Saturday, 24 March 2012

बहाना


 जाने कैसे ?
दिल की बातें
दिल में रह गई
कहना जिसे चाहा नहीं
जुबाँ से फिसल गई .........


रंजो  -गम को
मुस्कान के पीछे छुपाया था
वियोग के उजड़े चमन को
काँटों से सजाया था .......



मालूम था इक दिन
बहार संग
कलियों को आना है !१११
पतझड़ तो केवल
वसंत के आने का बहाना था ...........



18 comments:

  1. मालूम था इक दिन
    बहार संग
    कलियों को आना है !
    पतझड़ तो केवल
    वसंत के आने का बहाना था ...........

    प्रतीकों ने कविता के भावों को बोधगम्य बना दिया !

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  2. सुन्दर!!!

    आशाओं का दामन छूटे ना....

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  3. मालूम था इक दिन
    बहार संग
    कलियों को आना है !१११
    पतझड़ तो केवल
    वसंत के आने का बहाना था ........aashawadi rachna, bahut badhiya

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  4. जाने कैसे ?

    दिल की बातें
    दिल में रह गई
    कहना जिसे चाहा नहीं
    जुबाँ से फिसल गई .........

    ..बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति!

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  5. मालूम था इक दिन
    बहार संग
    कलियों को आना है !१११
    पतझड़ तो केवल
    वसंत के आने का बहाना था ...........
    वाह आशावाद को दर्शाती सुन्दर रचना

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  6. बहुत खूब ... सच है एक सा कभी भी नहीं रहता ... पतझड़ के बाद बसंत आती है ... ये चक्र घूमता रहता है ...

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  7. दिन तो फिरते ही हैं, बस पतझड़ के मौसम को संभलकर झेल जाने की बात है।

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  8. दूसरा पैरा पहले और तीसरे को कन्फ्यूज करता लगता है।

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  9. मालूम था इक दिन
    बहार संग
    कलियों को आना है !१११
    पतझड़ तो केवल
    वसंत के आने का बहाना था ...........

    यही उम्मीद तो जीए जाने की ताक़त देती है .....सुन्दर !

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  10. बहुत ही सुंदर संदेश देती सकारात्मक रचना.....

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  11. चलिए कुछ दिनों का पतझड़ एक सुंदर सी कविता तो दे गया .....:))

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  12. सकारात्मक सोच लिये सुंदर रचना...

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