जीवन पथ पे चला अकेला
सहम गए क्यों ?
वास्तविकताओं से सामना हुआ ज्योंहि
आगे खड़ी है मंज़िल तेरी
हिम्मत कर लो ओ बटोही,…
चहूँ ओर उदासी थी
कलियाँ-कलियाँ प्यासी थी
प्रकृति भी स्व-दुःख से कातर होकर
बीज तम के बो रही थी …
तम से निखरी निशा उन्हें
ओस की बूँदों से भिगो रही थी----
देखो ! दिनकर ने आकर
हौले से उन्हें सहलाया
पलक झपकते उड़ गया दुःख
कोई उन्हें देख न पाया
जीवन के ये क्षणिक दुःख
उड़ जायेंगे यूँ हीं ----
आगे खड़ी है मंज़िल तेरी
हिम्मत कर लो ओ बटोही …,…
दुःख की बदली में तुम
इंद्रधनुष बन चमको
स्याह रातों में तुम
जुगनू से सबक ले लो
बन चटख धूप तुम्हें
आस-पास बिखरना होगा
बरखा की बूँदें बन
दूत नव-जीवन का बनना होगा
तुम्हीं दर्द हो दवा तुम्हीं हो
तुम्हीं समस्या, समाधान तुम्हीं हो
राह की बाधाओं का सामना
करना होगा तुम्हें खुद हीं
आगे खड़ी है मंज़िल तेरी
हिम्मत कर लो ओ बटोही …….
vaah madam vaah! Bilkul chhaa rahi hain aajkal aakash par dhoomketu ki tarah.....badhai!!
ReplyDeletebs aapka aashirwaad chahiye sir ....
ReplyDeleteआगे खड़ी है मंज़िल तेरी
ReplyDeleteहिम्मत कर लो ओ बटोही …
बहुत सुंदर अभिव्यक्ति,,
RECENT POST : समझ में आया बापू .
बहुत सुन्दर प्रस्तुति ,बहुत ख़ूब
ReplyDeletevery nice :-)
ReplyDeleteअत्यन्त हर्ष के साथ सूचित कर रही हूँ कि
ReplyDeleteआपकी इस बेहतरीन रचना की चर्चा शुक्रवार 13-09-2013 के .....महामंत्र क्रमांक तीन - इसे 'माइक्रो कविता' के नाम से जानाःचर्चा मंच 1368 ....शुक्रवारीय अंक.... पर भी होगी!
सादर...!
dhanyavad yashoda jee .....
Deleteबहुत सुन्दर प्रस्तुति
ReplyDeleteतुम्हीं दर्द हो दवा तुम्हीं हो
ReplyDeleteतुम्हीं समस्या, समाधान तुम्हीं हो ...........सुन्दर प्रस्तुति...
dhanyavad shastri jee ...
ReplyDeleteवाह !!!
ReplyDeleteबहुत प्यारी रचना ...
बहुत प्यारी और प्रेरक रचना..
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ReplyDeleteतुम्हीं दर्द हो दवा तुम्हीं हो
तुम्हीं समस्या, समाधान तुम्हीं हो
राह की बाधाओं का सामना
करना होगा तुम्हें खुद हीं
आगे खड़ी है मंज़िल तेरी
हिम्मत कर लो ओ बटोही …….
खूबसूरत अभिव्यक्ति …!!गणेशोत्सव की हार्दिक शुभकामनायें.
कभी यहाँ भी पधारें।
सादर मदन
सुंदर प्रेरणादायी भाव
ReplyDeleteमैं तो खो गई रचना में
ReplyDeleteबहुत हौसला देती रचना है
गणेशोत्सव की हार्दिक शुभकामनायें ....
क्या बात!
ReplyDeleteखुबसूरत अभिवयक्ति.....
ReplyDeleteदुःख
ReplyDeleteकोई उन्हें देख न पाया
जीवन के ये क्षणिक दुःख
उड़ जायेंगे यूँ हीं ----
........ जीवन में आशा जगाती ... सुन्दर भाव प्रस्तुत करती रचना !
बधाई!
dhanyavad arun jee ..
ReplyDeletedhanyavad....darshan jee ..
ReplyDeleteसुंदर अभिव्यक्ति
ReplyDeleteThis comment has been removed by the author.
ReplyDeleteआशा जगाते शब्द. अति सुन्दर.
ReplyDeleteबहुत सुन्दर अभिव्यक्ति
ReplyDeletelatest post गुरु वन्दना (रुबाइयाँ)
दुःख की बदली में तुम
ReplyDeleteइंद्रधनुष बन चमको
स्याह रातों में तुम
जुगनू से सबक ले लो
दुःख की बदली में तुम
इंद्रधनुष बन चमको
स्याह रातों में तुम
जुगनू से सबक ले लो
बहुत खूब सूरत रचना -
ये जीवन एक चुनौती है मत भूल पथिक
बढ़ता चल बढ़ता चल
पथ की चुनौती तो पथिक स्वीकार करेगा तभी जीवन सार्थक है ...
ReplyDeleteखुबसूरत अभिवयक्ति...
ReplyDeleteवाह...
ReplyDeleteदेखो ! दिनकर ने आकर
हौले से उन्हें सहलाया
पलक झपकते उड़ गया दुःख
कोई उन्हें देख न पाया
जीवन के ये क्षणिक दुःख
उड़ जायेंगे यूँ हीं ----
बहुत सुन्दर भाव....
अनु
जीवन की बारीकियों को परिभाषित करती सुंदर रचना...
ReplyDeleteआप सभी को धन्यवाद
ReplyDeleteबन चटख धूप तुम्हें
ReplyDeleteआस-पास बिखरना होगा
अन्धकार से नित लड़ना होगा।
सही बात ...
ReplyDeleteसार्थक एवं प्रेरक प्रस्तुति
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