जीवन के इक मोड पर
अच्छा हुआ तुम मिल गये
कुछ कह लिया
कुछ सुन लिया
बोझ हल्का कर लिया
यूँ ही साथ चलते चलते
कुछ रास्ता भी कट गया
पहचान क्या है मेरी
पहचान क्या है तेरी
तुम खुद ही गढो
जानना ही चाहते हो
तो मेरी आँखों में पढो।
जा के मिलूँ समन्दर में
मैं भी इक कालिन्दी हूँ
पर मर्यादा के सीमाओं में बँधी हूँ
भावनाओं को व्यक्त करना ही
प्यार नही होता
कुछ पाने के लिये कुछ देना भी
प्यार नही होता
प्यार भरे दिलों में
मिलने की बेकरारी होती है
एक खामोश नजर
प्यार के अनगिनत शब्दों पर
भारी होता है
प्यार कैसा है तेरा
प्यार कैसा है मेरा
बिना समझे ही बढो
सामझना ही चाहते हो तो
मेरी आँखों में पढो।
तेरी यादों की परछाई में
दिन रात भटकती रहती हूँ
सोते जगते उठते बैठते
बस यही दुआ किया करती हूँ
मिले तुम्हे सफलता हर पल
खुशियाँ कदमपोशी करे
जगह जगह खिल जाये कलियाँ
जहाँ जहाँ तेरे कदम पडे
प्यार कैसा है तेरा
प्यार कैसा है मेरा
बिना परखे ही बढो
परखना ही चाहते हो तो
मेरी आँखों में पढो।
एक खामोश नजर
ReplyDeleteप्यार के अनगिनत शब्दों पर
भारी होता है
प्यार कैसा है तेरा
प्यार कैसा है मेरा
बिना समझे ही बढो
सामझना ही चाहते हो तो
मेरी आँखों में पढो।
सच कहा , बहुत सुंदर विचारों को लिए रचना
sunder rachna ...
ReplyDeleteवाह निशा जी...
ReplyDeleteजा के मिलूँ समन्दर में
मैं भी इक कालिन्दी हूँ
पर मर्यादा के सीमाओं में बँधी हूँ...
बहुत सुन्दर भाव...
जीवन की राह... किसी सच्चे साथी का मिलना.. एक रिश्ते का बनाना और उस रिश्ते में समाई उस दोस्त के लिए दुआ.. रिश्तों के सफर की सजीव कहानी!!
ReplyDeleteबेहतरीन।
ReplyDeleteसादर
अनुपम भाव संयोजन लिए ... उत्कृष्ट अभिव्यक्ति ।
ReplyDeleteसुंदर भाव संयोजन ... अच्छी प्रस्तुति
ReplyDeletethanks to all.
ReplyDeletebehtreen prastuti..
ReplyDeleteसुंदर रचना.....
ReplyDeleteबेहतरीन और बहुत कुछ लिख दिया आपने..... सार्थक अभिवयक्ति......
ReplyDeleteसुन्दर अभिव्यक्ति। जीवन के लम्बे सफर में कुछ दूरी साथ चलने के लिए अच्छे साथी मिल जाएं वे बहुत बड़ी बात होती है। लेकिन, जितनी दूर तक उसका साथ रहता है सफर आनंद के साथ कटता है।
ReplyDeleteसफ़र में जब हमसफ़र मिल जाये तो हर मुस्किल आसां हो जाती हैं
ReplyDeleteसुन्दर अभिव्यक्ति
मिले तुम्हे सफलता हर पल
ReplyDeleteखुशियाँ कदमपोशी करे
जगह जगह खिल जाये कलियाँ
जहाँ जहाँ तेरे कदम पडे
बहुत बढि़या।
प्रभावशाली कविता।
thanks to all.
ReplyDeleteप्यार कैसा है तेरा
ReplyDeleteप्यार कैसा है मेरा
बिना परखे ही बढो...
बहुत ही खूबसूरत कविता !
ReplyDeleteपरखना ही चाहते हो तो
ReplyDeleteमेरी आँखों में पढो।
superb lines
प्यार कैसा है तेरा
ReplyDeleteप्यार कैसा है मेरा
बिना परखे ही बढो
परखना ही चाहते हो तो
मेरी आँखों में पढो।
....प्रेम से सरावोर बहुत सुंदर भावमयी रचना..
प्रेम में न परखने की आदत पर प्रश्न उठाती कविता. सुंदर.
ReplyDeleteबहुत सुन्दर भाव पिरोये हैं आपने निशा जी ...
ReplyDeleteसादर
-अनु
सुन्दर रचना ... प्रेम भरे साथी का साथ हो तो जीवन भी आसान हो जाता है ...
ReplyDeletebahut sundar
ReplyDeleteप्यार कैसा है तेरा
ReplyDeleteप्यार कैसा है मेरा
बिना परखे ही बढो
परखना ही चाहते हो तो
मेरी आँखों में पढो।
bahut sundar rachna ........
man ke ehsason ko sunder shabd diye hain.
ReplyDeleteप्यार कैसा है तेरा
ReplyDeleteप्यार कैसा है मेरा
बिना परखे ही बढो
परखना ही चाहते हो तो
मेरी आँखों में पढो।
वाह! बहुत सुन्दर.
आखें पढ़ने की भाषा भी तो आनी चाहिए.
निशा जी,आपका लेखन मन्त्र मुग्ध कर देता है.
आभार.