Sunday, 8 March 2015

वो

जिसकी कोख में सपने पलते हैं 
सृष्टि के पाँव मचलते हैं 
वो माँ है 
वो बहन है 
वो बेटी है 
वो पत्नी है 
वो प्रेमिका है 
वो अबला नारी नहीं 
वो सब पर भारी है
वो ताकतों की ताकत औ 
आफ़तों की आफत है
वो शक्ति की पुंज है 
वो राख में दबी चिंगारी है 
जीवन को जीवन देनेवाली 
वो एक ममतामयी नारी है। 
                                    महिला को सम्मान देने के प्रतीक स्वरुप इस तथाकथित महिला दिवस की सार्थकता तभी फलीभूत होगी जब महिलायें निर्भय होकर प्रगति पथ पर अग्रसर होंगी। 

                                       



15 comments:

  1. The ninth line is repetition of the fourth line!
    Bura na mano Holi hai...

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  2. धन्यवाद सर ....आज बहुत दिनों के बाद उलटी गिनती की ....

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  3. भावपूर्ण शशक्त रचना ...

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  4. आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल मंगलवार (10-03-2015) को "सपना अधूरा ही रह जायेगा ?" {चर्चा अंक-1913} पर भी होगी।
    --
    सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
    --
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ...
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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    1. धन्यवाद शास्त्री जी ..

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  5. बहुत ही लाजवाब अभिव्यक्ति....
    बहुत ही बेहतरीन....

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  6. सभी का तहेदिल से आभार ....

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  7. बिलकुल सही कहा सार्थक रचना !

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  8. आपका एक एक शब्‍द सच है सार्थक रचना के लिए बधाई।

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  9. बढ़िया अभिव्यक्ति , मंगलकामनाएं आपको !

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  10. कविता बहती है भावों की सरिता के रूप में.. , आभार इस कविता के लिए!!

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  11. बहुत सुन्दर बधाई
    मैन भी ब्लोग लिखता हु और आप जैसे गुणी जनो से उत्साहवर्धन की अपेक्षा है
    http://tayaljeet-poems.blogspot.in/

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  12. बहुत सुन्दर सार्थक सृजन, बधाई

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