Friday, 23 December 2011

अपनापन

अपना कभी  अपनों  से
रूठ नही सकता
नींद  औ सपनों का रिश्ता
टूट नही सकता ........


एक दूसरे का साथ
विश्वास से चलता है 
बेगानों की दुनिया में  भला  कहाँ ?
अपनापन  मिलता है ..........



दुःख  मुझको  देकर  सोचो  भला .........
तुमने क्या पाया ?
उतना ही तुम भी दुखी हुए
जितना  मुझको तडपाया........



लाख कोशिश  करे पतझड़
बहारें  फिर भी आय़ेगी
उदासी भरे पल हो या ........
खुशियों भरी  शामें
जब -जब साँझ  ढलेगी
तुम्हें मेरी याद सताएगी ...........

लाख गम हो मुकद्दर  में निशा के ......
वो फिर भी खिलखिलाएगी .....
वो फिर भी खिलखिलाएगी ........

29 comments:

  1. क्या संयोग है...आज ही आपके ब्लॉग पर आई सुबह, तो लगा कि आप कुछ लिख क्यूँ नहीं रहीं...
    पूरा एक माह हुआ..
    खैर..
    बहुत प्यारी रचना...

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  2. शीर्षक से ही भावनाओं की गहराई का एह्सास होता है।

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  3. लाख गमो के बाद मुस्कुराना बड़ी बात है।

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  4. दुःख मुझको देकर सोचो भला .........
    तुमने क्या पाया ?
    उतना ही तुम भी दुखी हुए
    जितना मुझको तडपाया....to chalo muskura do

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  5. अहसासों की एक सुन्दर रचना.....

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  6. वाह ...बहुत खूब ।

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  7. बहुत सुन्दर! उम्दा प्रस्तुती!
    क्रिसमस की हार्दिक शुभकामनायें !

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  8. लाख कोशिश करे पतझड़
    बहारें फिर भी आय़ेगी
    उदासी भरे पल हो या
    खुशियों भरी शामें
    जब -जब साँझ ढलेगी
    तुम्हें मेरी याद सताएगी


    सुंदर रचना !

    आभार !!

    मेरी नई रचना ( अनमने से ख़याल )

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  9. Nishaji, ye padh ke bas ek tippani dene ki ikchha hui,"sadaa khilkhilate rahiye".

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  10. सरल शब्दों में गूढ़ बातें लिखी हैं, जो सहज ही दिल को छू गईं.. अंतिम पंक्ति में जिजीविषा उभर आई है... बधाई आपको..

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  11. मन में उठते भावों की सुंदर रचना,..
    पोस्ट अच्छी लगी,....

    "काव्यान्जलि"--नई पोस्ट--"बेटी और पेड़"-- में click करें

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  12. आपकी प्रस्तुति अच्छी लगी । मेरे नए पोस्ट पर आपका स्वागत है । धन्यवाद ।

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  13. कहीं अपनापन है तभी जि़ंदगी सार्थक है।
    बहुत अच्छी कविता।

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  14. बहुत सुन्दर एवं लयबद्ध रचना !
    आभार !

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  15. सच है उदासी लंबे समय तक नहीं रहती .... लाजवाब रचना है ...

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  16. बेहतरीन भाव।

    सादर

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  17. आपका अपनापन बहुत अच्छा लगा.
    मेरे ब्लॉग पर आप आयीं.बहुत ही अच्छा लगा.

    आभार.. बहुत बहुत आभार आपका,निशा जी.

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  18. Wah....jab jab sanjh dhalegi, tumhe hamari yaad sataayegi...

    bahut sundar....

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  19. लाख गम हो मुकद्दर में निशा के ......
    वो फिर भी खिलखिलाएगी .....
    वो फिर भी खिलखिलाएगी ....

    यही जज़्बा रहना चाहिए .. सुन्दर प्रस्तुति

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  20. भई बहुत सुन्दर प्रस्तुति वाह!

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  21. यही है निशा की नियति।

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  22. नींद औ सपनों का रिश्ता
    टूट नही सकता ........

    वाह! बहुत बढ़िया राचना....
    सादर बधाई...

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  23. लाख गम हो मुकद्दर में निशा के ......
    वो फिर भी खिलखिलाएगी .....

    positve thoughts...

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  24. दुःख मुझको देकर सोचो भला .........
    तुमने क्या पाया ?
    उतना ही तुम भी दुखी हुए
    जितना मुझको तडपाया......
    ..sach koi apna hai to wah dukh kisko deta hai, apne aapko hi.. badiya bhav pravarnta...

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  25. सार्थक सोच लिये बहुत सुंदर प्रस्तुति..

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  26. दुःख मुझको देकर सोचो भला .........
    तुमने क्या पाया ?
    उतना ही तुम भी दुखी हुए
    जितना मुझको तडपाया

    वाह ...बहुत बढ़िया बात कही है ... सुन्दर अभिव्यक्ति

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