Friday, 21 February 2014

बोलो बसंत

उजड़े को सँवारते हो 
नाउम्मीदी से भरे दिलों में 
उम्मीद की  किरण जगाते हो.… इसीलिए,,,
बसंत---   तुम..... ऋतुराज कहलाते हो..... 

यहाँ-वहाँ  सारे जहाँ में 
छोटे-बड़े का भेद किये बिना 
गुलशन को महकाते हो..... इसीलिए ,,,,
बसंत ---तुम.… ऋतुराज कहलाते हो.… 

माँ शारदे का प्रसाद 
होली का अल्हड आह्लाद 
झोली में लेकर आते हो..... इसीलिये,,,,
बसंत ---तुम.…ऋतुराज कहलाते हो.…

गाँव शहर हर गली की  बिटिया 
निर्भय जीवन जी पाये 
कोई भी दुष्कर्मी उसके 
अस्मत / भावनाओं से खेल न पाये 
फिज़ा में ये रंग कब-तक बिखराओगे 
उसी बसंत का इन्तजार है 
बोलो   बसंत ! कब आओगे ?

21 comments:

  1. बहुत सुन्दर रचना .. कहो वसंत कब आओगे .

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    1. गाँव शहर हर गली की बिटिया
      निर्भय जीवन जी पाये
      कोई भी दुष्कर्मी उसके
      अस्मत / भावनाओं से खेल न पाये
      फिज़ा में ये रंग कब-तक बिखराओगे
      उसी बसंत का इन्तजार है
      बोलो बसंत ! कब आओगे ?

      वाह ! बहुत ही सुंदर अभिव्यक्ति...! निशा जी ....

      RECENT POST - आँसुओं की कीमत.

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  2. धन्यवाद कुलदीप जी ......

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  3. ब्लॉग बुलेटिन की आज की बुलेटिन अन्तर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस, गूगल और 'निराला' - ब्लॉग बुलेटिन मे आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !

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  4. बहुत प्यारी रचना....
    आपने पुकारा...अब वसंत आया ही समझिये..
    अनु

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  5. गाँव शहर हर गली की बिटिया
    निर्भय जीवन जी पाये
    कोई भी दुष्कर्मी उसके
    अस्मत / भावनाओं से खेल न पाये
    फिज़ा में ये रंग कब-तक बिखराओगे
    उसी बसंत का इन्तजार है
    बोलो बसंत ! कब आओगे ?
    aane ko hi hai sunder bhav
    Rachana

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  6. बहुत सुन्दर प्रस्तुति...!
    --
    आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा आज शनिवार (22-02-2014) को "दुआओं का असर होता है" : चर्चा मंच : चर्चा अंक : 1531 में "अद्यतन लिंक" पर भी है!
    --
    सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
    --
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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    1. धन्यवाद शास्त्री जी

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  7. बड़ा कठिन बुलौवा दे दिया आपने वसंत को...

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  8. बेहतरीन अभिव्यक्ति .....सुंदर वासंतिक भाव

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  9. वह बसंत भी आएगा एक दिन , मंगल कामनाएं !!

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  10. उजड़े को सँवारते हो
    नाउम्मीदी से भरे दिलों में
    उम्मीद की किरण जगाते हो.… इसीलिए,,,
    बसंत--- तुम..... ऋतुराज कहलाते हो.....कहाते हो

    अति सुन्दर अर्थ और प्रवाह ,आभार आपकी टिपण्णी का .

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  11. मौसमों का राजा बसंत ... ऐसे ही नहीं बना ... बाखूब ...

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  12. प्रभावित करती रचना .

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  13. नाउम्मीदी से भरे दिलों में
    उम्मीद की किरण जगाते हो.

    बसंत का आवाहन करती अच्छी कविता।

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  14. फिज़ा में ये रंग कब-तक बिखराओगे
    उसी बसंत का इन्तजार है
    बोलो बसंत ! कब आओगे ?

    वाह ! बहुत ही सुंदर रचना लिख डाली ... निशा जी अपने बहुत खूब

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  15. बसंत का खूबसूरत चित्रण

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