हँसना चाहती है ......
अपने गम को सहगामी बना
जख्मों को सहलाती है ...
सहलाने के दर्दमय क्रम में
सांस लेना भूल जाती है ...
किस गम को हल्का समझे ..
कभी समझ न पाती है ...
खुद से लड़े या दुनिया से
करती रहती ये तैयारी
हार नहीं माना जिसने ....
कहलाती वही ना .....री .....
जीवन सफर का अनथक सहयात्री है जो -
ReplyDeleteचलाए रखता है जो जीवन नाव बनके खिवैया वही ना .....री .
खुद से लड़े या दुनिया से
ReplyDeleteकरती रहती ये तैयारी
हार नहीं माना जिसने ....
कहलाती वही ना .....री .....
sunder abhivyakti
rachana
खुद से लड़े या दुनिया से
ReplyDeleteकरती रहती ये तैयारी
हार नहीं माना जिसने ....
कहलाती वही नारी ......बेहतरीन पंक्तियाँ ,,,
recent post: गुलामी का असर,,,
हार नहीं माना जिसने ....
ReplyDeleteकहलाती वही ना .....री .....
बहुत ही अच्छी संज्ञा दी है आपने।
नारी के इस यज्ञ को नमन।
सटीक |
ReplyDeleteआभार आदरेया ||
ReplyDeleteदिनांक 25/01/2013 को आपकी यह पोस्ट http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर लिंक की जा रही हैं.आपकी प्रतिक्रिया का स्वागत है .
धन्यवाद!
dhanyavad yashwant jee....
Deleteखुद से लड़े या दुनिया से
ReplyDeleteकरती रहती ये तैयारी
हार नहीं माना जिसने ....
कहलाती वही ना .....री .....
निःशब्द करती भावनाएं
भावपूर्ण अभिव्यक्ति ...
ReplyDeleteसुन्दर रचना
ReplyDeletesunder prastuti.
ReplyDeleteहार नहीं माना जिसने .
ReplyDeleteकहलाती वही ना .....री ..
बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति के साथ ही एक सशक्त सन्देश भी है इस रचना में।
sundar abhivyakti.
ReplyDeleteनारी साहस ओर शक्ति है ... हार क्यों माने ...
ReplyDeleteअच्छी रचना ...