तुम्हारी एक खामोश नज़र ने
तुम्हारे बरसों से धारण किये हुये
धेर्य को
तुम्हारी प्रतीक्षा करने की शक्ति को
सलाम है तुम्हारी इस भक्ति को
जिसने पत्थर को पिघला दिया
जो दिन मुझे नही देखना था
वो दिन भी दिखला दिया
जो सहन नहीं कर सकती थी
उसे सहना सिखा दिया
जो बहना मुश्किल था
उसे निर्झर बना बहा दिया़
अनवरत अहर्निश,सच कहूँ ?
लिखे गये ये शब्द , मेरी उक्ति नही
बल्कि तेरी ही अभिव्यक्ति है
महसुस हो गया है
मुझे कि प्यार में कितना दम होता है
कितना भी व्यक्त करो ये हमेशा कम होता है।
bahut hi shandaar rachna...
ReplyDeletebhakti me hi shakti hoti hai..
jai hind jai bharat
जो दिन मुझे नही देखना था
ReplyDeleteवो दिन भी दिखला दिया
जो सहन नहीं कर सकती थी
उसे सहना सिखा दिया
जो बहना मुश्किल था
उसे निर्झर बना बहा दिया़ ... yahi to jivan ka jadu hai
बहुत सुन्दर वाह!
ReplyDeleteयह सहन शक्ति एक दिन रंग ज़रूर लायेगी।
ReplyDeleteलिखे गये ये शब्द , मेरी उक्ति नही
ReplyDeleteबल्कि तेरी ही अभिव्यक्ति है
महसुस हो गया है
मुझे कि प्यार में कितना दम होता है
कितना भी व्यक्त करो ये हमेशा कम होता है।
यह पंक्तियाँ बहुत अच्छी लगीं।
सादर
महसुस हो गया है
ReplyDeleteमुझे कि प्यार में कितना दम होता है
कितना भी व्यक्त करो ये हमेशा कम होता है।
बहुत सुन्दर एहसास .. धैर्य सब कुछ सिखा देता है .
महसुस हो गया है
ReplyDeleteमुझे कि प्यार में कितना दम होता है
कितना भी व्यक्त करो ये हमेशा कम होता है।
Bahut Sunder
तुम्हारी एक खामोश नज़र ने
ReplyDeleteमुझे दिखा दिये..... सुन्दर अभिवयक्ति....
मुझे कि प्यार में कितना दम होता है
ReplyDeleteकितना भी व्यक्त करो ये हमेशा कम होता है।....
Very true !
.
बहुत अच्छी रचना !
ReplyDeletepyar ki shakti ko bahut komalta se likha hai, badhai.
ReplyDeleteमुझे कि प्यार में कितना दम होता है
ReplyDeleteकितना भी व्यक्त करो ये हमेशा कम होता है।
प्यार की शक्ति का सुंदर अहसास.
बदिया प्रस्तुति.
महसुस हो गया है
ReplyDeleteमुझे कि प्यार में कितना दम होता है
कितना भी व्यक्त करो ये हमेशा कम होता है।
सुंदर!
thanks to all.
ReplyDeleteगहरे भाव और अभिव्यक्ति के साथ लाजवाब रचना लिखा है आपने! बधाई!
ReplyDeleteमेरे नये पोस्ट पर आपका स्वागत है-
http://seawave-babli.blogspot.com/
सच मुच
ReplyDeleteमहसुस हो गया है
मुझे कि प्यार में कितना दम होता है
कितना भी व्यक्त करो ये हमेशा कम होता है।
निशा जी, बहुत अच्छा लगा आपके ब्लॉग पर आकर...कई रचनाएं देखीं, दिल को छू गईं...बधाई
ReplyDeleteअंतिम दो पंक्तियाँ अच्छी लगीं।
ReplyDelete"लिखे गये ये शब्द , मेरी उक्ति नही
ReplyDeleteबल्कि तेरी ही अभिव्यक्ति है
महसुस हो गया है
मुझे कि प्यार में कितना दम होता है
कितना भी व्यक्त करो ये हमेशा कम होता है।"
अति सुंदर!
सुन्दर अभिव्यक्ति.
ReplyDeleteबहुत बहुत अच्छा लिखा है मैम आपने।
ReplyDeleteमहसुस हो गया है
ReplyDeleteमुझे कि प्यार में कितना दम होता है
कितना भी व्यक्त करो ये हमेशा कम होता है।
waha bahut khub........sach kaha
वाह वाह.. अंतिम पंक्तियाँ तो बेहतरीन है!
ReplyDeleteकितना भी व्यक्त करो ये हमेशा कम होता है।
आभार
महसुस हो गया है
ReplyDeleteमुझे कि प्यार में कितना दम होता है
कितना भी व्यक्त करो ये हमेशा कम होता है।
...बहुत सुन्दर प्रस्तुति॥
तुम्हारी एक खामोश नज़र ने
ReplyDeleteमुझे दिखा दिये
तुम्हारे बरसों से धारण किये हुये.... सुन्दर भावाभिवय्क्ति....
निशा जी नमस्कार, प्यार मे कितना दम होता है------बहुत खूब्।
ReplyDeletevery nice poem..
ReplyDeletei'm happy to join ur blog...
अनवरत अहर्निश,सच कहूँ ?
ReplyDeleteलिखे गये ये शब्द , मेरी उक्ति नही
बल्कि तेरी ही अभिव्यक्ति है
आपकी सशक्त रचना दिल को छूती है.
बहुत सही और सच कहा है आपने.