रेल की दो समानांतर
पटरिया हैं
जो एक दुसरे से
अलग नही हैं
आपस में जुड़े हुए हैं
विश्वास के अटूट बंधन से
बंधन इतना मजबूत है कि
ये मुसाफिर को उसकी
मंजिल तक पहुचातें हैं .........
साथ साथ चलनेवाले
साथी कहलाते हैं ......
सुन मेरे साथी
मेरी चाहत है
तुम औ मैं
हम बनकर
जीवनपथ पर
एक साथ चलें
तेरे गम मेरे हो
मेरे गम तेरे हो
ज्यादा .....कुछ ....और ..?????? नही.......
क्या तुम मेरे साथ ......
अंतहीन दूरी तक
चलना पसंद करोगे ??????/
मैं ......तेरी ...साथी ...
तुम पर इतना विश्वास
करती हूँ ......
क्या तुम ??///
मेरे विश्वास कि लाज रखोगे ?
जिंदगी की रेल की और पटरियों पहियों की खूबसूरत व्याख्या.. वाह बहुत खूब
ReplyDeleteमैं ......तेरी ...साथी ...
ReplyDeleteतुम पर इतना विश्वास
करती हूँ ......
क्या तुम ??///
.....सही कह रही हैं आप्
किसकी बात करें-आपकी प्रस्तुति की या आपकी रचनाओं की। सब ही तो आनन्ददायक हैं प्रभावशाली रचना है !!
thanks sanjay jee......manobal badhane ke liye..
Deleteतुम औ मैं के अटूट बंधन. .. अति सुन्दर |
ReplyDeletethanku amrita jee.....
Deleteआपसी विश्वास और प्यार पर ही साहचर्य टिका हुआ है!...बहुत सुन्दर प्रस्तुति!
ReplyDeletethanks dr. aruna jee......
Deleteक्या तुम मेरे साथ ......
ReplyDeleteअंतहीन दूरी तक
चलना पसंद करोगे ??????/
मैं ......तेरी ...साथी ...
तुम पर इतना विश्वास
करती हूँ ......
क्या तुम ??///
मेरे विश्वास कि लाज रखोगे ?.... इससे अधिक चाहिए भी क्या , बहुत सुन्दर
thanku rashmi jee....
Deleteरेल की पटरियों पर बहुत सुंदर कविता ....
ReplyDeleteरेल की पटरियों जैसी ...जो यात्रियों की यात्रा सुखद करती है ....
शुभकामनायें ...
thanku anupama jee..
Deleteजब अपनाने को तैयार है उसके गम भी..............
ReplyDeleteतो क्यूँ ना देगा वो साथ.................
सुन्दर भाव निशा जी.
thaku anu jee aapke aagmanka mai besabri se intjar karti hoon.
Deleteऔर हमें इन्तज़ार रहता है आपकी रचनाओं का....
Delete:-)
anu jee murga bola hai ka word verification hat gaya.
Delete'तुम' और 'मैं' के बीच 'वो' भी तो होना चाहिए एकमदम से नहीं???
ReplyDeleteयह मज़ाक था...बहुत सुन्दर भावाभिव्यक्ति
thanks mishra jee..
Deleteवाह, सुंदर!... आज समझ में आया कि मुहावरा- पटरी बैठना का क्या मतलब है!
ReplyDeletethanku sir.....
Deleteवाह ……………शानदार प्रस्तुति
ReplyDeletebahut sundar
ReplyDeleteभावनात्मक प्रस्तुति .... बहुत अच्छी लगी ॥
ReplyDeleteमैं ......तेरी ...साथी ...
ReplyDeleteतुम पर इतना विश्वास
करती हूँ ......
क्या तुम ??///
मेरे विश्वास कि लाज रखोगे ?
आध्यात्मिक जुड़ाव ,आशा और आश्था के फलक पर खड़ी है यह रचना .सुन्दर अति सुन्दर प्रस्तुति विशवास जगाती प्रेम में .यकीन पैदा करती खुद में .
क्या तुम मेरे साथ ...
ReplyDeleteअंतहीन दूरी तक
चलना पसंद करोगे ??????
एक अटूट रिश्ते की बुनियाद इसी भरोसे पर ही तो है, सुख हो या दुःख... सदा एक-दुसरे का साथ निभाने का भरोसा
ma'm prashn to hamesha rah hi jaate hain....par kyun....???
ReplyDeletekyun ki aape hath me jo hai use aap nibhaengi pr
Deletesamnewale se aap jabardasti to apne man ki nahi krwa payengi n aapke man ka ho iske liye prayas krna padta hai. jaruri nahi ki ham safal ho par asha to kar hi sakte hain asha jee....baki bhagwan ki marjee...
thanks to all....
ReplyDeleteरेल की पटरियों जैसी ज़िन्दगी हो तो सफर आसान हो जाता है, मंजिल एक होती है और दिशा निर्धारित।
ReplyDeleteबहुत ही भावमय होकर लिखतीं हैं आप.
ReplyDeleteपढ़कर भावविभोर हो उठता है मन.
सुन्दर प्रस्तुति के लिए आभार,निशा जी.
thanku rakesh jee ....aapke comment"s se mera manobal badhta hai idhar aap bahut dinon se nahi likh rahe hain ? ab aapki tabiyat kaisi hai ?
Deleteमेरी तबियत अब ठीक है निशा जी.कुछ व्यस्तता के कारण लिख नहीं पा रहा हूँ.शीघ्र ही कोशिश करूँगा.आपकी भी कुछ पोस्ट कमेन्ट करने से रह गयीं हैं.
Delete"मैं ......तेरी ...साथी ...
ReplyDeleteतुम पर इतना विश्वास
करती हूँ ......
क्या तुम ??///
मेरे विश्वास कि लाज रखोगे ?"
गहरे भाव... सुन्दर रचना . बधाई.
मैं ......तेरी ...साथी ...
ReplyDeleteतुम पर इतना विश्वास
करती हूँ ......
क्या तुम ??///
मेरे विश्वास कि लाज रखोगे ?"
...एक बहुत विश्वास भरा सवाल ...जिसका जवाब आप जानती हैं...सुन्दर निशाजी
सुन्दर रचना!!
ReplyDeleteतेरे गम मेरे हो
ReplyDeleteमेरे गम तेरे हो
ज्यादा .....कुछ ....और ..?????? नही.......
क्या तुम मेरे साथ ......
अंतहीन दूरी तक
चलना पसंद करोगे ??????/
वाह वाह वाह...बेजोड़ रचना...बधाई
नीरज
thanks to all....
ReplyDeleteआपके हाथ में केवल अपनी मंज़िल तय करना है। उसकी वो जाने।
ReplyDeletesahi bat hai...har insan apne apne karmon ke liye jimmedar hai par kai bar kisi ki vajah se koi aur bhi to pareshan ho jata hai isliye talmel baithana jaruri ho jata haho jata hai....galat to nahi kah rahi hoo main????
Deleteबहुत ही बढ़िया
ReplyDeleteसादर
मनोभावों की अच्छी प्रस्तुति।
ReplyDeleteपटरियां यूं ही साथ चलती रहती अहिं और अनंत पे मिल भी जाती हैं ... जहां दूसरा कोई नहीं होता ... बस मैं से हम ही रह जाता है ...
ReplyDeleteनिशा जी इस विश्वास के सहारे ही जिन्दगी आगे बढ़ती है...बहुत सुन्दर..
ReplyDeletehar kadam pe sath sath..:-)
ReplyDeleteआशा बनी रहे ...
ReplyDeleteशुभकामनाएँ।
समानांतर पटरियों के बीच की अपेक्षाओं को व्यक्त करती सुंदर कविता.
ReplyDeletenice .
ReplyDeleteअच्छी प्रस्तुति के लिये बहुत बहुत बधाई....
ReplyDeletethanks to all......
ReplyDeleteयह विश्वास ही जीवन की शक्ति है...बहुत सुन्दर प्रस्तुति...
ReplyDeleteविश्वास एक पक्षीय प्रक्रिया नहीं है।
ReplyDeleteअच्छी अभिव्यक्ति।
सुन्दर रचना।
आनन्द विश्वास
बहुत सुंदर भावपूर्ण रचना !
ReplyDeleteअटूट विश्वास को जरुर प्रतिसाद मिलता है !
ReplyDeleteसब कुछ पटरी पर ही रहे तभी मज़ा है जिंदगी का.
ReplyDeleteसुंदर प्रस्तुति.
bahut badiya likha hai, ye zindgi sach me rel ki patri hi to hai, do saathi ek raasta. very nice !
ReplyDeletePls dont forget to visit my Download Windows 8 For free
Thanks
साथ होना ही बड़ी बात है...एक अहसास है कोई साथ तो है...भले ही कुछ दूर...
ReplyDeletethanks to all....
ReplyDeletebehad bhawpoorn rachna hai.....bahut achchi lagi.
ReplyDelete"तुम औ मैं
ReplyDeleteहम बनकर
जीवनपथ पर
एक साथ चलें
तेरे गम मेरे हो
मेरे गम तेरे हो
ज्यादा .....कुछ ....और ..?????? नही......."
बहुत सुंदर ! बधाई निशा जी !