सागर की लहरों के साथ
थामें एक दूजे का हाथ
चलो साथी चलें उस ओर ...जहाँ ....
उन्मुक्त आकाश हो
दिन हो या रात हो
बुझे नहीं कभी मिलन से
ऐसी अतृप्त प्यास हो .....
रिश्तों में मर्यादा हो
कम हो न ज्यादा हो
आधा तुम्हारा ,आधा मेरा
पूरा हमारा हो ....
छोटी सी है जिन्दगी
लम्बे -लम्बे रास्ते
हर गम को गले लगाएं
एक दूजे के वास्ते ......
थामें एक दूजे का हाथ
चलो साथी चलें उस ओर ...जहाँ ....
उन्मुक्त आकाश हो
दिन हो या रात हो
बुझे नहीं कभी मिलन से
ऐसी अतृप्त प्यास हो .....
रिश्तों में मर्यादा हो
कम हो न ज्यादा हो
आधा तुम्हारा ,आधा मेरा
पूरा हमारा हो ....
छोटी सी है जिन्दगी
लम्बे -लम्बे रास्ते
हर गम को गले लगाएं
एक दूजे के वास्ते ......
वाह....
ReplyDeleteबहुत सुन्दर
आधा तुम्हारा ,आधा मेरा
पूरा हमारा हो ....
आमीन!!!
अनु
dhanyavad anu jee ....
Deleteबहुत ही सुन्दर कविता,आभार.
ReplyDeletethanks rajendra jee ...
Deleteअरे वाह ! बहुत सुन्दर । यह तो मेरी कविता की सगी बहन लग रही है । तभी अनु जी ने वहां कमेन्ट किया है मेरी कविता पर ।
ReplyDeletechaliye isi bahane ik relation to bn hi gaya amit jee ...thanks ....
Deleteवाह !!! बहुत बढ़िया,उम्दा प्रस्तुति !!!
ReplyDeleteRecent post: तुम्हारा चेहरा ,
thank u ,,,,bhadauriya jee ...
Deleteबहुत बढ़िया .. पूर्णता पाते भाव
ReplyDeletethank u monika jee....
Deleteछोटी सी है जिन्दगी
ReplyDeleteलम्बे -लम्बे रास्ते
हर गम को गले लगाएं
एक दूजे के वास्ते ....
.............बहुत बढ़िया,
बड़ी खूबसूरती से कही अपनी बात आपने.....
पूरी कविता दिल को छू कर वही रहने की बात कह रही है जी,
thank u sanjay jee ....
Deleteआपसी, प्यार ओर समझदारी से जीवन कितना आसां हो जाता है ...
ReplyDeleteदिल को छूने वाली रचना है ...
sahi bat kahi hai aapne naswa jee par pta nahi kyon logon ko ye bat samajh me nahi aati ......thanks ......
Deleteबहुत सुंदर ।
ReplyDeletedhanyavad sangeeta jee ....
Deleteबहुत सुन्दर प्रस्तुति...!
ReplyDeleteआपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल मंगलवार के "रेवडियाँ ले लो रेवडियाँ" (चर्चा मंच-1230) पर भी होगी!
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
thank u shastri jee ....
Deleteछोटी सी है जिन्दगी
ReplyDeleteलम्बे -लम्बे रास्ते
हर गम को गले लगाएं
एक दूजे के वास्ते ......
खुबसूरत अनुभूति लिए मन के आवेग
dhanyavad singh sahab.....
Deleteरिश्तों में मर्यादा हो
ReplyDeleteकम हो न ज्यादा हो
आधा तुम्हारा ,आधा मेरा
पूरा हमारा हो .
बहुत ही अच्छा संदेश।
सादर
dhanyavad mathur sahab....
Deleteबहुत ही सुन्दर कविता..
ReplyDelete:-)
एक दूजे के लिए सकारात्मक भाव लिए चलो चलें दूर गगन की छाँव में .बढ़िया रचना .
ReplyDeleteछोटी सी है जिन्दगी
ReplyDeleteलम्बे -लम्बे रास्ते
हर गम को गले लगाएं
एक दूजे के वास्ते .....बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति !
डैश बोर्ड पर पाता हूँ आपकी रचना, अनुशरण कर ब्लॉग को
अनुशरण कर मेरे ब्लॉग को अनुभव करे मेरी अनुभूति को
latest postजीवन संध्या
latest post परम्परा
छोटी सी है जिन्दगी
ReplyDeleteलम्बे -लम्बे रास्ते
हर गम को गले लगाएं
एक दूजे के वास्ते ...... बहुत ही सुन्दर
रिश्तों में मर्यादा हो
ReplyDeleteकम हो न ज्यादा हो
आधा तुम्हारा ,आधा मेरा
पूरा हमारा हो .
इस तरह बन जाता है तेरे मेरे प्यार का अपना आशियाना !!
बहूत खूब
एक दूजे के वास्ते ......
ReplyDeleteसागर की लहरों के साथ
थामें एक दूजे का हाथ
चलो साथी चलें उस ओर ...जहाँ ....
उन्मुक्त आकाश हो
दिन हो या रात हो
बुझे नहीं कभी मिलन से
ऐसी अतृप्त प्यास हो .....
सफर न अकेला हो ,शुभ भाव का मेला हो .बढ़िया रचना .
सहज, सरल, सर्वोत्त्कृष्ट, अत्युत्तम लेख बधाई हो
ReplyDeleteहिन्दी तकनीकी क्षेत्र की रोचक और ज्ञानवर्धक जानकारियॉ प्राप्त करने के लिये इसे एक बार अवश्य देखें,
लेख पसंद आने पर टिप्प्णी द्वारा अपनी बहुमूल्य राय से अवगत करायें, अनुसरण कर सहयोग भी प्रदान करें
MY BIG GUIDE
behatareen rachna utkrist prastuti
ReplyDeletethanks to all ..
ReplyDeleteभले आप किसी भी मार्ग पे चल रहें हों .गृहस्थ में रहके एडजस्ट करना ज़रूरी होता है .सबके साथ निभाओ ममत्व किसी के साथ न रखो यही जीते जी जीवन मुक्ति है .बढ़िया प्रस्तुति .
ReplyDeleteछोटी सी है जिन्दगी
लम्बे -लम्बे रास्ते
हर गम को गले लगाएं
एक दूजे के वास्ते ......
आपकी टिप्पणियाँ हमारे लिए बेशकीमती हैं .
ReplyDeleteरिश्तों में मर्यादा हो
ReplyDeleteकम हो न ज्यादा हो
आधा तुम्हारा ,आधा मेरा
पूरा हमारा हो ...
aapki abhivyakti itani umda hoti hai ki
meri tippani jhijhak jaati hai
upyukt shabd hi nahi milate
dhanyavad vibha jee ..bahut bahut aabhari hoon aapki,,,,
Deleteरिश्तों में मर्यादा हो
ReplyDeleteकम हो न ज्यादा हो
बहुत सुंदर , आजकल हम लोग ये ही भूल गए है की मर्यादा होती किया है,बिलकुल सही कहा
रिश्तों में मर्यादा हो
ReplyDeleteकम हो न ज्यादा हो
आधा तुम्हारा ,आधा मेरा
पूरा हमारा हो .... sunder panktiyan.