक कामयाब हो पाई हूँ .आप भी बाटें मेरी इस पीड़ा को .धन्यवाद.



कहा था उसने एक दिन मुझे
हम बहुत दिनों से
पति -पत्नी की तरह नही रह रहे हैं
बल्कि एक दोस्त की तरह
एक -दुसरे का गम पी रहे हैं .........


दोनों ने दूसरी बार अपनी
दुनिया बसाई थी
हमसफर बनने के लिए
पुनर्विवाह की रस्में
फिर से   निभाई थी  .........



उनकी बगिया में
एक सुन्दर फूल
बहुत सारी  खुशियों के साथ खिले थे
जब दूसरी बार दो दिल
दिलो-जान से मिले थे .........


पर समय कहाँ किसी के
वश में रहता है ?
वो तो अपनी धुन में
अपने हिसाब से ही बहता है .......

पति-पत्नी का सुख  शायद
दोनों के हिस्से में नही था
दोस्त बनकर जियें
ये भी किस्मत को
मंजूर नही था ........


नैतिकता से विहीन
भौतिकता की इस अंधी दौर में
जबकि पति -पत्नी एक -दुसरे से
बेवफाई करते हैं
दोनों एक दुसरे का दोस्त बनकर
जीवन में सारी खुशियों की
भरपाई करते थे .........

सच ही तो है
पत्नी के बिना तो
घर सूना होता है पर........
दोस्त के बिना तो जग ही
सूना हो जाता है  .

आज जब पत्नी नामक उस दोस्त ने
चिर विदाई के लिए
अपनी आँखें बंद कर ली  तो ?
पति नामक दोस्त की अनजाने में ही
सारी खुशियाँ हर ली .....


पति ने पति के रूप में
सारी रस्में निबटाई पर
अंतिम विदाई की घडी जब आई .......
तब दोस्त नामक पति ने कर दिया इनकार 
दोस्त उनकी जिन्दगी से जा रही है
देख कर मच गया उनके दिल में हाहाकार
रोते हुए उन्होंने अपने दोस्त की ओर
कातर निगाहों से देखा
निगाहें जैसे कह रही हो  .........
दोस्त !क्यों दिया तुमने मुझे
इतना बड़ा धोखा ?
तुम्हारे बिना अब मै
कैसे जी पाउँगा ?
अपने गम अपने -आप ही
कैसे पी पाउँगा ?


 उनके इस मूक प्यार की साक्षी
भला !मै भी कहाँ अपने
आंसुओं के बांध को रोक पाई .....
सांत्वना के दो शब्द भी कहाँ ?
अपनी दोस्त के जीवन साथी से कह पाई ......
भरे दिल से अंतिम पथ के यात्री से
मैंने मन ही मन कहा
ऐ दोस्त !अपने अंतिम सफ़र पर
तुम ख़ुशी -ख़ुशी जाओ
याद  रखना
मै तुम्हे कभी नही भूल पाउंगी
जो वादा किया था तुमसे
वो अवश्य ही निबाहुंगी
बनकर मौसी ईशान की
तुम्हारा साथ मैं निबाहुंगी .........



25 comments:

  1. मार्मिक...जाने वाले चले जाते हैं..यादें शेष रह जाती हैं.

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  2. हृदय विदारक परिस्थितियाँ. जाने वाले की खुशनुमा यादें भी जीवन से भरी हुई होती हैं.

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  3. आपकी अभिव्यक्ति से हमारा मन भी भीग गया....

    मीठी यादों का सहारा ही तो बाकी है...
    ईशान में खोजिये अपनी दोस्त....

    सस्नेह.

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  4. बहुत दुःख होता है जब कोई अपना चला जाता है, लेकिन जाने वाले के साथ जाया नहीं जाता... उनकी निशानियों से साथ निभाइए ईशान को माँ की तरह संभालिये...

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  5. मै तुम्हे कभी नही भूल पाउंगी
    जो वादा किया था तुमसे
    वो अवश्य ही निबाहुंगी
    बनकर मौसी ईशान की
    तुम्हारा साथ मैं निबाहुंगी .........

    जब कोई अपना चला जाता है,तो दुःख तो होता है,अपने को सम्हालिए,
    और अपना कर्तव्य निभाए,....

    MY RESENT POST ...काव्यान्जलि ...: तब मधुशाला हम जाते है,...

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  6. मार्मिक ... जावन में दोस्त, समाज सभी की जरूरत होती है पर जाने वाले चले जाते हैं यादों को छोड़ के ...

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  7. बहुत मार्मिक...कोई अपना जब चला जाता है तो बहुत मुश्किल होता है उस दुःख को सहना. लेकिन आपको अपने आप को संभालना होगा जिससे ईशान को संभाल सकें..

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  8. अंतःकरण छूती हुई .... श्रद्धांजलि . उत्तम पोस्ट.

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  9. बहुत सुंदर भावाभिव्यक्ति।

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  10. सुन्दर प्रस्तुति.....बहुत बहुत बधाई...

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  11. जाने वाले चले जाते हैं.बस याद ही छोड़ जाते है..

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  12. मै तुम्हे कभी नही भूल पाउंगी
    जो वादा किया था तुमसे
    वो अवश्य ही निबाहुंगी
    बनकर मौसी ईशान की
    तुम्हारा साथ मैं निबाहुंगी .........

    भावों की सुंदर अभिव्यक्ति ।

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  13. हृदयस्पर्शी , विनम्र श्रद्धांजलि....

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  14. वेदना - सिक्त रचना।

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  15. बहुत ही भावुक एक्स्प्रेसन ! विनती गुप्ता के आत्मा को शांति मिले !सच्चे दोस्त की याद हमेशा खलती है !

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  16. सच्चे और अच्छे दोस्त की कमी हमेशा खलती है...उन्हें श्रद्धांजलि !

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  17. बहुत ही मार्मिक कविता
    ईश्वर से कामना है की दिवंगत आत्मा को शांति प्रदान करें और उनके परिवारी जनों और मित्रों को यह असीम दुख सहने की शक्ति प्रदान करें।

    सादर

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  18. बहुत ही भावुक और ग़मगीन करने वाली प्रस्तुति है आपकी.

    आपकी दोस्त को विनम्र श्रद्धांजलि.

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  19. भावपूर्ण श्रद्धांजलि !!

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  20. अंतर्स्पर्शी उद्वेलित करती रचना....

    विनम्र श्रद्धांजली.

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  21. मन को भिंगो गई यह रचना।

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  22. ओह ... बहुत मार्मिक स्थिति को शब्दों में वर्णित किया है ... आप अपना वादा निभा सकें यही कामना है ॥

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