तुम्हें सूरज की किरणें चाहिए
तुम टकसाल के प्रहरी हो ??????
मैं वीणा की रागिनीमानव-मन की विषमताओं को
जान सका न कोय ??????
राहें जुदा-जुदा है अपनी
कैसे मिलना होय???????
मिलना ही है गर तुमको तो?????
भगीरथ सा प्रयास करना होगा
राह बदलकर राही तुमको
अगले मोड पर -----
मिलना होगा
मेरा क्या है़------
बनकर बदली कहीं भी
बरस जाऊगी----
राह तुम तकते रहोगे-----
नज़र नहीं कहीं आउँगी
बनकर यादें मानसपटल पर
जीवनभर तडपाऊँगी-------
ब्लागर साथियों आवश्यक कार्य की वजह से १५ दिन तक ब्लाँग जगत से दूर रहूँगी----------
मेरा क्या है़------
ReplyDeleteबनकर बदली कहीं भी
बरस जाऊगी----
सुंदर भाव ...शुभयात्रा निशा जी ....!!
मिलना ही है गर तुमको तो,
ReplyDeleteभगीरथ सा प्रयास करना होगा
धारा का क्या है, जो लगाव से उतार ले, उधर बह चलेगी... अच्छी रचना है
सादर
बहुत ही बेहतरीन और प्रशंसनीय प्रस्तुति....
ReplyDeleteइंडिया दर्पण की ओर से आभार।
मेरा क्या है़------
ReplyDeleteबनकर बदली कहीं भी
बरस जाऊगी-.........बहुत सुन्दर रचना..
...शुभयात्रा निशा जी
thanks to all......
ReplyDeleteइतनी खूबसूरत रचना देकर अनुपस्थिति स्वीकार्य है ... जल्दी लौटिये
ReplyDeleteब्लॉग्गिंग से ज्यादा क्या जरूरी है????
ReplyDelete:-)
have a nice time....
regards
anu
ps- very nice poem.
बहुत सुन्दर प्रस्तुति, वाह क्या बात है
ReplyDelete(अरुन = arunsblog.in)
राह तुम तकते रहोगे-----
ReplyDeleteनज़र नहीं कहीं आउँगी
बनकर यादें मानसपटल पर
जीवनभर तडपाऊँगी-------
वाह ,,,, बहुत ही अच्छी रचना,....
RECENT POST काव्यान्जलि ...: किताबें,कुछ कहना चाहती है,....
BAHUT ACHCHHI RACHNA HAI AAPKI...BADHAI
ReplyDeleteNEERAJ
बहुत सुन्दर प्रस्तुति।
ReplyDeleteधरती आसमान का मिलन संभव नहीं पर किसी न किसी छोर पे वो भी मिलते ही है ... अच्छा लिखा है ...
ReplyDeletebahut pyari si prastuti........
ReplyDeleteराहें जुदा-जुदा है अपनी
ReplyDeleteकैसे मिलना होय,,,
प्रेम मिलन के लिए तो आँखें ही काफी हैं .....
राहें जुदा-जुदा है अपनी
ReplyDeleteकैसे मिलना होय,,,
प्रेम मिलन के लिए तो आँखें ही काफी हैं .....
sahi bat....
Deleteham sabhi intjaar karnge apke lautne ka...behtreen abhivaykti....
ReplyDeleteअगले मोड़ पर प्रतीक्षारत होगा कोई
ReplyDeleteमन के भावों को उकेरती हुई सुन्दर रचना ...बहुत खूब
ReplyDeleteवाह ...बहुत ही अच्छी प्रस्तुति।
ReplyDeleteमेरा क्या है़------
ReplyDeleteबनकर बदली कहीं भी
बरस जाऊगी----
जल वाष्प बन उड़ जाऊंगी ,हवा के संग गाऊंगी ...अच्छी रचना है
कृपया यहाँ भी पधारें -
ram ram bhai
मंगलवार, 22 मई 2012
:रेड मीट और मख्खन डट के खाओ अल्जाइ -मर्स का जोखिम बढ़ाओ
http://veerubhai1947.blogspot.in/
और यहाँ भी -
स्वागत बिधान बरुआ :आमंत्रित करता है लोकमान्य तिलक महापालिका सर्व -साधारण रुग्णालय शीयन ,मुंबई ,बिधान बरुआ साहब को जो अपनी सेक्स चेंज सर्जरी के लिए पैसे की तंगी से जूझ रहें हैं .
http://kabirakhadabazarmein.blogspot.in/
अगले मोड़ का महत्व है. उसी में जीवन छिपा है. सुंदर रचना.
ReplyDeleteबहुत सुन्दर रचना, बधाई.
ReplyDeleteसुंदर रचना.
ReplyDeleteबहुत ही बेहतरीन रचना....
ReplyDeleteमेरे ब्लॉग
विचार बोध पर आपका हार्दिक स्वागत है।
बहुत ही बेहतरीन रचना....
ReplyDeleteमेरे ब्लॉग
विचार बोध पर आपका हार्दिक स्वागत है।
मेरा क्या है़
ReplyDeleteबनकर बदली कहीं भी
बरस जाऊगी
राह तुम तकते रहोगे
नजर नहीं कहीं आउँगी
बनकर यादें मानसपटल पर
जीवनभर तडपाऊँगी
कितनी सुंदर कविता लिखी है आपने, वाह।
बहुत ही बेहतरीन और प्रशंसनीय प्रस्तुति....
ReplyDeleteहैल्थ इज वैल्थपर पधारेँ।
बहुत ही बेहतरीन रचना....
ReplyDeleteमेरे ब्लॉग
विचार बोध पर आपका हार्दिक स्वागत है।
Very nice post.....
ReplyDeleteAabhar!
Mere blog pr padhare.
very nicely written !
ReplyDeleteमेरा क्या है़------
ReplyDeleteबनकर बदली कहीं भी
बरस जाऊगी----
राह तुम तकते रहोगे-----
नज़र नहीं कहीं आउँगी
बनकर यादें मानसपटल पर
जीवनभर तडपाऊँगी-------
वाह, बहुत खूब.रचना मन को छू गई.
thanks to all......
ReplyDeleteमेरा क्या है़------
ReplyDeleteबनकर बदली कहीं भी
बरस जाऊगी----
राह तुम तकते रहोगे-----
नज़र नहीं कहीं आउँगी
बनकर यादें मानसपटल पर
जीवनभर तडपाऊँगी-------
स्वागतम स्वागतम बाद अल्पविराम आपका ब्लॉग पर .
कृपया यहाँ भी पधारें -
फिरंगी संस्कृति का रोग है यह
प्रजनन अंगों को लगने वाला एक संक्रामक यौन रोग होता है सूजाक .इस यौन रोग गान' रिया(Gonorrhoea) से संक्रमित व्यक्ति से यौन संपर्क स्थापित करने वाले व्यक्ति को भी यह रोग लग जाता है .
http://kabirakhadabazarmein.blogspot.in/
ram ram bhai
शुक्रवार, 8 जून 2012
जादू समुद्री खरपतवार क़ा
बृहस्पतिवार, 7 जून 2012
कल का ग्रीन फ्यूल होगी समुद्री शैवाल
http://veerubhai1947.blogspot.in/
बहुत ही सुंदर प्रस्तुति । मेरे नए पोस्ट पर आपका स्वागत है । धन्यवाद ।
ReplyDeleteबहुत खूब...
ReplyDeleteबहुत सुन्दर भावपूर्ण प्रस्तुति.
ReplyDeleteआपका ब्लॉग जब यहाँ हैं तो आप दूर कैसे हो पाएंगीं.
अभी तो बहुत सी पोस्ट हैं आपकी, हमारे पढ़ने के लिए.
I read your post interesting and informative. I am doing research on bloggers who use effectively blog for disseminate information.My Thesis titled as "Study on Blogging Pattern Of Selected Bloggers(Indians)".I glad if u wish to participate in my research.Please contact me through mail. Thank you.
ReplyDeletehttp://priyarajan-naga.blogspot.in/2012/06/study-on-blogging-pattern-of-selected.html