सोचा था मैंने-------
सच्चाई को शब्दों की
जरुरत नहीं होती-----
पता नही था----
चुप रहनेवालों को
दुनिया चोर समझती है।
गम इस बात का नहीं------
बिना किसी गुनाह के
उसने इलज़ाम लगाया मुझपे-----
गम इस बात का है
मेंने झूठ को सच के साये में
पलने दिया।
वो नहीं समझ पायेंगे कभी-------
मेंने ऐसा क्यों किया ?
सदियों चल सकती थी सायेमें उसके----
फिर भी कुछ लम्हों को क्यों जिया ?????????
आपके 'expressions'गजब के हैं निशा जी.
ReplyDeleteआपकी प्रस्तुति का निराला अंदाज बहुत अच्छा लगता है.
देरी से आने के लिए क्षमाप्रार्थी हूँ.
समय मिलने पर मेरे ब्लॉग पर आईयेगा.
नई पोस्ट आज ही जारी की है.
बहुत ही बढ़िया मैम!
ReplyDelete----
कल 27/11/2011को आपकी यह पोस्ट नयी पुरानी हलचल पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
धन्यवाद!
हर किसी में इस उन्मुक्ति की छटपटाहट होने चाहिए।
ReplyDeleteखुद के लिए जितना भी जी सके जीना चाहिए।
वो नहीं समझ पायेंगे कभी-------
ReplyDeleteमेंने ऐसा क्यों किया ?
सदियों चल सकती थी सायेमें उसके----
फिर भी कुछ लम्हों को क्यों जिया ?????????
बेहतरीन ।
बहुत भावपूर्ण कविता....
ReplyDeleteबेहद गहन भावाव्यक्ति।
ReplyDeleteगम इस बात का है
ReplyDeleteमेंने झूठ को सच के साये में
पलने दिया।
वो नहीं समझ पायेंगे कभी-------
मेंने ऐसा क्यों किया ?
सदियों चल सकती थी सायेमें उसके----
फिर भी कुछ लम्हों को क्यों जिया
बहुत ही खूब.
खूबसूरत प्रस्तुति.
वो नहीं समझ पायेंगे कभी-------
ReplyDeleteमेंने ऐसा क्यों किया ?
सदियों चल सकती थी सायेमें उसके----
फिर भी कुछ लम्हों को क्यों जिया ?????????bahut badhiyaa
बहुत खूब ||
ReplyDeleteसुन्दर रचनाओं में से एक ||
आभार ||
निशा जी आपने तो अपने भवो को कविता में पीरो दिया
ReplyDeleteबहुत ही सुंदर..बधाई....
नई पोस्ट में आपका स्वागत है
सदियों चल सकती थी सायेमें उसके----
ReplyDeleteफिर भी कुछ लम्हों को क्यों जिया ?????????
....बहुत गहरी सोच समाये सुंदर अभिव्यक्ति...
Hi I had a little issue looking at your site but other then that it’s a really awesome site
ReplyDeleteFrom everything is canvas
कभी-कभी सच को झूठ के साए में जीना होता है. एक कलिष्ट जीवन स्थिति का वर्णन करती सुंदर कविता.
ReplyDeleteआपके ब्लॉग को मैंने अपनी चुनिंदा सूची में रख लिया है.
ReplyDeleteबेहतरीन शब्द समायोजन..... भावपूर्ण अभिवयक्ति....
ReplyDeleteदुराचार जीतता तब सदाचार चुप रहता जब ........अच्छी रचना .
ReplyDeleteबहुत अच्छी कविता निशा जी |ब्लॉग पर आने के लिए आभार |
ReplyDeleteनिशा जी खूबसूरत रचना के लिए बधाई
ReplyDeleteगहन भावाभिव्यक्ति
ReplyDeleteबेहतरीन कविता, सुंदर भाव !
ReplyDeleteगहन अभिव्यक्ति... सुंदर रचना
ReplyDeleteवो नहीं समझ पायेंगे कभी-------
ReplyDeleteमेंने ऐसा क्यों किया ?
सदियों चल सकती थी सायेमें उसके----
ReplyDeleteफिर भी कुछ लम्हों को क्यों जिया ?????????
गहन अभिव्यक्ति .........
bahut hi bhavpurn rachana hai....
ReplyDeleteभावपूर्ण कविता!
ReplyDeleteबहुत रोचक और सुंदर प्रस्तुति.। मेरे नए पोस्ट पर (हरिवंश राय बच्चन) आपका स्वागत है । धन्यवाद ।
ReplyDeleteपश्चाताप की अग्नि अधिक दुखदायी होती है।
ReplyDeletewah.....
ReplyDeleteगम इस बात का है
ReplyDeleteमेंने झूठ को सच के साये में
पलने दिया।
sunder abhivyakti!
सुंदर भावो से सजी रचना,
ReplyDeleteमेरे पोस्ट 'शब्द'में स्वागत है
बहुत सुन्दर रचना ...! भाव का अनूठा मिश्रण !
ReplyDeleteवाह! बहुत खूब लिखा है आपने ! ख़ूबसूरत एवं भावपूर्ण रचना!
ReplyDeleteBeautiful lines.
ReplyDeleteसुन्दर भाव रचना मन भाई .
ReplyDeleteबहत सुन्दर रचना ..आभार
ReplyDeleteनिशा जी,...
ReplyDeleteमेरे नए पोस्ट "प्रतिस्पर्धा"में है इंतजार...
पछली पोस्ट में आने दिल से आभार ...
अरे वाह - :)
ReplyDeleteसच को सच ही में किसी शब्द की आवश्यकता नहीं होती - हाँ झूठ को expose करने के लिए कभी कभी सच का मुखर होना आवश्यक हो जाता है |
sach ko ayina dikhati rachna.
ReplyDeleteसच को पलने को कुछ और समय तो दीजिये...सच बलवान है इसलिए सदा ही विजयी है.
ReplyDeleteमेरे ब्लॉग पर आने के लिए शुक्रिया...आते रहिये यही गुजारिश :)
आप की रचना बड़ी अच्छी लगी और दिल को छु गई
ReplyDeleteइतनी सुन्दर रचनाये मैं बड़ी देर से आया हु आपका ब्लॉग पे पहली बार आया हु तो अफ़सोस भी होता है की आपका ब्लॉग पहले क्यों नहीं मिला मुझे बस असे ही लिखते रहिये आपको बहुत बहुत शुभकामनाये
आप से निवेदन है की आप मेरे ब्लॉग का भी हिस्सा बने और अपने विचारो से अवगत करवाए
धन्यवाद्
दिनेश पारीक
http://dineshpareek19.blogspot.com/
http://kuchtumkahokuchmekahu.blogspot.com/
सुन्दर अगीत हैं आपके ...
ReplyDeleteबहुत सुंदर रचना निशा जी,
ReplyDeleteआभार ब्लॉग पर आने का !
बहुत ही सटीक भाव..बहुत सुन्दर प्रस्तुति
ReplyDeleteबेहद खूबसूरत ...पोस्ट
शुक्रिया ..इतना उम्दा लिखने के लिए !!
सुन्दर प्रस्तुति | मेरे नए पोस्ट पर आपका इंतजार रहेगा । धन्यवाद ।
ReplyDelete""♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥
ReplyDeleteभय से मुक्ति प्राप्त करोगे, तभी साहसी बन सकते हो!
अछल साहसी ही बनने से, सत्य वचन पे ठन सकते हो!
भय की माला जपने से तो, केवल हार मिलेगी तुमको,
कर्म की युक्ति प्राप्त करोगे, तभी सफलता जन सकते हो!"
निशा जी, बहुत ही प्यारी रचना है जो सच को प्रदर्शित करती है! नमन आपकी लेखनी को!
thanks to all.
ReplyDeleteवो नहीं समझ पायेंगे कभी-------
ReplyDeleteमेंने ऐसा क्यों किया ?
सदियों चल सकती थी सायेमें उसके----
फिर भी कुछ लम्हों को क्यों जिया ?????????
sunder bhav
rachana
very nice post, i certainly love this website, keep on it
ReplyDeleteFrom Great talent
इस पोस्ट के लिए धन्यवाद । मरे नए पोस्ट :साहिर लुधियानवी" पर आपका इंतजार रहेगा ।
ReplyDeleteऔरों की ग़लत सोच का ग़म सत्कर्मी को क्यों? अपनी नेकी के आत्मसंतोष से बड़ा नहीं हो सकता उनका ज़बरिया क्लेश।
ReplyDeletebahut hi sundar
ReplyDeletethaks to all.
ReplyDelete"मेंने झूठ को सच के साये में
ReplyDeleteपलने दिया"...kafi gambheer soch hai..bahut khub!
http://isangam.blogspot.com/
http://sangamkarmyogi.blogspot.com/
अक्सर चुप रहने वाले पे इलज़ाम ही लगते हैं ...
ReplyDeletesundar vichar
ReplyDeleteसुन्दर प्रस्तुति ......
ReplyDeleteआपकी प्रस्तुति अच्छी लगी । मेरे नए पोस्ट "खुशवंत सिंह" पर आपका इंतजार रहेगा ।
ReplyDeletebahut umda kavita hai...
ReplyDelete