Friday, 4 November 2011

सच कहूँ ?

तुम्हारी एक खामोश नज़र ने 
मुझे दिखा दिये
तुम्हारे बरसों से धारण किये हुये
धेर्य को 
तुम्हारी प्रतीक्षा करने की शक्ति को 
सलाम है तुम्हारी इस भक्ति को
जिसने पत्थर को पिघला दिया 
जो दिन मुझे नही देखना था
वो दिन भी दिखला दिया
जो सहन नहीं कर सकती थी
उसे सहना सिखा दिया
जो बहना मुश्किल था
उसे निर्झर बना बहा दिया़ 
अनवरत अहर्निश,सच कहूँ ?
लिखे गये ये शब्द , मेरी उक्ति नही 
बल्कि तेरी ही अभिव्यक्ति है
महसुस  हो गया है 
मुझे कि प्यार में कितना दम होता है
कितना भी व्यक्त करो ये हमेशा कम होता है।

28 comments:

  1. bahut hi shandaar rachna...
    bhakti me hi shakti hoti hai..
    jai hind jai bharat

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  2. जो दिन मुझे नही देखना था
    वो दिन भी दिखला दिया
    जो सहन नहीं कर सकती थी
    उसे सहना सिखा दिया
    जो बहना मुश्किल था
    उसे निर्झर बना बहा दिया़ ... yahi to jivan ka jadu hai

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  3. यह सहन शक्ति एक दिन रंग ज़रूर लायेगी।

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  4. लिखे गये ये शब्द , मेरी उक्ति नही
    बल्कि तेरी ही अभिव्यक्ति है
    महसुस हो गया है
    मुझे कि प्यार में कितना दम होता है
    कितना भी व्यक्त करो ये हमेशा कम होता है।

    यह पंक्तियाँ बहुत अच्छी लगीं।

    सादर

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  5. महसुस हो गया है
    मुझे कि प्यार में कितना दम होता है
    कितना भी व्यक्त करो ये हमेशा कम होता है।

    बहुत सुन्दर एहसास .. धैर्य सब कुछ सिखा देता है .

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  6. महसुस हो गया है
    मुझे कि प्यार में कितना दम होता है
    कितना भी व्यक्त करो ये हमेशा कम होता है।

    Bahut Sunder

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  7. तुम्हारी एक खामोश नज़र ने
    मुझे दिखा दिये..... सुन्दर अभिवयक्ति....

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  8. मुझे कि प्यार में कितना दम होता है
    कितना भी व्यक्त करो ये हमेशा कम होता है।....

    Very true !

    .

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  9. बहुत अच्छी रचना !

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  10. pyar ki shakti ko bahut komalta se likha hai, badhai.

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  11. मुझे कि प्यार में कितना दम होता है
    कितना भी व्यक्त करो ये हमेशा कम होता है।

    प्यार की शक्ति का सुंदर अहसास.

    बदिया प्रस्तुति.

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  12. महसुस हो गया है
    मुझे कि प्यार में कितना दम होता है
    कितना भी व्यक्त करो ये हमेशा कम होता है।
    सुंदर!

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  13. गहरे भाव और अभिव्यक्ति के साथ लाजवाब रचना लिखा है आपने! बधाई!
    मेरे नये पोस्ट पर आपका स्वागत है-
    http://seawave-babli.blogspot.com/

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  14. सच मुच
    महसुस हो गया है
    मुझे कि प्यार में कितना दम होता है
    कितना भी व्यक्त करो ये हमेशा कम होता है।

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  15. निशा जी, बहुत अच्छा लगा आपके ब्लॉग पर आकर...कई रचनाएं देखीं, दिल को छू गईं...बधाई

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  16. अंतिम दो पंक्तियाँ अच्छी लगीं।

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  17. "लिखे गये ये शब्द , मेरी उक्ति नही
    बल्कि तेरी ही अभिव्यक्ति है
    महसुस हो गया है
    मुझे कि प्यार में कितना दम होता है
    कितना भी व्यक्त करो ये हमेशा कम होता है।"

    अति सुंदर!

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  18. सुन्दर अभिव्यक्ति.

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  19. बहुत बहुत अच्छा लिखा है मैम आपने।

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  20. महसुस हो गया है
    मुझे कि प्यार में कितना दम होता है
    कितना भी व्यक्त करो ये हमेशा कम होता है।

    waha bahut khub........sach kaha

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  21. वाह वाह.. अंतिम पंक्तियाँ तो बेहतरीन है!
    कितना भी व्यक्त करो ये हमेशा कम होता है।

    आभार

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  22. महसुस हो गया है
    मुझे कि प्यार में कितना दम होता है
    कितना भी व्यक्त करो ये हमेशा कम होता है।

    ...बहुत सुन्दर प्रस्तुति॥

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  23. तुम्हारी एक खामोश नज़र ने
    मुझे दिखा दिये
    तुम्हारे बरसों से धारण किये हुये.... सुन्दर भावाभिवय्क्ति....

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  24. निशा जी नमस्कार, प्यार मे कितना दम होता है------बहुत खूब्।

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  25. very nice poem..
    i'm happy to join ur blog...

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  26. अनवरत अहर्निश,सच कहूँ ?
    लिखे गये ये शब्द , मेरी उक्ति नही
    बल्कि तेरी ही अभिव्यक्ति है

    आपकी सशक्त रचना दिल को छूती है.
    बहुत सही और सच कहा है आपने.

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