जिसकी कोख में सपने पलते हैं
वो माँ है
वो बहन है
वो बेटी है
वो पत्नी है
वो प्रेमिका है
वो अबला नारी नहीं
वो सब पर भारी है
वो ताकतों की ताकत औ
आफ़तों की आफत है
वो शक्ति की पुंज है
वो राख में दबी चिंगारी है
जीवन को जीवन देनेवाली
वो एक ममतामयी नारी है।
महिला को सम्मान देने के प्रतीक स्वरुप इस तथाकथित महिला दिवस की सार्थकता तभी फलीभूत होगी जब महिलायें निर्भय होकर प्रगति पथ पर अग्रसर होंगी।
The ninth line is repetition of the fourth line!
ReplyDeleteBura na mano Holi hai...
धन्यवाद सर ....आज बहुत दिनों के बाद उलटी गिनती की ....
ReplyDeleteFilled with lovely sentiments!
ReplyDeleteबहुत सुंदर भाव.
ReplyDeleteभावपूर्ण शशक्त रचना ...
ReplyDeleteआपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल मंगलवार (10-03-2015) को "सपना अधूरा ही रह जायेगा ?" {चर्चा अंक-1913} पर भी होगी।
ReplyDelete--
सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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हार्दिक शुभकामनाओं के साथ...
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
धन्यवाद शास्त्री जी ..
Deleteबहुत ही लाजवाब अभिव्यक्ति....
ReplyDeleteबहुत ही बेहतरीन....
सभी का तहेदिल से आभार ....
ReplyDeleteबिलकुल सही कहा सार्थक रचना !
ReplyDeleteआपका एक एक शब्द सच है सार्थक रचना के लिए बधाई।
ReplyDeleteबढ़िया अभिव्यक्ति , मंगलकामनाएं आपको !
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ReplyDeleteकविता बहती है भावों की सरिता के रूप में.. , आभार इस कविता के लिए!!
बहुत सुन्दर बधाई
ReplyDeleteमैन भी ब्लोग लिखता हु और आप जैसे गुणी जनो से उत्साहवर्धन की अपेक्षा है
http://tayaljeet-poems.blogspot.in/
बहुत सुन्दर सार्थक सृजन, बधाई
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