Thursday 10 May 2012

सुखमय यादें





एक-एक कर दिल के सारे
गिरह खोल दो----
जितनी भी बातें हैं मन में
बेहिचक  बोल दो----
क्या पता कब ??????
जिन्दगी की शाम आ जाये ????
कौन सी मुलाकात ??????
अंतिम  पैगाम  बन जाये---
 न जाने ----- कब ????कहाँ????कैसे ????
जिन्दगी और मौत की ठन जाये????


 मेरे घर का पिछवाडा--------

  बचपन से मेरे सुख-दुख का सहभागी----
                                         मेरी पहली पाठशाला------
                                            वक्त ने जिसे बदल दिया -----
  
     

मेरे घर का आंगन जहां चांद तारों को देखते हुये मैं सपने संजोती थी।




लाडों में पली

नाज़ों से पली
प्यारी बिटिया
ससुराल चली------











पल भर की खुशी
दुखविनाशक हथियार----

मां की कमी पर ----
भाभी का साथ----





बहना यूं ही बहती रहना ------








मौसी का घर
खुशियों का जहां---------











भाई-भाभी और मौसी के साथ----खुशियों की बरसात ----



]

ढेर सारी खुशियों को मेरी झोली मे देनेवाले मेरे पतिदेव
अपने ससुरालवालों के साथ-----













बाबुजी की कमी पर -------

खुशी की कोंपलें भतीजा -----भतीजी----










नानी का गाँव-----
सपनों का जहाँ ----
  



अलविदा बचपन की यादें
अलविदा सुखमय छाँह----
याद नहीं आना अब मुझको----
ये है मेरा अंतिम सलाम----




27 comments:

  1. मुझे भी याद आ गया बहुत कुछ

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  2. दिल के सुंदर एहसास
    बचपन की यादें भुलाये नहीं भूलती......निशा जी

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  3. खिल गई मुस्कान ...बचपन की यादों के संग ....!!
    शुभकामनायें ...!!

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  4. यादो की अंतहीन अभिवयक्ति.....

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  5. अपने एहसासों को साझा करने के लिए...ह्रदय से आभार...बचपन की यादें तो संजो के रखने के लिए हैं...उन्हें अलविदा नहीं किया जा सकता...

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    1. aap bilkul sahi kah rahe hain par yaden jab dard ban jati hai to use alvida karne ki koshish avashya karni chahiye .....baki bhagvan ki marji ho sakta hai ki ik bar fir se mauka mil jaye vhan jane ka par dil ko samjhane ka ye tarika mujhe accha lgta hai.....thanks....nd aabhar...

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  6. यह यादें तो फिर भी आती रहेंगी .... सुंदर चित्रमय पोस्ट

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  7. चित्रमय यादों की लाजबाब बेहतरीन प्रस्तुति,.....यादगार पोस्ट ...

    MY RECENT POST.....काव्यान्जलि ...: आज मुझे गाने दो,...

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  8. सजीव रिपोर्ताज व्यतीत का यादों के झरोखे से आवेग से संसिक्त बेहतरीन रही ये पोस्ट अतीत के झरोखे से वर्तमान को निहारती अलविदा कहती .बधाई .
    कृपया यहाँ भी दस्तक देवें .शुक्रिया .बुधवार, 9 मई 2012
    शरीर की कैद में छटपटाता मनो -भौतिक शरीर


    बुधवार, 9 मई 2012
    http://kabirakhadabazarmein.blogspot.in/2012/05/blog-post_3409.हटमल


    जीवन में बड़ा मकसद रखना दिमाग में होने वाले कुछ ऐसे नुकसान दायक बदलावों को मुल्तवी रख सकता है जिनका अल्जाइमर्स से सम्बन्ध है .

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  9. यादें संजोये, सुंदर चित्रमयी पोस्ट

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  10. अंतिम सलाम न कहें..ये तो वजूद सा ही है...

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  11. बढ़िया |
    बहुत बहुत शुभकामनायें |
    आभार |

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  12. अंतिम सलाम क्यों?
    संजो कर रखे यादें अपने मन में,
    ज्यों तुलसी में दीया बाले बचपन में।

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    1. अंतिम सलाम इसलिये कि शायद अब नानी या मौसी के घर जाना संभव न हो या जाना हो भी तो हो सकता है कि
      मौसी ना मिले जैसे माँ या पिताजी नहीं मिले-----उस जानलेवा पीडा से मुक्ति के लिये दिल को तैयार करना चाहती हूँ-----

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  13. bahut sundar pyara hasta muskuta guldasta...
    bahut sundar yaaden samete hain aapne....

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  14. सुन्दर यादों का बेमिशाल चित्रण शब्दों और चित्रों के साथ.

    आभार.

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  15. अंतिम सलाम अच्छा नहीं लगा ....
    शुभकामनायें !

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  16. एक-एक कर दिल के सारे
    गिरह खोल दो----
    जितनी भी बातें हैं मन में
    बेहिचक बोल दो----
    क्या पता कब ?
    जिन्दगी की शाम आ जाये ?
    कौन सी मुलाकात ?
    अंतिम पैगाम बन जाये--

    -सुखमय यादों संग आप यूँ ही परिवार संग खुशियाँ
    बाटती रहें .इश्वर से प्रार्थना आप यूँ मुस्कुराती रहें

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  17. बहुत बेहतरीन व प्रभावपूर्ण रचना....
    मेरे ब्लॉग पर आपका हार्दिक स्वागत है।

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  18. सुखमय यादों कों संजो के लिए भावमय सुन्दर पोस्ट ... बहुत अच्छा लगा आपके बीते बचपन और समय कों देखना ... पर क्या इन यादों कों अंतिम सलाम किया जा सकता है ... और क्यों किया जाय ...

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  19. यादगार पलों का बहुत सुन्दर सफ़र...

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  20. बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति.


    माँ है मंदिर मां तीर्थयात्रा है,
    माँ प्रार्थना है, माँ भगवान है,
    उसके बिना हम बिना माली के बगीचा हैं!

    संतप्रवर श्री चन्द्रप्रभ जी

    आपको मातृदिवस की हार्दिक शुभकामनाएं

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  21. बहुत अच्छी तस्वीरों से सजी पोस्ट। आपके साथ हम उन यादों की गलियारों से हो आए।

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  22. चित्रों ने अहसासों को और भी गहरा कर दिया है। सुंदर पोस्ट !

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  23. बहुत सुंदर प्रस्तुती ....

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  24. यादों का सुनहरा एलबम।

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  25. वाह! बहुत सुन्दर.
    कभी अलविदा न कहना.

    बीता जमाना तो यही कहता है.
    जब याद हमारी आये तो याद कर लेना.

    सुन्दर भावुक प्रस्तुति के लिए आभार,निशा जी.

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