Thursday 23 February 2012

खामोश नजर



जीवन के इक मोड पर
अच्छा हुआ तुम मिल गये
कुछ कह लिया
कुछ सुन लिया
बोझ हल्का कर लिया
यूँ ही साथ चलते चलते
कुछ रास्ता भी कट गया
पहचान क्या है मेरी
पहचान क्या है तेरी
तुम खुद ही गढो
जानना ही चाहते हो
तो मेरी आँखों में  पढो। 
जा  के मिलूँ समन्दर में
मैं भी इक कालिन्दी हूँ
पर मर्यादा के सीमाओं में बँधी हूँ
भावनाओं को व्यक्त करना ही
प्यार नही होता
कुछ पाने के लिये कुछ देना भी
प्यार नही होता
प्यार भरे दिलों में
मिलने की बेकरारी होती है
एक खामोश नजर
प्यार के अनगिनत शब्दों पर
भारी होता है
प्यार कैसा है तेरा
प्यार कैसा है मेरा
बिना समझे ही बढो
सामझना ही चाहते हो तो
मेरी आँखों में पढो।

 तेरी यादों की परछाई में
दिन रात भटकती रहती हूँ
सोते जगते उठते बैठते
बस यही दुआ किया करती हूँ
मिले तुम्हे सफलता हर पल
खुशियाँ कदमपोशी करे
जगह जगह खिल जाये कलियाँ
जहाँ जहाँ तेरे कदम पडे
प्यार कैसा है तेरा
प्यार कैसा है मेरा
बिना परखे ही बढो
परखना ही चाहते हो तो
मेरी आँखों में पढो।     





26 comments:

  1. एक खामोश नजर
    प्यार के अनगिनत शब्दों पर
    भारी होता है
    प्यार कैसा है तेरा
    प्यार कैसा है मेरा
    बिना समझे ही बढो
    सामझना ही चाहते हो तो
    मेरी आँखों में पढो।

    सच कहा , बहुत सुंदर विचारों को लिए रचना

    ReplyDelete
  2. वाह निशा जी...

    जा के मिलूँ समन्दर में
    मैं भी इक कालिन्दी हूँ
    पर मर्यादा के सीमाओं में बँधी हूँ...

    बहुत सुन्दर भाव...

    ReplyDelete
  3. जीवन की राह... किसी सच्चे साथी का मिलना.. एक रिश्ते का बनाना और उस रिश्ते में समाई उस दोस्त के लिए दुआ.. रिश्तों के सफर की सजीव कहानी!!

    ReplyDelete
  4. अनुपम भाव संयोजन लिए ... उत्‍कृष्‍ट अभिव्‍यक्ति ।

    ReplyDelete
  5. सुंदर भाव संयोजन ... अच्छी प्रस्तुति

    ReplyDelete
  6. बेहतरीन और बहुत कुछ लिख दिया आपने..... सार्थक अभिवयक्ति......

    ReplyDelete
  7. सुन्दर अभिव्यक्ति। जीवन के लम्बे सफर में कुछ दूरी साथ चलने के लिए अच्छे साथी मिल जाएं वे बहुत बड़ी बात होती है। लेकिन, जितनी दूर तक उसका साथ रहता है सफर आनंद के साथ कटता है।

    ReplyDelete
  8. सफ़र में जब हमसफ़र मिल जाये तो हर मुस्किल आसां हो जाती हैं
    सुन्दर अभिव्यक्ति

    ReplyDelete
  9. मिले तुम्हे सफलता हर पल
    खुशियाँ कदमपोशी करे
    जगह जगह खिल जाये कलियाँ
    जहाँ जहाँ तेरे कदम पडे

    बहुत बढि़या।
    प्रभावशाली कविता।

    ReplyDelete
  10. प्यार कैसा है तेरा
    प्यार कैसा है मेरा
    बिना परखे ही बढो...

    ReplyDelete
  11. परखना ही चाहते हो तो
    मेरी आँखों में पढो।
    superb lines

    ReplyDelete
  12. प्यार कैसा है तेरा
    प्यार कैसा है मेरा
    बिना परखे ही बढो
    परखना ही चाहते हो तो
    मेरी आँखों में पढो।

    ....प्रेम से सरावोर बहुत सुंदर भावमयी रचना..

    ReplyDelete
  13. प्रेम में न परखने की आदत पर प्रश्न उठाती कविता. सुंदर.

    ReplyDelete
  14. बहुत सुन्दर भाव पिरोये हैं आपने निशा जी ...
    सादर
    -अनु

    ReplyDelete
  15. सुन्दर रचना ... प्रेम भरे साथी का साथ हो तो जीवन भी आसान हो जाता है ...

    ReplyDelete
  16. प्यार कैसा है तेरा
    प्यार कैसा है मेरा
    बिना परखे ही बढो
    परखना ही चाहते हो तो
    मेरी आँखों में पढो।
    bahut sundar rachna ........

    ReplyDelete
  17. प्यार कैसा है तेरा
    प्यार कैसा है मेरा
    बिना परखे ही बढो
    परखना ही चाहते हो तो
    मेरी आँखों में पढो।

    वाह! बहुत सुन्दर.
    आखें पढ़ने की भाषा भी तो आनी चाहिए.
    निशा जी,आपका लेखन मन्त्र मुग्ध कर देता है.
    आभार.

    ReplyDelete