…तो…....
बादल बरसे ना
धरती तरसे ना
बिजली चमके ना..... तो……
कोई मतलब नहीं।
मन बहके ना
दिल हर्षे ना
आँखें छलके ना …तो…....
कोई मतलब नहीं।
उपवन महके ना
कोयल कुहूके ना
चिड़ियाँ चहके ना.…तो…....
कोई मतलब नहीं।
सब्जी में नमक ज्यादा हो
रिश्तों में मर्यादा ना हो
शतरंज में प्यादा ना हो.…तो……
कोई मतलब नहीं।
कोई मतलब नहीं .. सही कहा ... कुछ बातों का होने में ही मतलब होता है
ReplyDeleteसचमुच … कोई मतलब नहीं .... बहुत सुन्दर रचना
ReplyDeleteसच में कोई मतलब नहीं...बहुत ख़ूबसूरत रचना...
ReplyDeleteमतलब के बिना कुछ नहीं..बहुत बढिया ..
ReplyDeleteबहुत मतलब की बात कह दी आपने...
ReplyDeleteVaise har baat me matlab dhoondhne ka bhi koi mstlabb nahi!
ReplyDeleteMeri baat ka ye matlab na nikala jaye ki rachna khoobsoorat nahi!!!
sahi bat kaha aapne sir .....har bat ka matlab nikle ye jaruri nahi .....bs ye mere khalalon ki khichdi hai ....mere liye sabse aasan bhojan khichdi banaana hi hin hai ....apna bahumulya samay dene ke liye tahedil se aabhari hoon .......
ReplyDeleteसभी को धन्यवाद ......
ReplyDeleteकविता में दम है
ReplyDeleteभाव भी गहन हैं
प्यारी सी कहन है! - कैसे अच्छी नहीं!!
रचना बेजोड़
ReplyDeleteअभिव्यक्ति की लगी होड
आपका बहुत-बहुत आभार एवं धन्यवाद शास्त्री जी ....
ReplyDeleteगज़ब की लेखनी हैं आपकी , आदरणीय धन्यवाद !
ReplyDeleteनवीन प्रकाशन -: साथी हाँथ बढ़ाना !
नवीन प्रकाशन -: सर्च इन्जिन कैसे कार्य करता है ? { How the search engine works ? }
बहुत खूब ... रिश्तों में मर्यादा न हो तो क्या मतलब ...
ReplyDeleteमोदी जीते न ,
ReplyDeleteजनता हर्षे (हरखे )न ,
भारत पनपे न -
तो कोई मतलब नहीं।
बढ़िया भाव बोध की रचना :
बादल बरसे ना
धरती तरसे ना
बिजली चमके ना..... तो……
कोई मतलब नहीं।
मन बहके ना
दिल हर्षे ना
आँखें छलके ना …तो…....
कोई मतलब नहीं।
उपवन महके ना
कोयल कुहूके ना
चिड़ियाँ चहके ना.…तो…....
कोई मतलब नहीं।
सब्जी में नमक ज्यादा हो
रिश्तों में मर्यादा ना हो
शतरंज में प्यादा ना हो.…तो……
कोई मतलब नहीं।
क्या बात
ReplyDeleteबहुत सुंदर रचना.
ReplyDeleteशुक्रिया आपकी प्रेरक टिप्पणी का ,विश्लेषण परक बढ़िया अर्थपूर्ण कविता पढ़वाया आपने।
ReplyDeleteबहुत खूब...
ReplyDeleteकोई मतलब नही.
ReplyDeleteमतलब सुन्दर कविता.
वाह!