Monday, 15 April 2013

कहलाती वही नारी

आगे राह नहीं हो ..फिर भी 
राह बनानी आती हो                                        
मंज़िल पास नहीं हो,.. फिर भी 
मंज़िल तक वो जाती हो .....

दिल सहमा- सहमा रहता हो ...पर 
आँखें हँसती रहती है 
साहस और सच्चाई 
रगों में उसकी बहती है 

नारी के संसार में 
ऐसा हीं कुछ होता है 
सोच नहीं होती उसकी ..कि ...
है वो इक बेचारी 
हार नहीं माना जिसने 
कहलाती वही नारी ........

सोचिये क्या सभी औरतें ऐसी होती है ? जो होती है 
वही नारी कहलाती है ......जैसे सभी पुरुष मर्द नहीं होते ... 

        
         ब्लॉगर साथियों  आवश्यक कार्य की वजह से 
         कुछ दिन ब्लॉग जगत से दूर रहूँगी ....धन्यवाद ...
          

14 comments:

  1. आदरणीय डॉ. निशा महाराणा जी
    सोच नहीं होती उसकी ..कि ...
    है वो इक बेचारी
    हार नहीं माना जिसने
    कहलाती वही नारी .......
    ..... सुंदर सहज कविता के लिए आभार !!

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  2. दिल सहमा- सहमा रहता हो ...पर
    आँखें हँसती रहती है
    साहस और सच्चाई
    रगों में उसकी बहती है

    behatareen ***नारी के संसार में
    ऐसा हीं कुछ होता है
    सोच नहीं होती उसकी ..कि ...
    है वो इक बेचारी
    हार नहीं माना जिसने
    कहलाती वही नारी ........

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  3. सुन्दर भाव.....
    जो सशक्त है वही नारी है....

    जल्द लौट आइये....
    सस्नेह
    अनु

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  4. बहुत सुंदर-सशक्त भाव ...।

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  5. बिलकुल सही ... सुंदर रचना ।

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  6. बहुत उम्दा,सशक्त प्रस्तुति,आभार

    Recent Post : अमन के लिए.

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  7. वो इक बेचारी
    हार नहीं माना जिसने
    कहलाती वही नारी --सुन्दर सार्थक प्रस्तुति

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  8. बहुत खूब ... पर पुरुषों में पुरुष के अपेक्षा नारियों में नारियाँ ज्यादा होती हैं ...
    लाजवाब प्रस्तुति ...

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  9. बहुत उम्दा,सशक्त प्रस्तुति,आभार

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  10. वाह बहुत सुंदर रचना
    बधाई

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  11. कहलाती वाही नारी श्रेष्ठ संकल्पों की रचना है अति सुन्दर .मुबारकबाद !और शुक्रिया आपकी निरंतर टिप्पणियों का .

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  12. बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति

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