चौराहे पर एक व्यक्ति जार -बेजार रो रहा है .
वहां से गुजरने वाले लोग उससके रोने का कारण नहीं पूछ
रहे हैं बल्कि अपनी-अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त रहे हैं ..आइये उनकी
प्रतिक्रिया के बारे में जाने ......किसी का दिल दुखाना मेरा इरादा नहीं है ..क्षमायाचना सहित ....
इंजीनिअर ----न खड़े रहे चौराहे पे
पोल मेरी खुल जाएगी
पोलिश इस जगह की
जब तेरे जूते से चिपक जायेगी .......
पुलिस वाला ----साला...शराब के नशे में
धुत पड़ा हुआ है
बीवी के डर से
बीवी के डर से
चौराहे पे खड़ा हुआ है ......
डोक्टर -----इसने तन की नहीं
मन की चोट खाई है
इसके रुदन में मुझे
इसकी प्रेमिका की छवि
नज़र आई है .....
जिसने बेदर्दी से इसके साथ
की बेवफाई है .........
प्रोफेसर ----अरे भाई ! रोते क्यों हो ?
कौन है इसका जिम्मेदार ?
चाहे जो कोई भी है ...
है वही तुम्हारी बधाई का हक़दार ...
वजह से जिसकी तुम रो रहे हो ....
" रोनेवाला ही गाता है "
इसे क्यों भूल गए हो ???
जाओ तुम घर अपने ..
चौराहे पे क्यों पड़े हुए हो ??
इसके बाद वहां एक और
शख्स आया ---क्या पता है ये कोई
मुसीबत का मारा या...
किसी वजह से खुद को
साबित कर रहा है
लाचार और बेसहारा .....
पता चले मुझको तो ?
इसके गम सारे हर लूं
घर का रास्ता बता दे कोई तो ?
घर इसके पहुंचा दूं ......
भावनाओं के सागर में वो
यूँ गोते लगा रहा था जैसे
बदली के साथ आँख -मिचौनी
करता है रवि
हाँ ...वो था ----
शहर का एक ....
जाना-माना कवि....
kavi ki kalpna ki tarif k liye to har shabd kam hain...
ReplyDeletedhanyvad ......avinash jee...
Deletebahut sundar abhivyakti nisha ji ,
Deleteबहुत बढ़िया निशा जी......
ReplyDeleteमज़ा आ गया...
:-)
कवि मन का मान भी रख लिया आपने..
सादर
अनु
dhanyavad anu jee...
Deleteवाह निशा जी आप ने साबित कर दिया की कवि का हृदय कोमल होता है !बाकी सब तो .........
ReplyDeleteबहुत ही प्यारी पोस्ट है !
baki sabse hi to dar lag raha tha .....dhanyavad suresh jee ...
Deleteहर नज़रिए में कवि का नज़रिया मरहम है ...
ReplyDeleteaapka commentssir aankhon par rashmi jee....
Deleteसबने अपने अपने ढंग से सराहा .
ReplyDeleteबस जाकी रही भावना जैसी , प्रभु मूरत देखहिं तिन तैसी ....
sahi bat ..singh sahab ...
Deleteबहुत सुन्दर प्रस्तुति!
ReplyDeleteआपकी इस उत्कृष्ट प्रविष्टी की चर्चा कल शनिवार (06-10-2012) के चर्चा मंच पर भी होगी!
सूचनार्थ!
tahedil se aapka aabhar shastri jee...
Deleteकल्पनाओं की सुंदर प्रस्तुति,,,,
ReplyDeleteRECECNT POST: हम देख न सके,,,
dhayvad dheerendra jee ...
Deleteबहुत फ़ॉर्म मे हो मैडम.... कहर ही ढा रही हो!!
ReplyDeleteसबने अपनी अपनी तरह से कहा और व्यक्त किया
ReplyDeleteपर वही जो आपने उनसे चाहा.
आप चाहती तो उनसे कुछ और भी कहलवा सकती थीं.
पर जो भी आपने कहलवाया अच्छा लगा.
समय मिलने पर मेरे ब्लॉग पर आईएगा,निशा जी.
दिल को ठेस तो नहीं लगी इंजीनिअर साहब .....मैंने पहले ही माफ़ी मांग ली थी ....आपको तो मैं कवि और साहित्यकार समझती हूँ ....:D
Deleteबहुत ख़ूब! वाह!
ReplyDeleteकृपया इसे भी देखें-
नाहक़ ही प्यार आया
बहुत ही अच्छी कविता |
ReplyDeleteबहुत -बहुत धन्यवाद एवम आभार तुषार जी ...
Deleteबहुत ही सुन्दर रचना बेहतरीन भाव क्या बात है
ReplyDeleteवाह बहुत सुन्दर रचना
ReplyDeleteबहुत ही रोचक और मजेदार ढंग से की प्रस्तुति बेमिशाल है निशा जी |
ReplyDeleteबहुत खुबसूरत रचना अभिवयक्ति.........
ReplyDeleteवाह खूबसूरत ...मज़ा आ गया
ReplyDeleteबहुत खूब एक से बढ़िया एक बिम्ब मानव मनोविज्ञान को दर्शाती पोस्ट -
ReplyDeleteपुलिस वाला ----साला...शराब के नशे में
धूत पड़ा हुआ है.........धुत .............
बीवी के डर से
चौराहे पे खड़ा हुआ है .......
Virendra Sharma @Veerubhai1947
ram ram bhai http://veerubhai1947.blogspot.com/ रविवार, 7 अक्तूबर 2012 कांग्रेसी कुतर्क
हास्य-व्यंग्य के साथ सुंदर चरित्र-चित्रण.........
ReplyDeletethanks to all.....
ReplyDeleteरोचक!!
ReplyDeleteकहीं वो कवि को देख कर तो नहीं रो रहा था ? :)
ReplyDeletehaa ....ye bhi ho sakta hai.....
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