Friday, 8 February 2013

मन


    1.
स्वार्थी मन 
तोड़ देता सम्बन्ध 
जानबूझकर ........


      2.
व्याकुल मन 
निस्तब्ध निशा 
आत्मविस्मृति के क्षण ......


        3.
युगों की भटकन 
मन की उलझन 
रुह में समाई .......


         4.
जीवन संघर्ष 
बोझिल है मन 
भटके नयन ......


          5.
पुरानी पहचान 
दिल में उफान 
उदास है मन ......

          6.

दुविधाग्रस्त मन 
सच्चाई को 
देख न पाए ..........


       7.
अतीत के गलियारे में 
भटक रहा मन 
ये क्या हो गया ?

      

21 comments:

  1. मानसिक धुंध के सटीक भाव चित्र उकेरे हैं आपने .बधाई .

    ReplyDelete
  2. मन के भावों की सटीक अभिव्यक्ति,,,बधाई

    RECENT POST: रिश्वत लिए वगैर...

    ReplyDelete
  3. टुकड़े टुकड़े एहसासों के गहरे अर्थ

    ReplyDelete
  4. आपकी इस उत्कृष्ट प्रविष्टि की चर्चा कल रविवार 10-फरवरी-13 को चर्चा मंच पर की जायेगी आपका वहां हार्दिक स्वागत है.

    ReplyDelete
  5. मन ही मन
    गुन रहे हैं हम
    मन के भाव .....

    बहुत सुंदर हाइकु ।

    ReplyDelete
    Replies
    1. dhanyavad sangeeta jee main aapka intjaar bahut dinon se kar rahi thi ...

      Delete
  6. अपने दर्द को चन्द शब्दों टुकड़ो में समेट दिया
    बहुत खूब निशा जी

    ReplyDelete
  7. इस जरुरत का मैं कारण पूछ सकता हूँ निशा जी
    आपका बहुत बहुत आभार

    ReplyDelete
    Replies
    1. vaise to bahut saare karan hain dinesh jee par ik sabse bada karan yah hai ki
      abhi november 30th ko meri didi ki death ho gai hai ....ye pankti ...ki...jo likha hai jarur hoga ......kabhi shikwa nahi karna .......ne ...mere dil ko thodi shakti deee... vaise practicalli bhi bahut sari panktiyaan acchi thi jaise....bharosa bhi jaruri hai ..par sabka nahi karna ......real men bahut accha likha hai thanks mere dil ki bat bhi likhne ke liye ....

      Delete
  8. अपने दर्द को चन्द शब्दों टुकड़ो में समेट दिया
    बहुत खूब निशा जी

    ReplyDelete
  9. अर्थपूर्ण हाइकु

    ReplyDelete
  10. बहुत ही गहरे अर्थ लिए ... सभी हाइकू लाजवाब ...

    ReplyDelete
  11. मनोभावों की गहन प्रस्तुति

    ReplyDelete
  12. बहुत ही सुन्दर क्षणिकाएं |आभार निशा जी |

    ReplyDelete
  13. .बहुत शानदार प्रस्तुति है भाषिक प्रभा लिए अर्थ छटा लिए .

    बढ़िया भाव कणिकाएं .शुक्रिया आपकी टिपण्णी का .पुराने हस्ताक्षर जब ब्लॉग पे लौट के आते हैं और भी अच्छा लगता है .

    ReplyDelete
  14. बढ़िया भाव कणिकाएं .शुक्रिया आपकी टिपण्णी का .पुराने हस्ताक्षर जब ब्लॉग पे लौट के आते हैं और भी अच्छा लगता है .

    ReplyDelete
  15. अर्थपूर्ण क्षणिकाएं

    ReplyDelete

  16. शुक्रिया आपकी टिपण्णी का .मुबारक प्रेम दिवस ,दाम्पत्य प्रेम ,ब्लोगिंग प्रेम .


    दुविधाग्रस्त मन
    सच्चाई को
    देख न पाए ..........


    यथार्थ से संवाद करती भाव कनिका .

    ReplyDelete