Wednesday, 15 May 2013

एक दूसरे की परछाईं

ज्यों हीं शाखों   पर बंद कलियों ने 
अपनी आँखें खोली ...... 
शहद भरे मीठे शब्दों में 
कोयल कुहू -कुहू बोली ......

झूम उठी है  निशा सुहानी 
आया नया सबेरा 
चलो सखी अब आम्र कुञ्ज में 
डाले अपना डेरा .....

दो पथिक मिले 
एक राह चले 
दो सपनों ने ली थी अंगडाई ...
आज उन्हीं को साथ लिए                         

ये शाम मस्तानी आई .......

शाखें सजती जैसे गुलमोहर की 
सुर्ख फूलों की लाली से 
सज़ा रहे उन पथिकों का जीवन भी 
 एक दूसरे  की परछाईं से ......

खुशियाँ बाँटों 
खुशियाँ पाओ 
उलझन को 
मिल-जुल  सुलझाओ ......

बीत गए कुछ समय पुराने 
आनेवाले भी बीत जायेंगे 
इन राहों पर चलते-चलते 
 मंज़िल पर  छा जायेंगे .....


28 comments:

  1. खुशियाँ बाँटों
    खुशियाँ पाओ
    उलझन को
    मिल-जुल सुलझाओ .....बहुत सुन्दर भाव..

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  2. बीत गए कुछ समय पुराने
    आनेवाले भी बीत जायेंगे
    इन राहों पर चलते-चलते
    मंज़िल पर छा जायेंगे .....

    खुशियाँ बाँटते बांटते समय भी बीत जाता है और हम नई सुबह में उलझने सुलझा जाते हैं

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  3. बहुत सुन्दर, खुशियाँ बाँटों
    खुशियाँ पाओ
    उलझन को
    मिल-जुल सुलझाओ ......

    बीत गए कुछ समय पुराने
    आनेवाले भी बीत जायेंगे
    इन राहों पर चलते-चलते
    मंज़िल पर छा जायेंगे .....

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  4. आपकी यह प्रस्तुति कल के चर्चा मंच पर है
    धन्यवाद

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  5. खुशियाँ बाँटों
    खुशियाँ पाओ
    उलझन को
    मिल-जुल सुलझाओ ......

    खुशहाल जीवन का सुंदर मंत्र ......

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  6. खुशियाँ बाँटों
    खुशियाँ पाओ
    उलझन को
    मिल-जुल सुलझाओ ...

    ....बहुत सुन्दर भावपूर्ण रचना..

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  7. गुलमोहर मुझे बहुत प्रिय है और उसका सन्देश आपने सब तक खूबसूरती से पहुँचाया है

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  8. बहुत सुन्दर भाव,,,,,
    लगता है सचमुच झूम उठी है निशा :-)

    सस्नेह
    अनु

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  9. आशा, खुशी और उलास के र्संग में रंगी ... सुन्दर रचना ...

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  10. बहुत सुंदर भावपूर्ण रचना

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  11. बहुत ही सुन्दर आशामयी रचना.

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  12. शाखें सजती जैसे गुलमोहर की
    सुर्ख फूलों की लाली से
    सज़ा रहे उन पथिकों का जीवन भी
    एक दूसरे की परछाईं से .....
    आमीन
    हमेशा कुशल-मंगल रहे ....

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  13. कोमल भाव से सजी रचना

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  14. अनुपम भाव संयोजन ... बेहतरीन

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  15. दो पथिक मिले
    एक राह चले
    दो सपनों ने ली थी अंगडाई ...
    आज उन्हीं को साथ लिए
    ये शाम मस्तानी आई .......
    बहुत खूब .

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  16. khoobsurat bhavon se saji rachna ..

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  17. मई के महीने में यह रचना, जैसे गुलमोहर की छाँव ,शीतल,सुन्दर और सुखद...बहुत बहुत बधाई.....

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  18. Well said. Good one . Plz visit my blog.

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  19. जीवन और जगत के प्रति सकारात्मक शुभ भाव की बढ़िया रचना .

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  20. बहुत सुन्‍दर और सार्थक रचना आभार
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  21. h सकारात्मक सोच और सहयोग की रचना जीवन में सौहाद्र की बात की है रचना में .बीत गए जैसे ये दिन रैना बाकी भी कट जाए ,दुआ कीजे ,बहुत दिया देने वाले ने तुझको आँचल ही न समाये तो क्या कीजे ....

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  22. इस सुन्दर और अविस्मर्णीय दिन के लिए अशेष बधाई...

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  23. khoobshurst rachna avismrniy yani ki chirsmarniy din hetu dil de badhayee

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  24. शुक्रिया आपके टिपण्णी का .ॐ शान्ति .

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