आगाज भी होगा
अंजाम भी होगा
नाम उसी का गूंजेगा
गुमनाम जो होगा .......
अस्तित्व बचाना
खुद का
सीमा मिट न पाए
करीब किसी के
इतना भी न होना कि?????/
वो दूर चला जाये ......
देते -देते सहारा किसी को ....
बेसहारा न हो जाना
फरियाद किसी कि सुनते -सुनते
फरियादी न बन जाना .....
दो नैनों में सपने पलते हैं
इसी को जीवन कहते हैं
कभी आंसू ..कभी मुस्कान ...तो ???/
कभी दर्द बनकर उभरते हैं ........
बहुत सुन्दर निशा जी...
ReplyDeleteदेते -देते सहारा किसी को
बेसहारा न हो जाना..........
कभी कभी भावनाओं में बहना भारी पड़ता है...
बहुत अच्छी रचना.
सस्नेह
भावुकता और व्यावहारिकता में संतुलन आवश्यक है. सुंदर कविता.
ReplyDeleteबहुत सुन्दर !
ReplyDeleteखूबसूरत बिखरे मोती .... अच्छी प्रस्तुति
ReplyDeleteसुन्दर कविता
ReplyDeleteसुन्दर अभिव्यंजना .
ReplyDeleteबिलकुल सही फरमाया आपने...सुन्दर रचना!
ReplyDeleteबहुत ही बढ़िया
ReplyDeleteसादर
thanks to all.
ReplyDeleteजब तक अपने अस्तित्व को बचाने का ध्यान रहेगा,तब तक करीब जाना संभव होगा ही नहीं। जो करीब जाने पर दूर चला जाए,वह अभागा।
ReplyDeleteaapke vicharon se sahmat hoon par maine dekha hai ki kai bar
Deletenajdikiyan durion ko badha deti hai ye meri kavita nhi hai blki kai panktiya kaiyon ke jivan ki sacchai hai.thanks nd aabhar.
करीब और दूर होने का प्रश्न ही नहीं... ऐसी अवस्था होनी चाहिए जहाँ मैं और तू, दूरी और कुर्बत का सवाल ही न रहे!!
ReplyDeleteकविता अच्छी है!!
aapke vichar ka swagat hai pr mere vichar se simaon ke atikraman se dm ghutne lgta hai aur iska asar hmare sambandhon pr pdta hai,thanks n aabhar.
Deleteवाह!
ReplyDeleteबहुत सुन्दर प्रस्तुति!
वाह ! ! ! ! ! बहुत खूब सुंदर रचना,
ReplyDeleteबेहतरीन भाव प्रस्तुति,....
MY RECENT POST ...फुहार....: बस! काम इतना करें....
गहरे भाव हैं कविता के। फ़रियाद सुनते सुनते फ़रियादी बनने के बीच एक महीन रेखा ही है, जो फ़रियादी बनने से रोकती है। आभार
ReplyDeleteबहुत सुन्दर प्रस्तुति!
ReplyDeletesabhi ko thedil se aabhar.
ReplyDeleteअस्तित्व बचाना
ReplyDeleteखुद का
सीमा मिट न पाए
करीब किसी के
इतना भी न होना कि?????/
वो दूर चला जाये ......
बहुत बड़ी सीख है ये सभी के लिए..... उम्दा रचना
सही कहा आपने ......
ReplyDeleteसभी परिस्थितियों में सन्तुलन बनाये रखना प्रसन्नता की चाबी है।
ReplyDeleteदो आँखों मे एक से हसना एक से रोना है....
ReplyDeleteसुंदर अभिव्यक्ति....
सादर।
आज आपके ब्लॉग पर बहुत दिनों बाद आना हुआ अल्प कालीन व्यस्तता के चलते मैं चाह कर भी आपकी रचनाएँ नहीं पढ़ पाया....बहुत बेहतरीन प्रस्तुति...!
ReplyDeleteapna bahumulya samay nd sujhab dene ke liye aabhari hoon mai aapki sanjay jee....
Deletethanks yashwant jee....
ReplyDeletethanks monika jee,sonrupa jee.manoj jee nd habib jee.
ReplyDeletethanks dr sahab....
ReplyDeleteकरीब किसी के
ReplyDeleteइतना भी न होना कि
वो दूर चला जाये ......
बेहतरीन ...बधाई !
दो नैनों में सपने पलते हैं
ReplyDeleteइसी को जीवन कहते हैं
कभी आंसू ..कभी मुस्कान ...तो ???/
कभी दर्द बनकर उभरते हैं ........
....बहुत सच कहा है. यही जीवन की वास्तविकता है...सुन्दर प्रस्तुति..
अरे वाह! कमाल की नसीहत दी है आपने.
ReplyDeleteआपकी खुद से बातें लाजबाब हैं,निशा जी.