३
समझ न पाता मानव क्यों जो
बात बहुत पुरानी है
दिमाग के बिना चले भी जिंदगी पर
दिल के बिना बेमानी है
आज नही है कल नही था
पर एक दिन ऐसा आयेगा
साथ में चलनेवाला साथी
पल-पल में पछतायेगा
बहुत मिलेंगे साथी तुमको
पर नही मिलेगा मेरे जैसा
फूल बहुत सारे खिलेंगे
नही खिलेगा मेरे जैसा
विस्तृत नभ से वसुन्धरा तक
मन से मन की दूरी होगी
भूल नही सकोगे मुझको
यह तेरी मजबुरी होगी
भूल नही सकती मैं उनको
यह मेरी लाचारी है
मैंने तेरा साथ निभाया
अब तुम्हारी बारी है।
४
जाने क्या रिश्ता है तुमसे
जाने क्या नाता है
छा जाये दिल में एकबार तो
कभी नही जाता है
तुम भी अपनाओ मुझको
तुम भी मुझको चाहो
बदले की ऐसी भावना मैंने
कभी नही चाही है
पर! तेरी दुनियाँ की हर चीज
लगती मुझको प्यारी है
मैंने तेरा साथ निभाया
अब तुम्हारी बारी है।
५
तेरी एक झलक मात्र सेसमझ न पाता मानव क्यों जो
बात बहुत पुरानी है
दिमाग के बिना चले भी जिंदगी पर
दिल के बिना बेमानी है
आज नही है कल नही था
पर एक दिन ऐसा आयेगा
साथ में चलनेवाला साथी
पल-पल में पछतायेगा
बहुत मिलेंगे साथी तुमको
पर नही मिलेगा मेरे जैसा
फूल बहुत सारे खिलेंगे
नही खिलेगा मेरे जैसा
विस्तृत नभ से वसुन्धरा तक
मन से मन की दूरी होगी
भूल नही सकोगे मुझको
यह तेरी मजबुरी होगी
भूल नही सकती मैं उनको
यह मेरी लाचारी है
मैंने तेरा साथ निभाया
अब तुम्हारी बारी है।
४
जाने क्या रिश्ता है तुमसे
जाने क्या नाता है
छा जाये दिल में एकबार तो
कभी नही जाता है
तुम भी अपनाओ मुझको
तुम भी मुझको चाहो
बदले की ऐसी भावना मैंने
कभी नही चाही है
पर! तेरी दुनियाँ की हर चीज
लगती मुझको प्यारी है
मैंने तेरा साथ निभाया
अब तुम्हारी बारी है।
५
मेरा मन मयूर खिल जाता है
जैसे वीराने में जाकर
पागल प्रेमी गाता है
बदली भरे अंबर में जैसे
इंन्द्रधनुष छा जाता है
आसमान की छाती पर
बादल जैसे लहराता है
तेरा मेरा साथ है ऐसे जैसे
रंग और पिचकारी है।
मैने तेरा साथ निभाया
अब तुम्हारी बारी है।
६
तेरे पास आकर मैं
दर्द में भी मुस्कुरा लेती हूँ
बेझिझक अपने दिल की बात
तुमको बता देती हूँ
मेरे सूने मन प्रागंन के
तुम राही अलबेले हो
दिल दुखानेवाली बातों से भी
मेरे दुख हर लेते हो
जैसे माँ के दुख को हरता
बच्चे की किलकारी है
मैने तेरा साथ निभाया
अब तुम्हारी बारी है.
वाह!
ReplyDeleteबहुत सुन्दर रचना!
निश्छल मन से लिखी सुंदर रचना ...
ReplyDeleteइन उत्कृष्ट रचनाओं के लिए बधाई स्वीकार कीजिये...आप बहुत अच्छा और सार गर्भित लिखती हैं...
ReplyDeleteनीरज
बेहतरीन।
ReplyDeleteसादर
मन के भावों का अनुपम प्रस्तुतीकरण
ReplyDeleteमैंने तेरा साथ निभाया
ReplyDeleteअब तुम्हारी बारी है।
बहुत ही खूबसूरत प्यार भरी अभिव्यक्ति..
बेहतरीन रचना,लाजबाब प्रस्तुतीकरण..
ReplyDeleteMY NEW POST ...40,वीं वैवाहिक वर्षगाँठ-पर...
अनुपम उत्कृष्ट प्रस्तुति के लिये बधाई स्वीकारें।
ReplyDeleteबेहतरीन अभिव्यक्ति बहुत अच्छी रचना,..
ReplyDeleteबहुत मिलेंगे साथी तुमको
ReplyDeleteपर नही मिलेगा मेरे जैसा
फूल बहुत सारे खिलेंगे
नही खिलेगा मेरे जैसा
पहली बार आना हुआ, बहुत अच्छी रचनाएँ , धन्यवाद!
मन की गहन अनुभूतियों की सुंदर अभिव्यक्ति।
ReplyDeleteमन की गहराइयों से लिखी रचना ... बहुत खूब ...
ReplyDeleteतेरे पास आकर मैं
ReplyDeleteदर्द में भी मुस्कुरा लेती हूँ
बेझिझक अपने दिल की बात
तुमको बता देती हूँ
मेरे सूने मन प्रागंन के
तुम राही अलबेले हो.
दिल की गहराइयों से निकले सुंदर मुक्तक. इस सुंदर प्रस्तुति के लिये बधाई निशा जी.
एक सच्चे, ईमानदार कवि के मनोभावों का वर्णन। बधाई।
ReplyDeleteबहुत सुन्दर भाव ...सुन्दर प्रस्तुति !
ReplyDeleteआभार !
तेरी एक झलक मात्र से
ReplyDeleteमेरा मन मयूर खिल जाता है
जैसे वीराने में जाकर
पागल प्रेमी गाता है
बदली भरे अंबर में जैसे
इंन्द्रधनुष छा जाता है
आसमान की छाती पर
बादल जैसे लहराता है
Nisha g bahut hi achhe salike se aapne Us anmol ehsas ko baykat kiya hai jo bastva me diwana bana deta hai bahut he sunder............................,!
hari Attal
Bhiali C g
vaah!
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