आलम था ख़ामोशी का
दिल दहल गया.…… इतनी मिली खामोशियाँ कि
मन बहल गया.....
ख़ामोशी की ख़ामोशी से
बात हुई --- बड़ी लम्बी सी.---
छोटी मुलाकात हुई ----
निशा की निस्तब्धता
नभ की ख़ामोशी
चाँद तारों की बस्ती में
ग़ज़ब की खुमारी है.…
सर्द मौसम की आहट
ख़ामोशी की सुगबुगाहट
ताकत को तौलती है
दिल भारी और लब बंद है
सिर्फ आँखें हीं बोलती है.…
सिर्फ आँखें हीं बोलती है.…
ReplyDeleteबहुत सुंदर ....
इन खामोशियों कि जुबान को आँखे तोड़ती है..
ReplyDeleteबहुत सुन्दर रचना...
http://mauryareena.blogspot.in/
दिल भारी और लब बंद है
ReplyDeleteसिर्फ आँखें हीं बोलती है.…
..........उत्कृष्ट भाव संयोजन से सजी बेहतरीन भावाभिव्यक्ति..बहुत अच्छा लिखा है दी
गहन सुंदर भाव ....बहुत अच्छी लगी रचना ...!!
ReplyDeleteवाह...बहुत ही सुन्दर....
ReplyDeleteसस्नेह
अनु
इतनी मिली खामोशियाँ कि
ReplyDeleteमन बहल गया.....
....वाह...बहुत ख़ूबसूरत अभिव्यक्ति...
सुंदर भाव ..खुबसूरत पंक्तियाँ.....
ReplyDeleteखामोशियों को उनकी ही जबानी लिख दिया ... खामोशी से ...
ReplyDeleteखामुशी को खामुशी से बात करने दो... बहुत सुन्दर अन्दाज़!!
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ReplyDeleteवाह !! बहुत सुंदर
उत्कृष्ट प्रस्तुति
बधाई ----
आग्रह है--
वाह !! बसंत--------
बढ़िया अभिव्यक्ति , आभार !
ReplyDeleteसुन्दर मनोहर गागर में सागर सा
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