वक्त की कडाही में
स्नेह ,अपनापन औ समर्पण
भरी मिठास से
रिश्तों की रसमलाई
तुम नही आई पर .......
याद तुम्हारी बार-बार आई
भूलने की तुम्हे मैंने
कोशिश की कई बार
भूल नहीं पाई मै तुमको
दिल के आगे गई मैं हार
याद न आओ मुझे
ये सोचकर मैंने
कर लिया खुद को
तुझ में एकाकार
अब मैं हूँ और है मेरा
एकलौता संसार ..........
बहुत ही बेहतरीन और प्रशंसनीय प्रस्तुति....
ReplyDeleteइंडिया दर्पण की ओर से शुभकामनाएँ।
बहुत ही बेहतरीन और प्रशंसनीय प्रस्तुति....
ReplyDeleteइंडिया दर्पण की ओर से शुभकामनाएँ।
बहुत सुन्दर शब्दों की माला....
ReplyDeleteपाका बढ़िया स्वादमय, अपनापन सस्नेह ।
ReplyDeleteकिया समर्पित हे प्रभू, भाव सहित मन देह ।
भाव सहित मन देह, चढ़ाई पुष्प मिठाई ।
रसमलाई सारस, चखो रविकर कन्हाई ।
चखती रहा विछोह, राह रह रह कर ताका ।
छोड़ न पाई मोह, लगे है तन मन पाका ।
चखती रही विछोह, राह बेबस मन ताका ।
Deleteछोड़ न पाई मोह, लगे है तन मन पाका ।
बहुत सुन्दर भाव.....
ReplyDeleteमीठी यादों को सहारा बनाइये....
मुस्कुराते हुए याद कीजिये....आसान होगा जीवन.
सस्नेह.
आपको नव संवत्सर 2069 की सपरिवार हार्दिक शुभकामनाएँ।
ReplyDelete----------------------------
कल 24/03/2012 को आपकी यह पोस्ट नयी पुरानी हलचल पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
धन्यवाद!
आप सभी को तहेदिल से धन्यवाद।
ReplyDeleteबस एकाकार रहिए ...सुंदर अभिव्यक्ति
ReplyDeleteनव संवत्सर की सपरिवार हार्दिक शुभकामनाएँ।
ReplyDeleteमैं ब्लॉग जगत में नया हूँ मेरा मार्ग दर्शन करे
http://rajkumarchuhan.blogspot.in
बहुत सुन्दर है यह संसार...
ReplyDeleteनव संवत्सर की हार्दिक शुभकामनायें...
बहुत सुंदर ....नव संवत्सर की हार्दिक शुभकामनायें !
ReplyDeleteबहुत अच्छी प्रस्तुति!
ReplyDeleteइस प्रविष्टी की चर्चा कल शनिवार के चर्चा मंच पर भी होगी!
सूचनार्थ!
आपको नव सम्वत्सर-2069 की हार्दिक शुभकामनाएँ!
बहुत सुंदर ..... स्मृतियाँ कहाँ छूटती हैं....
ReplyDeletebahut meeths sunder ahsaas
ReplyDeleteSundar rachna, Mahadevi Verma ji ki yaad aa gayi...
ReplyDeleteसुन्दर रचना, महादेवी वर्मा जी की याद आ गयी...
ReplyDeleteनव संवत्सर का आरंभन सुख शांति समृद्धि का वाहक बने हार्दिक अभिनन्दन नव वर्ष की मंगल शुभकामनायें/ सुन्दर प्रेरक भाव में रचना बधाईयाँ जी /
ReplyDeletethanks to all.
ReplyDeleteप्रेम गली अति संकरो....
ReplyDeleteसुन्दर कविता...
सादर बधाई.
bahut sunder rachna ... :)
ReplyDeleteएक यादें ही तो हैं ...जो सगी होती हैं ....बहुत खूब !
ReplyDeleteवाह ...बहुत खूब ...
ReplyDeletesundar abhivyakti
ReplyDeleteबढ़िया लिखा है |हार्दिक बधाई |
ReplyDeleteआशा