Wednesday, 11 September 2013

तुम्हीं दर्द हो दवा तुम्हीं हो

जीवन पथ पे चला अकेला 
छोड़ दुनिया का झूठा मेला 
सहम गए क्यों ?

वास्तविकताओं से सामना हुआ ज्योंहि 

आगे खड़ी है मंज़िल तेरी 
हिम्मत कर लो ओ बटोही,…

चहूँ ओर उदासी थी 
कलियाँ-कलियाँ प्यासी थी 
प्रकृति भी स्व-दुःख से कातर होकर 
बीज तम के बो रही थी …

तम से निखरी निशा उन्हें 
ओस की बूँदों से भिगो रही थी----

देखो ! दिनकर ने  आकर 
हौले से उन्हें सहलाया 
पलक झपकते उड़ गया दुःख 
कोई उन्हें देख न पाया 
जीवन के ये क्षणिक दुःख 
उड़ जायेंगे यूँ हीं ----

आगे खड़ी  है मंज़िल तेरी 
हिम्मत कर लो ओ बटोही …,… 

दुःख की बदली में तुम 
इंद्रधनुष बन चमको
स्याह रातों में तुम 
जुगनू से सबक ले लो 

बन चटख धूप तुम्हें 
आस-पास बिखरना होगा 

बरखा की बूँदें बन 
दूत नव-जीवन का बनना होगा 

तुम्हीं दर्द हो दवा तुम्हीं हो 
तुम्हीं समस्या, समाधान तुम्हीं हो 

राह की बाधाओं का सामना 
करना होगा तुम्हें खुद हीं 

आगे खड़ी है मंज़िल तेरी 
हिम्मत कर लो ओ बटोही ……. 



33 comments:

  1. vaah madam vaah! Bilkul chhaa rahi hain aajkal aakash par dhoomketu ki tarah.....badhai!!

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  2. bs aapka aashirwaad chahiye sir ....

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  3. आगे खड़ी है मंज़िल तेरी
    हिम्मत कर लो ओ बटोही …

    बहुत सुंदर अभिव्यक्ति,,

    RECENT POST : समझ में आया बापू .

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  4. बहुत सुन्दर प्रस्तुति ,बहुत ख़ूब

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  5. अत्यन्त हर्ष के साथ सूचित कर रही हूँ कि
    आपकी इस बेहतरीन रचना की चर्चा शुक्रवार 13-09-2013 के .....महामंत्र क्रमांक तीन - इसे 'माइक्रो कविता' के नाम से जानाःचर्चा मंच 1368 ....शुक्रवारीय अंक.... पर भी होगी!
    सादर...!

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  6. बहुत सुन्दर प्रस्तुति

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  7. तुम्हीं दर्द हो दवा तुम्हीं हो
    तुम्हीं समस्या, समाधान तुम्हीं हो ...........सुन्दर प्रस्तुति...

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  8. वाह !!!
    बहुत प्यारी रचना ...

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  9. बहुत प्यारी और प्रेरक रचना..

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  10. तुम्हीं दर्द हो दवा तुम्हीं हो
    तुम्हीं समस्या, समाधान तुम्हीं हो

    राह की बाधाओं का सामना
    करना होगा तुम्हें खुद हीं

    आगे खड़ी है मंज़िल तेरी
    हिम्मत कर लो ओ बटोही …….


    खूबसूरत अभिव्यक्ति …!!गणेशोत्सव की हार्दिक शुभकामनायें.
    कभी यहाँ भी पधारें।
    सादर मदन

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  11. सुंदर प्रेरणादायी भाव

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  12. मैं तो खो गई रचना में
    बहुत हौसला देती रचना है
    गणेशोत्सव की हार्दिक शुभकामनायें ....

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  13. खुबसूरत अभिवयक्ति.....

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  14. दुःख
    कोई उन्हें देख न पाया
    जीवन के ये क्षणिक दुःख
    उड़ जायेंगे यूँ हीं ----
    ........ जीवन में आशा जगाती ... सुन्दर भाव प्रस्तुत करती रचना !
    बधाई!

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  15. सुंदर अभि‍व्‍यक्‍ति

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  16. आशा जगाते शब्द. अति सुन्दर.

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  17. दुःख की बदली में तुम
    इंद्रधनुष बन चमको
    स्याह रातों में तुम
    जुगनू से सबक ले लो

    दुःख की बदली में तुम
    इंद्रधनुष बन चमको
    स्याह रातों में तुम
    जुगनू से सबक ले लो
    बहुत खूब सूरत रचना -

    ये जीवन एक चुनौती है मत भूल पथिक

    बढ़ता चल बढ़ता चल

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  18. पथ की चुनौती तो पथिक स्वीकार करेगा तभी जीवन सार्थक है ...

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  19. खुबसूरत अभिवयक्ति...

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  20. वाह...
    देखो ! दिनकर ने आकर
    हौले से उन्हें सहलाया
    पलक झपकते उड़ गया दुःख
    कोई उन्हें देख न पाया
    जीवन के ये क्षणिक दुःख
    उड़ जायेंगे यूँ हीं ----
    बहुत सुन्दर भाव....

    अनु

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  21. जीवन की बारीकियों को परिभाषित करती सुंदर रचना...

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  22. आप सभी को धन्यवाद

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  23. बन चटख धूप तुम्हें
    आस-पास बिखरना होगा

    अन्धकार से नित लड़ना होगा।

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  24. सार्थक एवं प्रेरक प्रस्तुति

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