आज मेरी माँ की पुण्यतिथि है .माँ की यादों से दूर जाना नामुमकिन है उनके विदाई की पीड़ा को भी व्यक्त करनाआसान नही .बस एक छोटी सी कोशिश.
बहुत दिन बीते ,रातें बीती
यादों का पल भारी है
आज भी मन के वीरानों में
यादों का बहना जारी है .
यादें मेरे बचपन की
यादें तरुणाईपन की
यादें तेरी जुदाई की
यादें तेरी विदाई की .
शब्द खो गये सचमुच मेरे
दुःख -दर्द भंवर अभी जारी है
रूप दे सकूं कैसे मै ?
पल -पल मुझ पर भारी है .........
भूल जाऊं कैसे उस पल को ?
जो याद तुम्हारी दिलाती है ......
बिखरे -बिखरे सपने मेरे
मजबूरी पर रोती है
जाते -जाते तुमने आवाज बहुत ही दिया
माफ करना माँ मुझको
मैंने ही नजरंदाज किया .
सोते -जगते ,उठते -बैठते
याद तुम्हारी आती थी
सोच -सोच के सचमुच मेरी
आँखें भर -भर आती थी
नींदों में भी कोई ताकत
आकर मुझे जगाती थी
सपनों में तेरी परछाई
आकर मुझे बुलाती थी
सुन लेती थी ,समझ गई थी
तेरा साथ छुटनेवाला है
गागर मेरी ममता का
जल्द ही फुट्नेवाला है ........
इंतजार मत करना वर्ना ........
शोकमय हो जाउंगी
काम खत्म होते ही माँ ....
मै तुमसे मिलने आउंगी .
वैसे मुझे माँ से बिछुड़े एक दशक ही हुआ है पर लगता है की सदियाँ बीत गई है .
बहुत दिन बीते ,रातें बीती
यादों का पल भारी है
आज भी मन के वीरानों में
यादों का बहना जारी है .
यादें मेरे बचपन की
यादें तरुणाईपन की
यादें तेरी जुदाई की
यादें तेरी विदाई की .
शब्द खो गये सचमुच मेरे
दुःख -दर्द भंवर अभी जारी है
रूप दे सकूं कैसे मै ?
पल -पल मुझ पर भारी है .........
भूल जाऊं कैसे उस पल को ?
जो याद तुम्हारी दिलाती है ......
बिखरे -बिखरे सपने मेरे
मजबूरी पर रोती है
जाते -जाते तुमने आवाज बहुत ही दिया
माफ करना माँ मुझको
मैंने ही नजरंदाज किया .
सोते -जगते ,उठते -बैठते
याद तुम्हारी आती थी
सोच -सोच के सचमुच मेरी
आँखें भर -भर आती थी
नींदों में भी कोई ताकत
आकर मुझे जगाती थी
सपनों में तेरी परछाई
आकर मुझे बुलाती थी
सुन लेती थी ,समझ गई थी
तेरा साथ छुटनेवाला है
गागर मेरी ममता का
जल्द ही फुट्नेवाला है ........
इंतजार मत करना वर्ना ........
शोकमय हो जाउंगी
काम खत्म होते ही माँ ....
मै तुमसे मिलने आउंगी .
वैसे मुझे माँ से बिछुड़े एक दशक ही हुआ है पर लगता है की सदियाँ बीत गई है .
माँ के प्रति स्नेह कभी खत्म नही होता…………नमन
ReplyDeleteवक़्त गुजरा तो है
ReplyDeleteपर ठहरा है कहीं
उन्हीं बातों को दुहराता हुआ
माँ को कोई भुलाना नहीं चाहता ! माँ शव्द में ही माँ की बुलाहट होती है ! माँ तो माँ है ! माँ के चरणों में श्रद्धा सुमन अर्पित है !
ReplyDeleteमाँ की याद कभी मिट नहीं सकती।
ReplyDeleteसादर नमन!
बहुत सुन्दर भाव...
ReplyDeleteआँखें नम हो गयीं..
श्रद्धा सुमन..
no one can forget the Maa
ReplyDeletenice touchy poem
So touching, peace for the holy spirit.
ReplyDeleteबहुत उत्कृष्ट अभिव्यक्ति...
ReplyDelete"बहुत दिन बीते ,रातें बीती
ReplyDeleteयादों का पल भारी है
आज भी मन के वीरानों में
यादों का बहना जारी है ."
सही कहा आपने माँ की यादें ताउम्र हमारे साथ रहती हैं । सोते-जागते हर पल उसके स्नेह और ममता की अनुभूति हमारे साथ ही रहती है।
ममता से सराबोर रचना के लिये बधाई ।
मां के जाने के बाद भी वे स्मृतियों में जीवित रहती हैं।
ReplyDeleteमर्मस्पर्शी रचना।
मां की स्मृतियों को नमन।
माँ तो आख़िर माँ ही हैं उस पर कुछ भी कहना लिखना कम है
ReplyDeleteइसलिए,वर्तमान को उसकी पूर्णता में जीने का प्रयास होना चाहिए।
ReplyDeletemaa---jo kabhi nahi bhulayi ja sakti khud k antim kshano tak bhi.
ReplyDeletebhaavbheeni prastuti.
Mother will always be with us through everything.
ReplyDeletemaan to maan hotee hai
ReplyDeleteusse milne kee aas kabhee kam nahee hotee hai
badhiyaa khyaalaat ,congrats
nice poem...maa to bas maa hi hoti hai :)
ReplyDeleteमिश्री की डली ज़िंदगी हो चली
बहुत सुन्दर रचना!
ReplyDeletenishaa jii namaskaar, maa to maa hai yade dil me sada hi rhengi dukh me maa baap ke shivaa koi yaad aata hii nahii. sachhe bhaav
ReplyDeleteसुंदर अभिव्यक्ति बढ़िया रचना,....माँ की स्मर्तियाँ तो हमेशा बनी रहेगी,...
ReplyDeletewelcome to new post --"काव्यान्जलि"--
नए घर में पुराने एक दो आले तो रहने दो
ReplyDeleteदिया बनकर वहीं से माँ हमेशा रोशनी देगी |
माँ सदैव स्मृतियों में बसी रहे |
मां की याद में रची यह प्रस्तुति मन को छूती है।
ReplyDeleteमां को सादर नमन!
दिल को छूने वाली अभिव्यक्ति। माँ अपने स्थूल शरीर में न सही, आपकी स्मृतियों में सदा आपके साथ है!
ReplyDeleteमाँ तो ऐसी ही होती है ... जीवन भर नहीं भुलाई जाती ...
ReplyDeleteदिल को छूती है आपकी रचना ...
Bahut BAdiya hai
ReplyDeleteमाँ के प्रति मन के भावों को आपने शब्दों में बहुत खूबसूरती से उतारा है ... इस रचना को सब खुद से जुड़ा हुआ महसूस करेंगे .. बहुत सुन्दर
ReplyDeleteमाँ ईश्वर का ही रूप होती है.
ReplyDeleteआपके माँ के प्रति उद्गार अनुपम
और अद्वितीय हैं.
आभार,निशा जी.
thanks to all.
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