Thursday, 4 April 2013

ज्यों

दो नैनों के जाल में
दिल हो गया बेकरार
दिल से  मिलकर दिल खिला
ज्यों नज़रें हुई चार .....

24 comments:

  1. बढ़िया है आदरेया-

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  2. वाह बहुत ही सुन्दर आदरेया लाजवाब प्रस्तुति

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  3. वाह जी वाह.....
    :-)

    अनु

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  4. दो नैनों के जाल में
    दिल हो गया बेकरार
    दिल से मिलकर दिल खिला
    ज्यों नज़रें हुई चार ..

    kya baat hai.

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  5. बहुत सुन्दर .

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  6. बहुत सुंदर प्रस्तुति,,,

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  7. बहुत ही सुन्दर अभिव्यक्ति,आभार.

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  8. नैनों से नैन हुए चार आज मेरा दिल आ गया .बढ़िया प्रस्तुति दिल खिले ,आई बहार ,नैन हुए चार .

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  9. नैनों से नैन हुए चार आज मेरा दिल आ गया .बढ़िया प्रस्तुति दिल खिले ,आई बहार ,नैन हुए चार .

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  10. बढ़िया रूपक पुष्प के खिलने का दिल से दिल के मिलने का आँखों का चार होने का .

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  11. बहुत खूब ... नज़रें चार ... दिल के आरपार ...

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  12. एक प्यारी सी क्षणिका |

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  13. नैना हैं जादूभरे ।

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  14. गागर में सागर .शुक्रिया आपकी टिप्पणियों का .

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  15. बहुत खूब ...
    लगता है मेरी पहली टिप्पणी स्पैम में गई आपके ...
    चेक करें ...

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  16. निशा महाराणा जी आपकी कुछ पंक्तियों को हमारा हरयाणा ब्लॉग पर साँझा किया है

    http://bloggersofharyana.blogspot.in/

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