Friday 6 January 2012

यादें

आज मेरी माँ  की पुण्यतिथि है .माँ की  यादों से दूर जाना नामुमकिन है उनके विदाई की पीड़ा को भी व्यक्त करनाआसान नही .बस एक छोटी सी कोशिश.

बहुत दिन बीते ,रातें बीती
यादों का पल भारी है
आज भी मन के वीरानों में
यादों का बहना जारी है .

यादें मेरे बचपन की
यादें तरुणाईपन की
 यादें तेरी जुदाई की
यादें तेरी विदाई की .

शब्द खो गये सचमुच मेरे
दुःख -दर्द भंवर अभी  जारी है
रूप दे सकूं कैसे मै ?
पल -पल मुझ पर भारी है .........
भूल जाऊं कैसे उस पल को ?
जो याद तुम्हारी दिलाती है ......
बिखरे -बिखरे सपने मेरे
मजबूरी पर रोती है
जाते -जाते तुमने आवाज बहुत ही दिया
माफ करना माँ मुझको
मैंने   ही नजरंदाज किया .

सोते -जगते ,उठते -बैठते
याद तुम्हारी आती थी
सोच -सोच के सचमुच मेरी
आँखें भर -भर आती थी
नींदों में भी कोई ताकत
आकर मुझे जगाती थी
सपनों में तेरी परछाई
आकर मुझे बुलाती थी
सुन लेती थी ,समझ गई थी
तेरा साथ छुटनेवाला है
गागर मेरी ममता का
जल्द ही फुट्नेवाला है ........
इंतजार मत करना वर्ना ........
शोकमय हो जाउंगी
काम खत्म होते ही माँ ....
मै तुमसे मिलने आउंगी .

वैसे मुझे माँ से बिछुड़े एक दशक ही हुआ है पर लगता है की सदियाँ   बीत गई है .

27 comments:

  1. माँ के प्रति स्नेह कभी खत्म नही होता…………नमन

    ReplyDelete
  2. वक़्त गुजरा तो है
    पर ठहरा है कहीं
    उन्हीं बातों को दुहराता हुआ

    ReplyDelete
  3. माँ को कोई भुलाना नहीं चाहता ! माँ शव्द में ही माँ की बुलाहट होती है ! माँ तो माँ है ! माँ के चरणों में श्रद्धा सुमन अर्पित है !

    ReplyDelete
  4. माँ की याद कभी मिट नहीं सकती।

    सादर नमन!

    ReplyDelete
  5. बहुत सुन्दर भाव...
    आँखें नम हो गयीं..
    श्रद्धा सुमन..

    ReplyDelete
  6. no one can forget the Maa
    nice touchy poem

    ReplyDelete
  7. So touching, peace for the holy spirit.

    ReplyDelete
  8. बहुत उत्कृष्ट अभिव्यक्ति...

    ReplyDelete
  9. "बहुत दिन बीते ,रातें बीती
    यादों का पल भारी है
    आज भी मन के वीरानों में
    यादों का बहना जारी है ."

    सही कहा आपने माँ की यादें ताउम्र हमारे साथ रहती हैं । सोते-जागते हर पल उसके स्नेह और ममता की अनुभूति हमारे साथ ही रहती है।

    ममता से सराबोर रचना के लिये बधाई ।

    ReplyDelete
  10. मां के जाने के बाद भी वे स्मृतियों में जीवित रहती हैं।
    मर्मस्पर्शी रचना।
    मां की स्मृतियों को नमन।

    ReplyDelete
  11. माँ तो आख़िर माँ ही हैं उस पर कुछ भी कहना लिखना कम है

    ReplyDelete
  12. इसलिए,वर्तमान को उसकी पूर्णता में जीने का प्रयास होना चाहिए।

    ReplyDelete
  13. maa---jo kabhi nahi bhulayi ja sakti khud k antim kshano tak bhi.

    bhaavbheeni prastuti.

    ReplyDelete
  14. Mother will always be with us through everything.

    ReplyDelete
  15. maan to maan hotee hai
    usse milne kee aas kabhee kam nahee hotee hai
    badhiyaa khyaalaat ,congrats

    ReplyDelete
  16. nishaa jii namaskaar, maa to maa hai yade dil me sada hi rhengi dukh me maa baap ke shivaa koi yaad aata hii nahii. sachhe bhaav

    ReplyDelete
  17. सुंदर अभिव्यक्ति बढ़िया रचना,....माँ की स्मर्तियाँ तो हमेशा बनी रहेगी,...
    welcome to new post --"काव्यान्जलि"--

    ReplyDelete
  18. नए घर में पुराने एक दो आले तो रहने दो
    दिया बनकर वहीं से माँ हमेशा रोशनी देगी |
    माँ सदैव स्मृतियों में बसी रहे |

    ReplyDelete
  19. मां की याद में रची यह प्रस्तुति मन को छूती है।
    मां को सादर नमन!

    ReplyDelete
  20. दिल को छूने वाली अभिव्यक्ति। माँ अपने स्थूल शरीर में न सही, आपकी स्मृतियों में सदा आपके साथ है!

    ReplyDelete
  21. माँ तो ऐसी ही होती है ... जीवन भर नहीं भुलाई जाती ...
    दिल को छूती है आपकी रचना ...

    ReplyDelete
  22. माँ के प्रति मन के भावों को आपने शब्दों में बहुत खूबसूरती से उतारा है ... इस रचना को सब खुद से जुड़ा हुआ महसूस करेंगे .. बहुत सुन्दर

    ReplyDelete
  23. माँ ईश्वर का ही रूप होती है.
    आपके माँ के प्रति उद्गार अनुपम
    और अद्वितीय हैं.
    आभार,निशा जी.

    ReplyDelete