Thursday 10 October 2013

पत्ते झड़ते शाखों से

सुख-दुःख की आँख-मिचौनी 
और उनका ये दीवानापन 
साथ लिए अपने आता है 
अल्हड सा मस्तानापन,…… 

पथ पर जब थक जागे 
लिए अपना नश्वर यह धन
 पथिक तभी समझ पाओगे 
साँसों का ये महँगापन,…… 

पत्ते झड़ते शाखों से 
फूलों बिन सूना उपवन 
कब-कौन -कहाँ चल देता है 
कैसा ये बेगानापन,…


23 comments:

  1. गहन अभिव्यक्ति ....

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  2. साँसों का महँगापन....

    बहुत सुन्दर भाव..

    सस्नेह
    अनु

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  3. सुंदर ढंग से चित्रित भाव.....

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  4. वाह वाह
    बहुत सुन्दर प्रस्तुति..
    नवरात्रि की हार्दिक शुभकामनायें

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  5. आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा आज शुक्रवार (11-10-2013) चिट़ठी मेरे नाम की (चर्चा -1395) में "मयंक का कोना" पर भी है!
    --
    सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का उपयोग किसी पत्रिका में किया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
    --
    शारदेय नवरात्रों की हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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  6. धन्यवाद दर्शन जी ...

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  7. धन्यवाद शास्त्री जी .....

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  8. पत्ते झड़ते शाखों से
    फूलों बिन सूना उपवन
    कब-कौन -कहाँ चल देता है
    कैसा ये बेगानापन,…
    क्या बात है जीवन की नश्वरता की ओर संकेत .

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  9. ज़िंदगी का फलसफा है .... बहुत खूब ।

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  10. पथ पर जब थक जायोगे
    लिए अपना नश्वर यह धन
    पथिक तभी समझ पाओगे
    साँसों का ये महँगापन,……

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  11. जिंदगी एक् छुपी रहस्य ! बहुत सुन्दर |
    लेटेस्ट पोस्ट नव दुर्गा

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  12. बहुत सुन्दर भावो की अभिव्यक्ति

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  13. बहुत खूब ,भावों की बहुत सुंदर प्रस्तुति ...!
    नवरात्रि की शुभकामनाएँ ...!

    RECENT POST : अपनी राम कहानी में.

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  14. बहुत सुंदर प्रस्तुति |

    मेरी नई रचना :- मेरी चाहत

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  15. कल 13/10/2013 को आपकी पोस्ट का लिंक होगा http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर
    धन्यवाद!

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  16. ये बेगानापन तो प्राकृति दे देती है सहज ही .... मन के भाव से जोड़ कर सुन्दर रचना का सृजन ...
    दशहरा की मंगल कामनाएं ...

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  17. पत्ते झड़ते शाखों से
    फूलों बिन सूना उपवन
    कब-कौन -कहाँ चल देता है
    कैसा ये बेगानापन,…

    कभी समझ न पाओगे ,
    प्रिय साँसों का अपना पन

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  18. बहुत सुन्दर है भाव भी अर्थ भी समस्वरता है दोनों में .

    सुख-दुःख की आँख-मिचौनी
    और उनका ये दीवानापन
    साथ लिए अपने आता है
    अल्हड सा मस्तानापन,……

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  19. शुक्रिया आपकी ताज़ा टिपण्णी का इस सुन्दर रचना को सांझा करने का .

    सुख-दुःख की आँख-मिचौनी
    और उनका ये दीवानापन
    साथ लिए अपने आता है
    अल्हड सा मस्तानापन,…

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  20. बहुत सुंदर। चीजों की देह की क्षणभंगुरता बताती हुई बढिया कविता।

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