ज्यों हीं शाखों पर बंद कलियों ने
अपनी आँखें खोली ......
शहद भरे मीठे शब्दों में
कोयल कुहू -कुहू बोली ......
झूम उठी है निशा सुहानी
आया नया सबेरा
चलो सखी अब आम्र कुञ्ज में
डाले अपना डेरा .....
दो पथिक मिले
एक राह चले
दो सपनों ने ली थी अंगडाई ...
आज उन्हीं को साथ लिए
ये शाम मस्तानी आई .......
शाखें सजती जैसे गुलमोहर की
सुर्ख फूलों की लाली से
सज़ा रहे उन पथिकों का जीवन भी
एक दूसरे की परछाईं से ......
खुशियाँ बाँटों
खुशियाँ पाओ
उलझन को
मिल-जुल सुलझाओ ......
बीत गए कुछ समय पुराने
आनेवाले भी बीत जायेंगे
इन राहों पर चलते-चलते
मंज़िल पर छा जायेंगे .....
अपनी आँखें खोली ......
शहद भरे मीठे शब्दों में
कोयल कुहू -कुहू बोली ......
झूम उठी है निशा सुहानी
आया नया सबेरा
चलो सखी अब आम्र कुञ्ज में
डाले अपना डेरा .....
दो पथिक मिले
एक राह चले
दो सपनों ने ली थी अंगडाई ...
आज उन्हीं को साथ लिए
ये शाम मस्तानी आई .......
शाखें सजती जैसे गुलमोहर की
सुर्ख फूलों की लाली से
सज़ा रहे उन पथिकों का जीवन भी
एक दूसरे की परछाईं से ......
खुशियाँ बाँटों
खुशियाँ पाओ
उलझन को
मिल-जुल सुलझाओ ......
बीत गए कुछ समय पुराने
आनेवाले भी बीत जायेंगे
इन राहों पर चलते-चलते
मंज़िल पर छा जायेंगे .....
खुशियाँ बाँटों
ReplyDeleteखुशियाँ पाओ
उलझन को
मिल-जुल सुलझाओ .....बहुत सुन्दर भाव..
बीत गए कुछ समय पुराने
ReplyDeleteआनेवाले भी बीत जायेंगे
इन राहों पर चलते-चलते
मंज़िल पर छा जायेंगे .....
खुशियाँ बाँटते बांटते समय भी बीत जाता है और हम नई सुबह में उलझने सुलझा जाते हैं
बहुत सुन्दर, खुशियाँ बाँटों
ReplyDeleteखुशियाँ पाओ
उलझन को
मिल-जुल सुलझाओ ......
बीत गए कुछ समय पुराने
आनेवाले भी बीत जायेंगे
इन राहों पर चलते-चलते
मंज़िल पर छा जायेंगे .....
आपकी यह प्रस्तुति कल के चर्चा मंच पर है
ReplyDeleteधन्यवाद
dhanyavad dilbag jee ....
Delete
ReplyDeleteकोमल भाव से सजी सुन्दर रचना !
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खुशियाँ बाँटों
ReplyDeleteखुशियाँ पाओ
उलझन को
मिल-जुल सुलझाओ ......
खुशहाल जीवन का सुंदर मंत्र ......
खुशियाँ बाँटों
ReplyDeleteखुशियाँ पाओ
उलझन को
मिल-जुल सुलझाओ ...
....बहुत सुन्दर भावपूर्ण रचना..
गुलमोहर मुझे बहुत प्रिय है और उसका सन्देश आपने सब तक खूबसूरती से पहुँचाया है
ReplyDeleteबहुत सुन्दर भाव,,,,,
ReplyDeleteलगता है सचमुच झूम उठी है निशा :-)
सस्नेह
अनु
आशा, खुशी और उलास के र्संग में रंगी ... सुन्दर रचना ...
ReplyDeleteबहुत सुंदर भावपूर्ण रचना
ReplyDeleteबहुत ही सुन्दर आशामयी रचना.
ReplyDeleteशाखें सजती जैसे गुलमोहर की
ReplyDeleteसुर्ख फूलों की लाली से
सज़ा रहे उन पथिकों का जीवन भी
एक दूसरे की परछाईं से .....
आमीन
हमेशा कुशल-मंगल रहे ....
कोमल भाव से सजी रचना
ReplyDeleteअनुपम भाव संयोजन ... बेहतरीन
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ReplyDeleteदो पथिक मिले
एक राह चले
दो सपनों ने ली थी अंगडाई ...
आज उन्हीं को साथ लिए
ये शाम मस्तानी आई .......
बहुत खूब .
khoobsurat bhavon se saji rachna ..
ReplyDeleteमई के महीने में यह रचना, जैसे गुलमोहर की छाँव ,शीतल,सुन्दर और सुखद...बहुत बहुत बधाई.....
ReplyDeleteWell said. Good one . Plz visit my blog.
ReplyDeleteजीवन और जगत के प्रति सकारात्मक शुभ भाव की बढ़िया रचना .
ReplyDeleteबहुत सुन्दर और सार्थक रचना आभार
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h सकारात्मक सोच और सहयोग की रचना जीवन में सौहाद्र की बात की है रचना में .बीत गए जैसे ये दिन रैना बाकी भी कट जाए ,दुआ कीजे ,बहुत दिया देने वाले ने तुझको आँचल ही न समाये तो क्या कीजे ....
ReplyDeleteइस सुन्दर और अविस्मर्णीय दिन के लिए अशेष बधाई...
ReplyDeletedhanyavad saras jee ....
ReplyDeletekhoobshurst rachna avismrniy yani ki chirsmarniy din hetu dil de badhayee
ReplyDeleteशुक्रिया आपके टिपण्णी का .ॐ शान्ति .
ReplyDeletesoothing and drenched in love:)
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