दौलत की खनक
शरीर का ताव
दिल बेताब
जब हो जाएगा
निढ़ाल,,,,,,
तब.…… बता ओ,,,,,,
स्वछन्द परिंदे
कैसे,,,,, गीत ख़ुशी के गाओगे ?
अभिमान के बुनियाद पे हो खड़े तुम
चैन कहाँ से पाओगे ?
अपने आसपास की झूठी महफिल को
कैसे तुम सजाओगे ?
छिनोगे तो छिन जायेगा
छोटी सी इक गलती तुझको
उम्र भर तड़पाएगी ....
सत्य को अपनाओगे तो
खुद को तुम पाओगे
चैन तुम्हें चहुँ ओर मिलेगा
जहाँ-जहाँ तुम जाओगे
झूठा अहम् और मिथ्याभिमान
के कवच को तोड़ तुम भागो
समय के रहते समय को पकड़ो
ओ नादान परिंदो जागो ,,,,
सच्ची बात .... खुबसूरत अभिव्यक्ति
ReplyDeleteSahi Baat ...Arthpoorn
ReplyDeleteआपकी उत्कृष्ट प्रस्तुति बुधवार के - चर्चा मंच पर ।।
ReplyDeleteधन्यवाद रविकर जी ...
Deleteसच कहा है ... समय रहते ही समझ आना जरूरी है ...
ReplyDeleteसुन्दर सन्देश देती अति सुन्दर रचना.....
ReplyDeleteधन्यवाद यशोदा जी
ReplyDeleteसमय रहते चेत जाए तो पछतावा ही काहे का!
ReplyDeleteगहरा सन्देश छुपाये रचना ...
ReplyDeleteबहुत सुन्दर सन्देश देती रचना !
ReplyDeleteखुदा है कहाँ ?
कार्ला की गुफाएं और अशोक स्तम्भ
बहुत सुन्दर
ReplyDeleteसार्थक संदेशयुक्त रचना।
ReplyDeleteदीपावली की अशेष शुभकामनाएं !
सुंदर संदेश
ReplyDeletedhanyvad sir...
ReplyDeletedhanyvad sir...
ReplyDeletedhanyvad sir...
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