अपना कभी अपनों से
रूठ नही सकता
नींद औ सपनों का रिश्ता
टूट नही सकता ........
एक दूसरे का साथ
विश्वास से चलता है
बेगानों की दुनिया में भला कहाँ ?
अपनापन मिलता है ..........
दुःख मुझको देकर सोचो भला .........
तुमने क्या पाया ?
उतना ही तुम भी दुखी हुए
जितना मुझको तडपाया........
लाख कोशिश करे पतझड़
बहारें फिर भी आय़ेगी
उदासी भरे पल हो या ........
खुशियों भरी शामें
जब -जब साँझ ढलेगी
तुम्हें मेरी याद सताएगी ...........
लाख गम हो मुकद्दर में निशा के ......
वो फिर भी खिलखिलाएगी .....
वो फिर भी खिलखिलाएगी ........
रूठ नही सकता
नींद औ सपनों का रिश्ता
टूट नही सकता ........
एक दूसरे का साथ
विश्वास से चलता है
बेगानों की दुनिया में भला कहाँ ?
अपनापन मिलता है ..........
दुःख मुझको देकर सोचो भला .........
तुमने क्या पाया ?
उतना ही तुम भी दुखी हुए
जितना मुझको तडपाया........
लाख कोशिश करे पतझड़
बहारें फिर भी आय़ेगी
उदासी भरे पल हो या ........
खुशियों भरी शामें
जब -जब साँझ ढलेगी
तुम्हें मेरी याद सताएगी ...........
लाख गम हो मुकद्दर में निशा के ......
वो फिर भी खिलखिलाएगी .....
वो फिर भी खिलखिलाएगी ........
क्या संयोग है...आज ही आपके ब्लॉग पर आई सुबह, तो लगा कि आप कुछ लिख क्यूँ नहीं रहीं...
ReplyDeleteपूरा एक माह हुआ..
खैर..
बहुत प्यारी रचना...
शीर्षक से ही भावनाओं की गहराई का एह्सास होता है।
ReplyDeleteलाख गमो के बाद मुस्कुराना बड़ी बात है।
ReplyDeleteदुःख मुझको देकर सोचो भला .........
ReplyDeleteतुमने क्या पाया ?
उतना ही तुम भी दुखी हुए
जितना मुझको तडपाया....to chalo muskura do
अहसासों की एक सुन्दर रचना.....
ReplyDeletethanks to all.
ReplyDeleteवाह ...बहुत खूब ।
ReplyDeleteबहुत सुन्दर! उम्दा प्रस्तुती!
ReplyDeleteक्रिसमस की हार्दिक शुभकामनायें !
लाख कोशिश करे पतझड़
ReplyDeleteबहारें फिर भी आय़ेगी
उदासी भरे पल हो या
खुशियों भरी शामें
जब -जब साँझ ढलेगी
तुम्हें मेरी याद सताएगी
सुंदर रचना !
आभार !!
मेरी नई रचना ( अनमने से ख़याल )
Nishaji, ye padh ke bas ek tippani dene ki ikchha hui,"sadaa khilkhilate rahiye".
ReplyDeleteसरल शब्दों में गूढ़ बातें लिखी हैं, जो सहज ही दिल को छू गईं.. अंतिम पंक्ति में जिजीविषा उभर आई है... बधाई आपको..
ReplyDeleteमन में उठते भावों की सुंदर रचना,..
ReplyDeleteपोस्ट अच्छी लगी,....
"काव्यान्जलि"--नई पोस्ट--"बेटी और पेड़"-- में click करें
आपकी प्रस्तुति अच्छी लगी । मेरे नए पोस्ट पर आपका स्वागत है । धन्यवाद ।
ReplyDeleteकहीं अपनापन है तभी जि़ंदगी सार्थक है।
ReplyDeleteबहुत अच्छी कविता।
बहुत सुन्दर एवं लयबद्ध रचना !
ReplyDeleteआभार !
सच है उदासी लंबे समय तक नहीं रहती .... लाजवाब रचना है ...
ReplyDeleteबेहतरीन भाव।
ReplyDeleteसादर
आपका अपनापन बहुत अच्छा लगा.
ReplyDeleteमेरे ब्लॉग पर आप आयीं.बहुत ही अच्छा लगा.
आभार.. बहुत बहुत आभार आपका,निशा जी.
Wah....jab jab sanjh dhalegi, tumhe hamari yaad sataayegi...
ReplyDeletebahut sundar....
लाख गम हो मुकद्दर में निशा के ......
ReplyDeleteवो फिर भी खिलखिलाएगी .....
वो फिर भी खिलखिलाएगी ....
यही जज़्बा रहना चाहिए .. सुन्दर प्रस्तुति
भई बहुत सुन्दर प्रस्तुति वाह!
ReplyDeleteयही है निशा की नियति।
ReplyDeleteनींद औ सपनों का रिश्ता
ReplyDeleteटूट नही सकता ........
वाह! बहुत बढ़िया राचना....
सादर बधाई...
सुन्दर अभिव्यक्ति,बधाई
ReplyDeletev7: स्वप्न से अनुराग कैसा........
लाख गम हो मुकद्दर में निशा के ......
ReplyDeleteवो फिर भी खिलखिलाएगी .....
positve thoughts...
दुःख मुझको देकर सोचो भला .........
ReplyDeleteतुमने क्या पाया ?
उतना ही तुम भी दुखी हुए
जितना मुझको तडपाया......
..sach koi apna hai to wah dukh kisko deta hai, apne aapko hi.. badiya bhav pravarnta...
सार्थक सोच लिये बहुत सुंदर प्रस्तुति..
ReplyDeletethanks to all.
ReplyDeleteदुःख मुझको देकर सोचो भला .........
ReplyDeleteतुमने क्या पाया ?
उतना ही तुम भी दुखी हुए
जितना मुझको तडपाया
वाह ...बहुत बढ़िया बात कही है ... सुन्दर अभिव्यक्ति