Thursday, 22 March 2012

भूली -बिसरी बातें

वक्त की कडाही में
 मैंने  पकाई
स्नेह ,अपनापन औ समर्पण
भरी मिठास से
रिश्तों की रसमलाई
तुम नही आई पर .......
याद तुम्हारी बार-बार आई


भूलने की तुम्हे मैंने
कोशिश की कई बार
भूल नहीं पाई मै तुमको
दिल के आगे गई मैं हार
याद न आओ मुझे
ये सोचकर मैंने
कर लिया  खुद को
तुझ में एकाकार
अब मैं हूँ और है मेरा
एकलौता संसार ..........

25 comments:

  1. बहुत ही बेहतरीन और प्रशंसनीय प्रस्तुति....
    इंडिया दर्पण की ओर से शुभकामनाएँ।

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  2. बहुत ही बेहतरीन और प्रशंसनीय प्रस्तुति....
    इंडिया दर्पण की ओर से शुभकामनाएँ।

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  3. बहुत सुन्दर शब्दों की माला....

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  4. पाका बढ़िया स्वादमय, अपनापन सस्नेह ।
    किया समर्पित हे प्रभू, भाव सहित मन देह ।


    भाव सहित मन देह, चढ़ाई पुष्प मिठाई ।
    रसमलाई सारस, चखो रविकर कन्हाई ।

    चखती रहा विछोह, राह रह रह कर ताका ।
    छोड़ न पाई मोह, लगे है तन मन पाका ।

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    1. चखती रही विछोह, राह बेबस मन ताका ।
      छोड़ न पाई मोह, लगे है तन मन पाका ।

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  5. बहुत सुन्दर भाव.....

    मीठी यादों को सहारा बनाइये....
    मुस्कुराते हुए याद कीजिये....आसान होगा जीवन.

    सस्नेह.

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  6. आपको नव संवत्सर 2069 की सपरिवार हार्दिक शुभकामनाएँ।

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    कल 24/03/2012 को आपकी यह पोस्ट नयी पुरानी हलचल पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
    धन्यवाद!

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  7. आप सभी को तहेदिल से धन्यवाद।

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  8. बस एकाकार रहिए ...सुंदर अभिव्यक्ति

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  9. नव संवत्सर की सपरिवार हार्दिक शुभकामनाएँ।
    मैं ब्लॉग जगत में नया हूँ मेरा मार्ग दर्शन करे
    http://rajkumarchuhan.blogspot.in

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  10. बहुत सुन्दर है यह संसार...
    नव संवत्सर की हार्दिक शुभकामनायें...

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  11. बहुत सुंदर ....नव संवत्सर की हार्दिक शुभकामनायें !

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  12. बहुत अच्छी प्रस्तुति!
    इस प्रविष्टी की चर्चा कल शनिवार के चर्चा मंच पर भी होगी!
    सूचनार्थ!
    आपको नव सम्वत्सर-2069 की हार्दिक शुभकामनाएँ!

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  13. बहुत सुंदर ..... स्मृतियाँ कहाँ छूटती हैं....

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  14. bahut meeths sunder ahsaas

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  15. Sundar rachna, Mahadevi Verma ji ki yaad aa gayi...

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  16. सुन्दर रचना, महादेवी वर्मा जी की याद आ गयी...

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  17. नव संवत्सर का आरंभन सुख शांति समृद्धि का वाहक बने हार्दिक अभिनन्दन नव वर्ष की मंगल शुभकामनायें/ सुन्दर प्रेरक भाव में रचना बधाईयाँ जी /

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  18. प्रेम गली अति संकरो....

    सुन्दर कविता...
    सादर बधाई.

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  19. एक यादें ही तो हैं ...जो सगी होती हैं ....बहुत खूब !

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  20. वाह ...बहुत खूब ...

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  21. बढ़िया लिखा है |हार्दिक बधाई |
    आशा

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